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आरुषि केसःतलवार दंपति को बरी किए जाने के खिलाफ SC में होगी सुनवाई

CBI की अपील पर हेमराज की पत्नी की अपील के साथ होगी सुनवाई

Published
भारत
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नोएडा के हाई प्रोफाइल आरुषि मर्डर केस में नया मोड़ आ गया है. सुप्रीम कोर्ट ने तलवार दंपति की रिहाई के खिलाफ सीबीआई की अपील को मंजूर कर लिया है. कोर्ट ने कहा कि सीबीआई की अपील पर तलवार दंपत्ति के घरेलू सहायक हेमराज की पत्नी की अपील के साथ सुनवाई होगी.

बता दें कि पिछले साल अक्टूबर में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तलवार दंपति की रिहाई का फैसला सुनाया था. सीबीआई ने तलवार दंपति को बरी किये जाने के हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल की थी. हाईकोर्ट ने तलवार दंपति को इस आधार पर आरोपों से बरी कर दिया था कि उन्हें ऑन रिकार्ड साक्ष्यों के आधार पर दोषी नहीं ठहराया जा सकता.

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आरुषि मर्डर केस में कब क्या हुआ?

  • 16 मई 2008: 14 साल की आरुषि तलवार का शव नोएडा स्थित उसके घर में गला रेता हुआ पाया गया. घर के नेपाली नौकर हेमराज पर इस हत्या का शक जताया गया.
  • 17 मई: तलवार के घर की छत पर हेमराज का शव मिला.
  • 18 मई: पुलिस ने जांच में पाया कि मृतकों के गले बड़ी सफाई से रेते गए थे. पुलिस को घर के अंदर के ही लोगों पर हत्या का शक हुआ.
  • 22 मई: पुलिस को संदेह था कि यह हत्या सम्मान के नाम पर की गई.
  • 23 मई: आरुषि के पिता राजेश तलवार को दोहरे हत्याकांड के लिए गिरफ्तार किया गया.
  • 31 मई: केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने इस मामले को संभाला.
  • 13 जून: सीबीआई ने राजेश तलवार के कंपाउंडर कृष्णा को गिरफ्तार किया. दस दिन बाद, तलवार के एक डॉक्टर मित्र के नौकर राजकुमार और तलवार के पड़ोसी के नौकर विजय मंडल को भी हिरासत में लिया गया.
  • 12 जुलाई: गाजियाबाद कोर्ट ने राजेश तलवार को उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिलने के कारण जमानत दे दी.
  • 5 जनवरी 2010: सीबीआई तलवार दंपति का नारको टेस्ट कराने की इजाजत के लिए कोर्ट पहुंची.
  • 29 दिसंबर: सीबीआई ने मामले को बंद करने की अर्जी दाखिल की, जिसमें राजेश को मुख्य संदिग्ध बताया गया था, लेकिन उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं थे.
  • 9 फरवरी, 2011: गाजियाबाद कोर्ट ने सीबीआई की फाइनल रिपोर्ट को खारिज कर दिया और आदेश दिया कि राजेश और नुपूर तलवार पर मुकदमा चलाया जाए. दंपत्ति पर सबूतों को नष्ट करने का आरोप लगाया गया. दंपत्ति के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया गया.
  • 30 अप्रैल: नुपूर तलवार को गिरफ्तार कर लिया गया.
  • 25 मई: गाजियाबाद अदालत ने राजेश और नुपूर तलवार पर हत्या, साक्ष्य को मिटाने और साजिश रचने का आरोप लगाया.
  • 25 सितंबर: सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर नूपुर तलवार को जमानत मिली.
  • अप्रैल 2013: सीबीआई ने कोर्ट को बताया कि तलवार दंपत्ति ने आरुषि और हेमराज की हत्या की थी.
  • 3 मई: बचाव पक्ष के वकील ने सीबीआई के पूर्व निदेशक अरुण कुमार समेत 14 लोगों को अदालत में गवाही के लिए बुलाने के लिए कहा. सीबीआई ने याचिका का विरोध किया.
  • 6 मई: कोर्ट ने गवाहों को बुलाने के लिए तलवार की याचिका खारिज कर दी. कोर्ट ने राजेश और नुपूर के बयान दर्ज कराने का आदेश दिया.
  • 18 अक्टूबर: सीबीआई ने तलवार द्वारा जांचकर्ताओं को गलत जानकारी देने का आरोप लगाकर बहस को बंद कर दिया.
  • 25 नवंबर: राजेश और नुपूर तलवार को उनकी एकमात्र बेटी की हत्या का दोषी पाया गया.
  • 26 नवंबर: सीबीआई कोर्ट ने राजेश और नुपूर तलवार दोनों को उम्रकैद की सजा सुनाई.
  • 21 जनवरी 2014: तलवार ने सीबीआई कोर्ट के उम्रकैद की सजा के खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.
  • 11 जनवरी, 2017: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने तलवार दंपत्ति द्वारा दायर की गई याचिका पर अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया, जिसमें उनकी सजा को चुनौती दी गई थी.
  • 12 अक्तूबर, 2017: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने तलवार दंपत्ति को हत्या के आरोपों से बरी कर दिया, जिसमें उन्हें संदेह का लाभ दिया गया.

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