भारत में MeToo कैंपेन का ट्विटर हैंडल संभालने वाली वाली जर्नलिस्ट रितुपर्णा चटर्जी ने हाल में एक ट्वीट कर जानकारी दी है कि उन्हें नौकरी की तलाश है. ट्वीट देखकर मेरे दिमाग में यह सवाल आया कि 15 साल से ज्यादा अनुभवी एक वरिष्ठ पत्रकार को आखिरकार नौकरी मिलने में परेशानी क्यों हो रही है?
जब क्विंट ने रितुपर्णा से इस बारे में पूछा तो उन्होंने माना कि ट्विटर पर नौकरी की मांग करने का फैसला लेने से पहले उन्होंने 24 घंटे तक इस पर मंथन किया. उनके ट्वीट की पहली लाइन में लिखा था, ‘इस ट्वीट को पोस्ट करने से पहले अपने संकोच और अभिमान पर काबू करना मेरे लिए वाकई बहुत मुश्किल भरा काम था.’ ट्वीट में आगे रितुपर्णा ने खुलकर बताया कि #MeToo मामले में उन्होंने निस्वार्थ भावना से जो भी काम किए उससे उनकी परेशानियां बढ़ गईं और उल्टा काम मिलना मुश्किल हो गया.
रितुपर्णा ऐसी अकेली नहीं हैं. #MeToo आंदोलन के दौरान ऐसी कई महिलाएं सामने आईं, जो आंदोलन की आवाज बनीं. उनमें से कुछ लोगों से मैंने जानने की कोशिश की कि इस आंदोलन ने उन पर क्या असर डाला.
1. रितुपर्णा चटर्जी, जर्नलिस्ट
अक्टूबर 2018 से लेकर दिसंबर महीने तक रितुपर्णा बतौर स्वतंत्र पत्रकार अपने काम में बहुत व्यस्त थीं, लेकिन #MeToo आंदोलन के जोर पकड़ते ही उनके पास लोगों के बेतहाशा मैसेज आने लगे. क्योंकि रितुपर्णा ट्विटर पर #MeToo India, जो कि पूरे आंदोलन की दिशा और दशा तय कर रहा था, का संचालन कर रहीं थीं, लगातार पीड़ित महिलाएं उनसे संपर्क कर मदद की गुहार लगा रहीं थीं. रितुपर्णा उनसे बात कर जानने की कोशिश करती थीं कि उन्हें किस तरह की मदद चाहिए. उन्हें बतातीं थीं कि उन्हें अपनी शिकायत पुलिस के सामने रखनी चाहिए या फिर राष्ट्रीय महिला आयोग का रुख करना चाहिए. जाहिर तौर पर वह अपना पूरा वक्त और पूरी ऊर्जा महिलाओं की मदद में लगा रही थीं. लेकिन निजी तौर पर इसका असर उन पर कुछ ऐसे हुआ.
‘मेरे पास अपने काम के लिए बिल्कुल वक्त नहीं होता था. मेरे पास अब कमाई का कोई साधन नहीं है और अब दोबारा काम की तरफ लौटने के अलावा कोई चारा नहीं है, यही वजह है मैंने मदद मांगी. दूसरी बड़ी परेशानी रही लोगों के मन में मेरे बारे में बनी अवधारणा. आप अगर इस तरह का काम करते हैं, तो आपको लोग उपद्रवी की नजर से देखने लगते हैं. लोग आपसे बचना चाहते हैं, क्योंकि आपने एक पत्रकार और आंदोलनकारी के बीच की लक्ष्मण रेखा लांघ दी है.’रितुपर्णा चटर्जी, जर्नलिस्ट
#MeToo से जुड़े काम का असर रितुपर्णा की मानसिक हालत पर भी हुआ, 2018 में पूरे साल उन्हें ‘एंग्जाइटी अटैक’ आते रहे. हारकर उन्हें इसके इलाज की जरूरत पड़ गई.
