अगर आपसे पूछा जाए कि आप मेहनत क्यों करते हैं? तो आप कहेंगे पैसे कमाने के लिए. अगर यह पूछा जाए कि आप पैसे क्यों कमाते हैं? तो शायद आपका जवाब होगा- अच्छा खाने, पहनने, घर, कार खरीदने, विदेश यात्रा वगैरह करने के लिए...
लेकिन क्या आपने कभी ये सोचा है कि जब आप पैसे नहीं कमा रहे होंगे, तो क्या आप वो सब कर सकेंगे, जो अभी कर रहे हैं. ये नहीं सोचा, तो फिर आप बहुत बड़ी गलती कर रहे हैं. क्योंकि अगर आप अभी से रिटायरमेंट की प्लानिंग नहीं कर रहे, तो आप अपनी सुख-सुविधाओं को दांव पर लगा रहे हैं.
आपके लिए आज और सही पूछें तो इसी वक्त रिटायरमेंट के बारे में सोचना और उसकी प्लानिंग करना बेहद जरूरी है.
जितनी जल्दी, उतना बेहतर...
अगर आप अभी से रिटायरमेंट की योजना बनाएंगे तो आपको यह पता करने में मदद मिलेगी कि रिटायरमेंट के लिए आपको कितनी बचत करने की जरूरत होगी. आपके खर्चे कितने होंगे और आप बिना किसी पर निर्भर रहे, कैसे अपना रिटायरमेंट खुशी के साथ बिता सकेंगे.
रिटायरमेंट प्लान बनाते वक्त याद रखेंः
- रिटायरमेंट फंड को सिर्फ बनाना काफी नहीं, उसे बढ़ाना भी जरूरी है.
- बढ़ती महंगाई के सामने रिटायरमेंट फंड कम नहीं पड़ना चाहिए.
- रिटायरमेंट प्लान में आकस्मिक खर्च जैसे बीमारी, अस्पताल के खर्च शामिल होने चाहिए.
अगर आपको ये पता लगाने में दिक्कत आ रही है कि आपको रिटायरमेंट के वक्त कितने पैसे की जरूरत होगी तो बेहतर होगा कि आप किसी फाइनेंशियल प्लानर की मदद लें.
लेकिन अगर आप खुद से इस बात का पता लगाना चाहते हैं तो कई इंश्योरेंस कंपनियों की वेबसाइट पर ऐसे कैलकुलेटर मौजूद हैं, जो आपको जरूरी रकम की कैलकुलेशन करके बता देंगे.
रिटायरमेंट फंड का सबसे बड़ा फंडा...
सवालः रिटायरमेंट की रकम को जुटाया कैसे जाए?
जवाबः इसका एक ही फंडा है कि रिटायरमेंट प्लानिंग की शुरुआत आप जितनी जल्दी करेंगे, उतना ज्यादा बचा सकेंगे.
उदाहरण देखिएः
राहुल और संजीत दो दोस्त हैं. दोनों की उम्र 25 साल है. उन्होंने एक साथ ही नौकरी करनी शुरू की. राहुल ने 25 साल की उम्र में हर महीने दस हजार का निवेश करना शुरू किया और उसने 35 साल की उम्र होने पर इसे बंद कर दिया.
लेकिन निवेश की रकम को इन्वेस्टमेंट के इंस्ट्रूमेंट में बनाए रखा. वहीं संजीत ने 35 साल की उम्र में हर महीने उतनी ही रकम का निवेश करना शुरू किया और वो तब तक निवेश करता रहा, जब तक कि वो 60 साल का नहीं हो गया.
यहां हम मानकर चल रहे हैं कि दोनों की निवेश प्रक्रिया एक जैसी है और उन्हें सालाना रिटर्न 10 परसेंट मिला. अब 60 साल की उम्र में राहुल और संजीत में से किसे ज्यादा रकम मिलेगी. आपका जवाब होगा संजीत, क्योंकि उसने पच्चीस साल तक लगातार निवेश किया जबकि राहुल ने सिर्फ दस साल तक ही निवेश किया था.
