मशहूर इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने राहुल गांधी पर दिए गए अपने बयान से पैदा विवाद को शांत करने की कोशिश की है. गुहा ने एक के बाद एक कई ट्वीट कर केरल लिटरेचर फेस्टिवल में अपने भाषण पर सफाई दी है. उन्होंने इस ट्वीट में अपने भाषण का वीडियो डाल कर बताया है कि वह जो कहना चाहते थे उसका सही मतलब नहीं निकाला गया.
गुहा बोले,मोदी हिंदुत्व और भारत के संदर्भ में कही थी अपनी बात
गुहा ने कहा था कि कांग्रेस में राहुल गांधी की मौजूदगी बीजेपी को फायदा पहुंचा रही है. अपने इस बयान पर गुहा ने कहा कि वह ''मोदी, हिंदुत्व और भारत'' के व्यापक संदर्भ में यह बात कर रहे थे. हालांकि उन्होंने माना कि वह एक पैट्रन के नजरिये से मलयालियों को वायनाड से राहुल को चुनने के लिए डांट रहे थे.
राहुल गांधी को लेकर गुहा के बयान को दक्षिणपंथी संगठनों ने लपक लिया. लिहाजा गुहा को अब आगे कर इसकी वजह बतानी पड़ रही है. कांग्रेस सांसद शशि थरूर की ओर से एक तीखी टिप्पणी के बाद थरूर ने एक के बाद एक कई ट्वीट कर अपनी बात रखी.
गुहा ने अपने ट्वीट में लिखा कि मेरी केएलएफ स्पीच पर पीटीआई की सेलेक्टिव और इकतरफा रिपोर्ट से जो kerfuffle ( थरूरियन टर्म ) पैदा हुआ उस पर मैं राहुल, मोदी, हिंदुत्व और भारत पर अपने विचारों को दोबारा यहां रख रहा हूं.
इसके बाद उन्होंने कहा कि अगर अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव के तर्ज पर यहां चुनाव हुए तो लोग राहुल गांधी के बजाय हमेशा नरेंद्र को चुनना पसंद करेंगे क्योंकि मोदी ज्यादा अनुभवी हैं. उन्होंने राजनीति में अपनी मेहनत से खुद को खड़ा किया है.
गुहा ने कहा था,राहुल में फोकस और प्रशासनिक अनुभव की कमी
गुहा ने कह था कि राहुल गांधी में फोकस और प्रशासनिक अनुभव की कमी है. और सबसे बड़ी बात यह है कि वह वंशवादी राजनीति की पांचवीं पीढ़ी के नुमाइंदे हैं. यह बात बुरी तरह उनके खिलाफ जाती है. केरल लिटरेचर फेस्टिवल में गुहा ने केरल के लोगों से सवाल पूछा था उन्होंने राहुल गांधी का चुनाव क्यों किया.
गुहा ने यह भी कहा कि राहुल गांधी एक सभ्य और अच्छे तौर-तरीकों वाले इंसान हैं. उनसे उन्हें व्यक्तिगत तौर पर कोई परेशानी नहीं है. अगर तुम मलयाली लोग राहुल गांधी को 2024 में दोबारा चुनाव जिताते हो, तो तुम लोग सीधे-सीधे नरेंद्र मोदी को फायदा पहुंचा रहे हो. क्योंकि नरेंद्र मोदी का सबसे बड़ा फायदा यह है कि वो राहुल गांधी नहीं है. मुझे उनसे व्यक्तिगत तौर पर कोई समस्या नहीं है. लेकिन युवा भारत अब किसी राजवंश की पांचवीं पीढ़ी को शासन करने देना नहीं चाहता है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)