एंग्जाइटी की सबसे बड़ी वजह थी बार-बार सदमे का उभर आना. हम सबके जीवन में कुछ ना कुछ ऐसी घटनाएं रही हैं. यह वही घटनाएं होती हैं, जो आप दूसरों से सुनते हैं, उनके साथ साझा करते हैं, उन पर कार्रवाई करते हैं, लोगों के साथ बांटते हैं, उनकी मदद करते हैं. लेकिन उसकी जो भयावह प्रतिक्रिया होती है, जो ट्रोलिंग होती है, मर्दों से जो आपको सुनना पड़ता है उसके लिए आप तैयार नहीं होते.’रितुपर्णा चटर्जी, जर्नलिस्ट
इन सब परेशानियों के बावजूद रितुपर्णा को अपने फैसलों पर कोई अफसोस नहीं है, ‘यह ऐसा काम है, जो मैं दोबारा करूंगी, मुझे जब भी मौका मिलेगा मैं जरूर करूंगी.’ 38 साल की रितुपर्णा का जवाब था.
‘वाकई अलग-अलग शहरों और महादेशों से इतनी बड़ी तादाद में महिलाएं सामने आईं, वह एक दूसरे को सहारा दे रहीं थीं, एक दूसरे की मदद कर रहीं थीं. यह एक अद्भुत और बेहतरीन अनुभव था. महिलाओं को अपने हक के लिए लड़ते देखना अपने आप में ताकत बढ़ाने वाला एहसास था. यह हममें से कई लोगों के लिए बहुत बड़ी बात थी. महिलाओं का एक दूसरे का हाथ थामना सबसे खूबसूरत बात थी.’रितुपर्णा चटर्जी, जर्नलिस्ट
2. सोना मोहपात्रा, गायिका
अक्टूबर 2018 में पूरे विश्व के सामने एक ऐसा ट्वीट आया जो आगे जाकर मनोरंजन की दुनिया से #MeToo की सबसे बड़ी घटनाओं में से एक साबित हो गई. यह ट्वीट था गायिका सोना मोहपात्रा का ,जिसमें उन्होंने गायक अनु मलिक पर अपने पति राम संपत के सामने ही भद्दी टिप्प्णी करने का आरोप लगाया था. सोना ने लिखा कैसे संगीतकार और इंडियन आइडल के जज उन्हें वक्त-बेवक्त फोन कर बेहूदा और बेतूका सवाल पूछते थे. ठीक ऐसे ही सोना के #MeToo सफर की शुरुआत हुई. उन्होंने कैलाश खेर पर यौन शोषण का आरोप लगाया.
अनु मलिक और कैलाश के खिलाफ सोना के इन आरोपों के सुर्खियां बनते ही उन पर भयावह असर हुआ, सोना को काम मिलना बंद हो गया. पूरी घटना ने ना सिर्फ भावनात्मक बल्कि आर्थिक तौर पर भी उन पर बुरा असर छोड़ा.
‘मेरे कई शो रद्द होने लगे, मुझे बिना कोई वजह बताए रिएलिटी शो ‘सा रे गा मा पा’ से निकाल दिया गया. मेरे साथ एक पूरी टीम काम करती थी. सब हताश हो गए. हमने ‘सा रे गा मा पा’ का यूएस टूर रद्द कर दिया. हमें अमेरिका के नौ शहरों में टूर पर जाना था, पूरी टीम को अच्छा पैसा मिलने की उम्मीद थी. लेकिन सोलहवें एपिसोड के बाच अचानक से हमें ‘सा रे गा मा पा’ से बाहर कर दिया गया. हम टूर पर नहीं जा सके, हमारा शो खत्म हो गया और इसका खामियाजा मेरी पूरी टीम को भुगतना पड़ा.’सोना मोहपात्रा, गायिका
जल्द ही कई सारी महिलाओं ने सोना से संपर्क साधा. उन्होंने अपनी कहानियां, सोना से साझा कीं. कुछ ने तब की घटनाएं बताईं जब वो नाबालिग थीं और उन गायकों के साथ काम करते थीं, जिन पर सोना ने आरोप लगाए थे.
