ADVERTISEMENTREMOVE AD

तालिबान के राज में खुद को यूं बयां कर रहीं अफगानिस्तान की महिलाएं - तस्वीरें

जानी-मानी आर्टिस्ट शमसिया हसानी ने तालिबान के राज में महिलाओं की तकलीफों को लेकर कई आर्ट पोस्ट की हैं.

Updated
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

अफगानिस्तान में तालिबान (Taliban in Afghanistan) के राज के साथ ही एक बार फिर महिला अधिकारों को लेकर बात छिड़ गई है. तालिबान के राज से निकल आगे बढ़ रही महिलाओं को डर है कि अब उन्हें फिर घर की चारदिवारी में कैद न होना पड़े. कई महिला आर्टिस्ट, आर्टवर्क के जरिये अपनी कहानियां और दर्द बयां कर रही हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD
अफगानिस्तान की जानी-मानी आर्टिस्ट शमसिया हसानी ने तालिबान के राज में महिलाओं की तकलीफों को लेकर कई आर्ट पोस्ट की हैं.

15 अगस्त को उन्होंने अपनी एक आर्ट पोस्ट कर लिखा, "शायद ऐसा इसलिए है क्योंकि हमारी ख्वाहिशें एक काले फूलदान में उगी हैं." इस आर्ट वर्क में एक बच्ची काले फूलदान में खिला सफेद फूल आतंकी को पकड़ा रही है.

एक दूसरे आर्टवर्क में, उन्होंने हाथ में पियानो पकड़े एक दुल्हन को दिखाया है, जिसके पीछे हथियार लिए तालिबान के नेता खड़े हैं. इस आर्टवर्क के जरिये शमसिया ने तालिबान के राज के साथ लड़कियों और महिलाओं के टूटते सपनों को दिखाया है. इसके साथ उन्होंने लिखा, "बुरा सपना."

एक और आर्टवर्क के साथ शमसिया ने अपील करते हुए लिखा, "मैं कभी नहीं समझ पायी कि आप कौन हैं और आप क्यों नहीं चाहते कि हम शांति से रहें. तालिब? आईएसआईएस? या.... हमें शांति चाहिए. मुझे मेरा देश, मेरा घर वापस चाहिए. मैं अपने लोगों के लिए शांति और स्वतंत्रता चाहती हूं."

शमसिया के इस आर्टवर्क में एक महिला हाथ में सफेद फुल लिए शहर में टैंकरों को घुसते देख रही है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

कई दूसरी महिला आर्टिस्ट्स भी तस्वीरों के जरिये अफगानिस्तान की महिलाओं और उनकी तकलीफों की तरफ दुनिया का ध्यान खींचने की कोशिश कर रही हैं.

अफगानिस्तान ने कहा है कि उसके राज में महिलाओं को हक दिए जाएंगे. तालिबान ने कहा, "हम महिलाओं के अधिकारों का सम्मान करते हैं... हमारी नीति है कि महिलाओं को शिक्षा और काम तक पहुंच दी जाए." तालिबान के इस बयान पर यकीन करना मुश्किल है, क्योंकि उसके राज में पहले महिलाओं की स्थिति देखी जा चुकी है.

कई शहरों पर कब्जा करने के बाद तालिबान ने 15 अगस्त को राजधानी काबुल को अपने कब्जे में ले लिया. राष्ट्रपति अशरफ घनी देश छोड़कर जा चुके हैं.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×