अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि (Mahant Narendra Giri) की मौत को लेकर फिलहाल जांच चल रही है, लेकिन पुलिस का कहना है कि प्रथम दृष्टया ये आत्महत्या नजर आ रही है. क्योंकि महंत नरेंद्र गिरि जहां मृत पाए गए थे, वहां 7 पन्नों का एक सुसाइड नोट भी मिला था. जिसमें उन्होंने अपने शिष्य आनंद गिरि और दो अन्य के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए थे और उन्हें आत्महत्या का जिम्मेदार बताया था.
आनंद गिरि और अन्य दो लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग
अब महंत नरेंद्र गिरि का ये 7 पन्नों का हाथ से लिखा सुसाइड नोट सामने आया है, जिसमें उन्होंने साफ-साफ लिखा है कि पुलिस आनंद गिरि के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे. इसके अलावा उन्होंने ये भी बताया है कि आखिर क्यों उन्हें ऐसा कदम उठाने पर मजबूर होना पड़ा.
सामने आए सुसाइड नोट के मुताबिक, महंत नरेंद्र गिरि ने लिखा है कि,
"मेरी मौत के जिम्मेदार आनंद गिरि, आद्या प्रसाद तिवारी और संदीप तिवारी हैं. प्रयागराज के सभी पुलिस अधिकारी और प्रशासनिक अधिकारियों से अनुरोध करता हूं कि मेरी आत्महत्या के जिम्मेदार इन लोगों पर कानूनी कार्रवाई की जाए, जिससे मेरी आत्मा को शांति मिले."
पहले भी आया आत्महत्या का खयाल
इसके अलावा महंत नरेंद्र गिरि ने अपने इस सुसाइड नोट में ये भी बताया है कि वो पहले 13 सितंबर को आत्महत्या करने जा रहे थे, लेकिन हिम्मत नहीं कर पाए. आगे उन्होंने अपने शिष्य आनंद गिरि पर आरोप लगाया है कि वो उनकी कुछ एडिटेड आपत्तिजनक फोटो जारी करने की धमकी दे रहा था, जिससे परेशान होकर उन्होंने ये कदम उठाया है. उन्होंने कहा कि हरिद्वार से उन्हें इस बात की जानकारी दी गई कि उनकी ऐसी आपत्तिजनक तस्वीरें एक दो दिन में जारी कर दी जाएंगीं, जिसके बाद महंत ने पद की गरिमा का हवाला देते हुए आत्महत्या करने की बात कही है.
उन्होंने आगे अपने सुसाइड नोट में लिखा है कि वो पूरे होशो हबास में ये बता रहे हैं कि, आनंद गिरि ने उन पर मनगढ़ंत आरोप लगाए हैं, तभी से वो मानसिक दबाव में जी रहे थे. जब भी वो अकेले में रहते तो उन्हें जाने की इच्छा होती. इसके अलावा महंत नरेंद्र गिरि ने आद्या प्रसाद तिवारी और संदीप तिवारी पर भी विश्वासघात का आरोप लगाया है.
बता दें कि पुलिस इसी सुसाइड नोट के आधार पर अब आगे की जांच कर रही है. साथ ही इन तीनों लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है. पुलिस का कहना है कि जल्द इस मामले की तह तक पहुंचा जाएगा.
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