गौर करने की बात यह है यह महिलाएं (रितुपर्णा चटर्जी, सोना मोहपात्रा) दूसरों की मदद तो कर रहीं थीं, लेकिन इन सदमों और घटनाओं से निपटने के लिए खुद पेशेवर तौर पर तैयार नहीं थी.
‘कई दिनों और हफ्तों तक इन लोगों की कहानियां सुनने के बाद इसका असर मुझ पर होने लगा. मुझे इस बात का एहसास हुआ कि मैं पेशेवर तौर पर खुद इन मामलों से निपटने के लिए तैयार नहीं हूं. मुझ पर भयानक दवाब बनता जा रहा था. इसलिए मुझे इलाज की जरूरत पड़ गई. अब मैं उससे उबर चुकी हूं, लेकिन मुझे दोबारा मदद की दरकार हो सकती है.’सोना मोहपात्रा, गायिका
तमाम परेशानियों के बावजूद सोना मानती हैं कि #MeToo बेकार नहीं गया. उन्होंने एक ऐसी घटना के बारे में बताया जो इस आंदोलन की कामयाबी की दास्तां बयां करती है.
‘उन दिनों मैं काफी हताश थी जब मेरी डॉक्टर ने मुझे पूछा ‘#MeToo से कुछ खास हासिल नहीं हुआ ना?’ मैं अपने घर लौटी, मुझे एक कॉन्सर्ट के लिए तैयार होना था. मेरी मेकअप आर्टिस्ट एक 26 साल की खूबसूरत लड़की है, जो कि वेब सीरीज, फिल्में और विज्ञापनों के सेट पर काम करती है. उसने मुझे पूछा आप इतनी उदास क्यों दिख रहीं हैं, मैंने उसे डॉक्टर से हुई बातचीत के बारे में बताया. फिर उसने मुझे एक घटना सुनाई. जब उसने एक नए वेब सीरीज का सेट ज्वाइन ही किया था और साथ में एक नई फिल्म पर भी काम कर रही थी,’ सोना ने बताना शुरू किया.
‘सबसे पहले उसे सेट पर जो मिला, सिर्फ उसे ही नहीं बल्कि उस टीम में काम करने वाली सभी महिलाओं को, वो एक पन्ना था जिस पर कॉन्टैक्ट नंबर और ईमेल आईडी थे. उन्हें बताया गया कि सेट पर अगर कोई उन्हें प्रताड़ित करने या किसी भी तरह की बदसलूकी करने की कोशिश करता है तो इन नंबर और ईमेल आईडी पर संपर्क कर सकते हैं. यह सब डेढ़ साल पहले तक नहीं होता था. और उसने मुझे बताया, आपकी कोशिशों से यह बदलाव आया है.’सोना मोहपात्रा, गायिका
सोना का मतलब था कि कम से कम कुछ लोग तो ऐसे हैं जो यह समझ चुके हैं कि इस सिस्टम में बदलाव की जरूरत है, जिससे कि महिलाओं अपने काम की जगहों पर महफूज महसूस करें. ‘ये बदलाव जमीनी और प्रणाली के स्तर पर हो रहा है. इस बात को महसूस किया जा रहा है कि सेट पर कुछ गड़बड़ी हो सकती है और ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि जिससे उन मसलों का हल निकाला जा सके. अब यही वह बदलाव है जिसका हमें स्वागत करना चाहिए,’
3. विनीता नंदा, फिल्ममेकर/लेखक
#MeToo आंदोलन के दौरान फिल्ममेकर विनीता नंदा ने बॉलीवुड कलाकार आलोक नाथ पर बलात्कार का आरोप लगाया. लोगों के सामने अपनी बातें रखने के बाद उन्होंने पुलिस में मामला भी दर्ज कराया. हालांकि जनवरी 2019 में मुंबई की सेशन्स कोर्ट ने यह कहते हुए आलोक नाथ को अग्रिम जमानत दे दी कि, ‘विनीता नंदा ने अपने फायदे के लिए आरोप लगाई गई घटना की रिपोर्ट तुरंत नहीं दर्ज कराई.’ लेकिन उसके बाद इस मामले में क्या हुआ?
