दिवाली का त्योहार देशभर में धूमधाम से मनाया गया, लेकिन इसके बाद अगली सुबह घर से बाहर निकलते ही लोगों का दम घोंटने वाले स्मॉग की चादर बिछी हुई नजर आई. चारों तरफ खतरनाक धुंध फैली हुई दिखी, वहीं जब एयर क्वालिटी को देखा गया तो ये गंभीर श्रेणी से काफी ऊपर थी.
इसके बाद एक तरफ बद्तर एयर क्वालिटी (Air Quality) को पटाखों ( Firecrackers) से जोड़ने को लोगों का एक धड़ा धर्म पर हमला बता रहा है. वहीं कई लोग दिवाली के बाद शहरों के गैस चेंबर में तब्दील होने के लिए कौन जिम्मेदार कौन है, सवाल का जवाब ढूंढ रहे हैं.
सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (SAFAR) के अनुसार दिवाली के अगले दिन शाम 3 बजे भी दिल्ली की ओवरऑल एयर क्वालिटी (AQI) 531 के साथ 'गंभीर' कैटेगरी में थी.
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि, दिल्ली में पिछले 5 वर्षों की तुलना में इस साल अक्टूबर में सबसे कम प्रदूषण स्तर दर्ज किया गया. लेकिन पिछले 3 दिनों से पटाखें फोड़ने और पराली जलाने के कारण प्रदूषण का स्तर बढ़ा.”
“बड़ी संख्या में लोगों ने पटाखे नहीं फोड़े. मैं उन सभी को धन्यवाद देता हूं. लेकिन कुछ लोगों ने जानबूझ कर पटाखे फोड़े. बीजेपी ने उनसे ऐसा करवाया”
अब सवाल है कि दिल्ली के पर्यावरण मंत्री आखिर क्यों बीजेपी पर जानबूझ कर लोगों से दिवाली के दौरान पटाखे फोड़ने को बढ़ावा देने का आरोप लगा रहे हैं और क्या जब हर राज्यों में खुलकर पटाखे बिके हों, तब क्या राज्य सरकारों और उसकी मशीनरी को क्लीन चिट दी जा सकती है ?
पॉल्यूशन की बात पर धर्म का तर्क
जब दिल्ली सरकार ने शहर में प्रदूषण के गंभीर स्तर को देखते हुए दिवाली के दौरान पटाखों के स्टोरेज, बिक्री और प्रयोग पर बैन लगाने की घोषणा की तब बीजेपी सांसद मनोज तिवारी ने कहा कि, AAP के नेतृत्व वाली राज्य सरकार "हिंदुओं के त्योहारों की बात आती है तबी ही चिंता दिखाती है". उन्होंने कहा-
"क्या आपने बकरीद से पहले AAP के एक भी मंत्री को इस तरह की बैठकें करते देखा है? दिल्ली में पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के बजाय, AAP सरकार को ग्रीन पटाखों को बढ़ावा देने के लिए एक अभियान शुरू करने पर विचार करना चाहिए.”
फ्री प्रेस जर्नल की एक रिपोर्ट के अनुसार मध्य प्रदेश के पूर्व प्रोटेम स्पीकर और बीजेपी विधायक रामेश्वर शर्मा ने भोपाल में पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम शिवराज सिंह चौहान के साथ अपनी तस्वीरों वाला एक पोस्टर लगाया, जिसमें लोगों से दिवाली पर पटाखे “जरूर” फोड़ने की अपील की गई.
योग-आध्यात्मिक गुरु और लेखक सद्गुरु ने भी 3 नवंबर को दिवाली से एक दिन पहले #DontBanCrackers टैग के साथ ट्वीट करके कहा था कि,
“वायु प्रदूषण की चिंता बच्चों को पटाखों की खुशी का अनुभव करने से रोकने का कारण नहीं है. उनके लिए अपने बलिदान के रूप में, 3 दिनों के लिए अपने ऑफिस पैदल जाएं. उन्हें पटाखे फोड़ने का मजा लेने दें”
क्या दिल्ली-क्या लखनऊ, जब धड़ल्ले से पटाखों की हुई बिक्री
सुप्रीम कोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने पटाखों पर बैन के साथ ग्रीन पटाखों को चलाने की छूट दी वहीं कई राज्यों की सरकार ने पटाखों पर पूरी तरह बैन लगा दिया है. बावजूद इसके देश के हरेक हिस्सों में जमकर पटाखे खरीदे-बेचे गए. इसका सबूत दिवाली से पहले और बाद के एयर क्वालिटी की डेटा से साफ दिखता है. पहले से ही खतरनाक स्तर की एयर क्वालिटी दिवाली के धूम-धमाके के बाद बदतर हो गयी.
3 नवंबर को जहां दिल्ली का ओवरऑल AQI 200 के आसपास था वहीं दिवाली के अगले दिन 5 नवंबर की सुबह 8 बजे कुछ इलाकों में यह 932.8 तक पहुंच गया.
दिवाली की सुबह का नजारा
रात भर पटाखों की गूंज के बाद जब देश की राजधानी दिवाली की अगली सुबह जगी तो कुछ भी नजर आना मुश्किल हो गया. केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (SAFAR) के अनुसार राष्ट्रीय राजधानी में पिछले 24 घंटों में पीएम 2.5 का स्तर तीन वर्षों में सबसे अधिक था.
सीपीसीबी के आंकड़ों से पता चलता है कि दिल्ली में 24 घंटे का औसत AQI दिवाली की रात 9 बजे "गंभीर" स्तर को छू गया. धीरे-धीरे हर अगले पटाखे की गूंज के साथ यह हर घंटे बढ़ रहा था और राजधानी में धुंध छा रही थी.
दिवाली के रात नौ बजे AQI 404 था. यह आधी रात 12 बजे तक 422, 2 बजे तक 428, सुबह 6 बजे तक 444, सुबह 7 बजे तक 446 और 5 नवंबर को सुबह 8 बजे तक 451 हो गया. सुबह 11 बजे AQI "गंभीर" श्रेणी में 462 तक पहुंच गया.
हालांकि एयर क्वालिटी के इस गंभीर हालात के लिए सिर्फ पटाखे जिम्मेदार नहीं हैं. दिल्ली के पर्यावरण मंत्री का कहना है कि पड़ोसी राज्यों पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं में वृद्धि से भी शहर की हवा खराब हुई है. NDTV की रिपोर्ट के अनुसार NASA की सैटेलाइट इमेजरी से पता चलता है कि दिवाली के दिन पंजाब और हरियाणा में 3500 से अधिक खेतों में आग लगने की सूचना मिली थी.
अब आरोप-प्रत्यारोप, बैन को धर्म पर हमला मानने और ग्रेटर गुड के लिए तर्कसंगत मानने की बहस के बीच वास्तविकता ये है कि देश के तमाम शहर दिवाली के बाद गैस चेंबर में बदल चुके हैं.
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