लेकिन आपको ये जानकर हैरानी होगी कि 60 साल की उम्र में संजीत को मिलेंगे करीब 1.34 करोड़ रुपए, जबकि राहुल को मिलेंगे 2.24 करोड़ रुपए.
जानिए कैसेः
संजीत के मुकाबले राहुल को करीब 70 परसेंट ज्यादा रकम मिलेगी, जबकि उसने शुरुआती दस सालों तक ही अपना सक्रिय निवेश किया था.
सवालः अब आप पूछेंगे ऐसा क्यों हुआ?
जवाबः ये हुआ चक्रवृद्धि ब्याज के जादू की वजह से. याद रखिए कि चक्रवृद्धि ब्याज का कमाल तभी दिखता है, जब आप अपने पैसे को बढ़ने के लिए ज्यादा समय देते हैं. इसका मतलब ये भी है कि अगर आप जल्दी बचत करना शुरू करते हैं, तो आप जल्दी रिटायर भी हो सकते हैं.
निवेश की सही रणनीति जरूरी है
सवालः ये होगा कैसे?
जवाबः आपको अभी से इक्विटी और डेट में सही अनुपात में निवेश शुरू करना होगा. इक्विटी इसलिए जरूरी है क्योंकि ये आपको लंबी अवधि में महंगाई दर को मात देकर निवेश की वैल्यू बढ़ाने में मदद करेगा.
इक्विटी में कितना निवेश करें इसका एक आसान सा गुरुमंत्र हम आपको देते हैं. आप अपनी मौजूदा उम्र को 100 में से घटाएं और जितना आए अपनी निवेश राशि का उतना परसेंट इक्विटी में लगाएं.
मसलन अगर आपकी उम्र 25 साल है तो आप इक्विटी में 75 परसेंट निवेश कर सकते हैं. इस हिसाब से उम्र बढ़ने के साथ-साथ इक्विटी में आपका निवेश कम होता जाएगा और डेट में बढ़ता जाएगा.
अनुशासन बुढ़ापे को आसान बनाता है
निवेश बिल्कुल अनुशासन के साथ करें. हमारा सुझाव होगा कि आप एसआईपी यानी सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान अपनाएं.
ये आपकी जेब पर बड़ा बोझ भी नहीं डालेगा और लंबी अवधि में रकम जोड़ने में मदद भी करेगा. यहां ये भी याद रखें कि आपको अपने रिटायरमेंट फंड में से कोई भी रकम रिटायरमेंट के पहले निकालनी नहीं है. अगर आप ऐसा करेंगे तो आप मनोवांछित रकम नहीं जुटा पाएंगे.
तंदुरूस्त हो आपकी रिटायरमेंट प्लानिंग
रिटायरमेंट की उम्र में एक बड़ा खर्च हो सकता है स्वास्थ्य से जुड़ा. इसलिए जितनी जल्दी हो आप हेल्थ पॉलिसी ले लें. ताकि उम्र के अंतिम पड़ाव पर जाकर आपको नए सिरे से इसके लिए ना सोचना पड़े.
याद रखिए कि अगर आप 60 साल की उम्र में जाकर पहली बार हेल्थ पॉलिसी लेने की सोचेंगे तो आपको ना सिर्फ काफी ज्यादा प्रीमियम देना पड़ेगा, बल्कि हो सकता है कि आपको कई कंपनियां पॉलिसी देने से ही मना कर दें.
अंत में हम फिर से याद दिलाना चाहेंगे कि रिटायरमेंट प्लानिंग का मतलब सिर्फ पैसे का इंतजाम नहीं है. इसका सीधा मतलब है कि आप अपने रिटायरमेंट के पलों को सुकून के साथ कैसे बिताएंगे और बिना खर्च की चिंता किए अपने शौक कैसे पूरे करेंगे.
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