विनीता नंदा ने हमें बताया कि अग्रिम जमानत के बाद उन्होंने इस मामले में कोई दूसरा कदम नहीं उठाने का फैसला लिया, क्योंकि इसमें उनका बहुत वक्त बर्बाद हो रहा था और केस में कुछ होता नहीं दिख रहा था.
‘मैंने इस केस में आगे कुछ नहीं किया, इसलिए आगे कुछ नहीं हुआ. मेरा मतलब है, यह पूरी तरह से सच और साफ है. अगर मैंने इस मामले को आगे बढ़ाया होता और आगे कोई और कोशिश की होती, तो हो सकता है तस्वीर कुछ और होती. लेकिन उन दिनों मैं काम में पूरी तरह व्यस्त थी, और मुझे एहसास हो रहा था कि मेरा बहुत सारा वक्त बर्बाद होता जा रहा है. इसलिए मैंने काम पर ही ध्यान लगाने का फैसला किया, क्योंकि यही वह जरिया है, जिससे मेरी जिंदगी चलने वाली है. ठीक? इसलिए मेरे केस में ऐसा ही हुआ.’विनीता नंदा, फिल्ममेकर/लेखक
हालांकि विनीता ने इस मामले में आगे कुछ नहीं किया, इसके बावजूद, अपनी डरावनी कहानी दुनिया के सामने रखने के बाद, उनके लिए राहें आसान नहीं थीं, दूसरी महिलाओं की तरह, कई ऐसे प्रोजेक्ट जिस पर वो काम रहीं थीं उनके हाथ से निकल गए. उस वक्त विनीता दो वेब सीरीज लिख रहीं थीं, दोनों से वो बाहर कर दी गईं. एक ने सीधा कहा उसने वेब सीरीज बंद करने का फैसला लिया है, तो दूसरे ने ईमेल कर इसकी जानकारी दी.
हालांकि, दुनिया के सामने अपनी बातें रखने का विनीता को निजी जिंदगी में फायदा भी मिला. अब वो काफी बेहतर महसूस करती हैं सब कुछ पीछे छोड़कर अपने काम में बेहद खुश हैं.
‘मैंने लंबे अरसे तक इस बात को दबाए रखा था. और अब सबकुछ खत्म हो चुका था, मेरे दिल से एक बोझ उतर गया था, जो कि मैं काफी वक्त से ढो रही थी. इसलिए, जाहिर तौर पर, मैं अब काफी हल्का महसूस कर रही हूं और अच्छा काम करने की कोशिश कर रही हूं.’विनीता नंदा, फिल्ममेकर/लेखक
इस योद्धा के लिए अपने सदमे को लोगों से साझा करना किसी उपचार जैसा था. और अब, एक साल बाद, आखिरकार वो काफी बेहतर स्थिति में है.
‘मुझे बहुत अच्छा लगा रहा है. और आपको बताऊं, इससे चीजों को अलग-अलग करने में काफी मदद मिली. एक बार सच्चाई सामने रखने के बाद, असल में आप हकीकत का सामना कर पाते हैं, और आसपास के लोगों को भी समझ पाते हैं. आपको यह पता चलता है कि कौन आपके साथ है और कौन नहीं. इसलिए पहले तीन से पांच महीने तक यह सब समझना मुश्किल जरूर था. लेकिन अब चीजें बेहतरीन हो गई हैं. मतलब, मैं वापस पटरी पर लौट चुकी हूं, काम कर रही हूं. कोई शिकवा नहीं है.विनीता नंदा, फिल्ममेकर/लेखक
4. चिन्मयी श्रीपदा, गायिका
चिन्मयी श्रीपदा दक्षिण भारत की जानी-मानी गायिका हैं. वह #MeToo आंदोलन की बड़ी आवाज रही हैं, जब से इस आंदोलन का आगाज हुआ इसकी एक अहम हिस्सा रहीं हैं.
