3 लोगों द्वारा फर्जी आईडी का इस्तेमाल कर संसद में घुसने का मामला सामने आया है. इसी के साथ एक बार फिर से संसद की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े होते दिखाई दे रहे हैं. हालांकि इस बार संसद भवन में तैनात सीआईएसएफ(CISF) अधिकारी का कहना है कि तीनों लोगों की फ़र्ज़ी आईडी कार्ड की पहचान पहले ही कर ली गई थी. फिलहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है.
क्या है पूरा मामला ?
एफआईआर के मुताबिक, 4 जून को दोपहर 1.30 बजे सीआईएसएफ अधिकारी को फोटो आईडी की जांच के लिए संसद भवन, आयरन गेट नंबर 03 पर तैनात किया गया था. इसी समय तीन श्रमिकों का पता चला जो कैज़ुअल एंट्री पास पर प्रवेश करने की कोशिश कर रहे थे.
तीनों श्रमिक उत्तर प्रदेश के निवासी हैं जिनका नाम कासिम, मोनिस और सोएब है. इस समय तीनों पर पार्लियामेंट स्ट्रीट पुलिस स्टेशन में धारा 465 (जालसाजी), धारा 419 ( धोखाधड़ी), धारा 120 बी (आपराधिक साजिश), धारा 471 (जाली दस्तावेज को असली के रूप में उपयोग करना) और धारा 468 (धोखाधड़ी के लिए जालसाजी) के तहत मामला दर्ज किया गया है.
दिल्ली पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है. बता दें, इन मजदूरों को एम पी लाउंज में निर्माण कार्य के लिए काम पर रखा गया था.
एफआईआर में बताया गया है, "मोनिस और कासिम ने एक व्यक्ति की फोटो के साथ एक ही आधार कार्ड नंबर प्रदर्शित किया . उन्होंने एक साजिश के तहत ये जाली दस्तावेज बनाए और उन्हें असली के रूप में इस्तेमाल किया. कासिम ने भी मोनिस के रूप में खुद को प्रस्तुत किया".
पिछले साल भी संसद सुरक्षा में हुई थी चूक
ये पहली बार नहीं है जब संसद में गलत तरह से या जबरदस्ती घुसने की कोशिश की गई हो. इससे पहले पिछले साल दिसंबर में दो युवक संसद में लोकसभा की कार्यवाही के दौरान दर्शक दीर्घा से कूद पड़े थे और नारेबाजी की थी.
इतना ही नहीं, दो लोगों को उसी दिन संसद के बाहर से पकड़ा गया जो पटाख़े जलाते हुए नारेबाज़ी कर रहे थे. बाद में पता चला कि सभी युवा तत्कालीन बीजेपी सरकार के कार्यों से नाखुश थे और अपना विरोध जताने के लिए वो संसद पहुंचे थे.
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