अक्टूबर 2018 में चिन्मयी ने ट्विटर पर अपनी कहानी साझा की, उन्होंने मशहूर तमिल कवि वैरामुथु पर यौन शोषण का आरोप लगाया.
उस ट्वीट के बाद चिन्मयी लगातार न्याय की लड़ाई लड़ रहीं हैं, ना सिर्फ अपने लिए, बल्कि उन सभी महिलाओं के लिए जिन्होंने मदद के लिए उनके संपर्क में आईं.
‘मुझे औपचारिक तौर पर तमिलनाडु डबिंग यूनियन ने बैन कर दिया है. मैं करीब एक साल से कानूनी जंग लड़ रही हूं. और अगर कभी मुझे कोई काम मिलता है, वो अपने लोग भेजकर ताकत के बल पर मेरा काम छीन लेते हैं. इसलिए काम करना अब काफी डरावना हो गया है लेकिन अच्छी बात यह है कि मैंने अपने आपको एक भाषा, तमिल, में बांधकर नहीं रखा है. मैं कई भाषाओं में गाती हूं, इसलिए कहीं ना कहीं से काम मिल जाता है.’चिन्मयी श्रीपदा, गायिका
लेकिन चिन्मयी की कहानी सिर्फ उस महिला की बात नहीं है, जिसने यौन शोषण को जगजाहिर किया हो. चिन्मयी ने जिस व्यक्ति पर आरोप लगाए हैं वो ना सिर्फ एक प्रभावशाली जाति से आता है, बल्कि उसकी राजनीतिक पहुंच भी बहुत तगड़ी है. उसे तमिलनाडु का गौरव भी कहा जाता है. जैसा कि चिन्मयी ने बताया, ‘इस मामले की सियासत काफी जटिल है.’ जहां यह अपने आप में पूरी एक अलग कहानी है, सबसे अहम बात यह है कि तमिलनाडु की पूरी मीडिया जिस व्यक्ति को शर्मसार करने पर आमादा है, वह कोई और नहीं बल्कि चिन्मयी है.
इस सबके बावजूद चिन्मयी को उम्मीद की एक किरण दिख रही है.
‘मुझे लगता है अब मुझे यह मालूम हो गया है कि पूरी जिंदगी मुझे क्या करना है. मैं हर मंच पर लगातार इस बारे में बोलती रहूंगी और लोगों को जागरूक करती रहूंगी. मुझसे कई लोग कहते हैं आप एक ही बात करती जा रही हो. हालांकि मैं एक ही बात दोहराती जा रही हूं, मुझे नहीं लगता चेन्नई में अब भी ICC (इंटरनल कंप्लेन्ट्स कमेटी) बनाई गई है. मेरे अपने दोस्तों ने भी ICC बनाने से मना कर दिया, उनका कहना है कि मैं अकेली इस मामले में बोल रही हूं.’चिन्मयी श्रीपदा, गायिका
चिन्मयी जहां लगातार समाज की अवधारणा को बदलने और जागरुकता फैलाने की कोशिश में लगी हैं, उन्होंने हमें बताया कि आज भी ऐसे लोग हैं जो इस बारे में बात नहीं करना चाहते. लेकिन इससे उनका हौसला कम नहीं हुआ है. वह आज भी लोगों को सदमे से उबारने के लिए लगातार प्रोग्राम आयोजित करती रहती हैं.
‘अभी मैं चीख नहीं रही हूं, नाराज नहीं हूं. यह कहना अजीब लग रहा है, क्योंकि मुझे ऐसा करना चाहिए. मैं दरअसल लोगों की सोच और अवधारणा में बदलाव की कोशिश में जुटी हूं. मुझे एक मौका मिला है, जिसके जरिए मैं समाज को कुछ लौटाना चाहती हूं.’चिन्मयी श्रीपदा, गायिका
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