अलीगढ़ पुलिस ने 28 मई को अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के दो छात्रों को नागरिकता कानून (CAA) के खिलाफ हुए प्रदर्शन को लेकर गिरफ्तार किया है. छात्रों का नाम फरहान जुबेरी और रविश अली खान है. रविश को स्थानीय पुलिस ने छोड़ दिया है, वहीं फरहान को अलीगढ़ में जेल भेज दिया गया है.
ये गिरफ्तारी देशभर में कई अन्य छात्रों और कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी के बाद हुई है.
फरहान AMU में मास्टर्स इन सोशल वर्क में फाइनल ईयर का स्टूडेंट है, वहीं रवीश इसी कोर्स में बैचलर्स कर रहा है.
फरहान पर दिसंबर में CAA विरोधी प्रदर्शनों में हिस्सा लेने को लेकर लगभग 10-11 आरोप हैं. AMU एक पूर्व-कैबिनेट मेंबर फरहान, रवीश के साथ किसी निजी काम के लिए मद्राक के पास से जा रहा था, जहां आम कपड़ों में खड़ी पुलिस ने उनकी गाड़ी रोक दी.
रविश ने क्विंट को बताया, “हम तेज गाड़ी चला रहे थे, पुलिस ने हमारी गाड़ी रोक दी और हमारी गाड़ी की तरफ इस तरह बैरीकेड फेंके की साइड-व्यू मिरर गिर गया और मेरे हाथ पर लग गया. मुझे चोटें आईं हैं, लेकिन कुछ गंभीर नहीं है.”
रवीश ने कहा कि उसे मालूम था कि पुलिस फरहान को जेल भेज देगी, क्योंकि उसके खिलाफ आोप थे. वहीं, रविश के खिलाफ कोई केस नहीं होने के बावजूद उसे 6 घंटे बाद छोड़ा गया.
“मुझे डर था कि वो मेरे खिलाफ भी चार्ज लगा देंगे क्योंकि मैं भी CAA के खिलाफ प्रदर्शन में शामिल था, और मेरे खिलाफ कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है.”रवीश ने कहा
रवीश ने कहा कि उन्हें यकीन है कि CAA और NRC (नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस) के संबंध में ये गिरफ्तारियां हो रही हैं.
फरहान के खिलाफ हत्या, राजद्रोह का आरोप
CAA के खिलाफ प्रदर्शनों में शामिल फरहान यूनिवर्सिटी के को-ऑर्डिनेशन कमेटी का भी हिस्सा था. फरहान के खिलाफ आईपीसी की धारा 188, 147, 307, 353, 504, 506, 336, 124ए और 153ए के तहत केस दर्ज किया गया है.
फरहान की गिरफ्तारी कंफर्म करते हुए मद्राक पुलिस स्टेशन के एसएचओ ने क्विंट से कहा, "उन पर लगे सभी आरोपों में से फरहान को सात आरोपों में जेल भेजा गया है."
‘पुलिस ने पहले भी धमकाया’
रवीश ने कहा कि उसके पिता भी अलीगढ़ पुलिस में काम करते हैं, इसलिए स्थानीय पुलिस उन्हें पहचानती है. उन्होंने कहा, “CAA विरोधी प्रदर्शनों में शामिल होने को लेकर फरहान और मुझे, दोनों को पुलिस से कई बार वॉर्निंग और धमकियां मिल चुकी हैं.”
रवीश ने दावा किया कि पुलिस ने उससे कहा, “हम तुम्हें जाने दे रहे हैं, लेकिन अपना बर्ताव देखो, नहीं तो हम अगली बार नहीं जाने देंगे.”
AMU के पीआरओ ओमार पीरजादा ने क्विंट को बताया कि यूनिवर्सिटी प्रशासन इस मामले को देख रहा है. उन्होंने कहा, “अगर गिरफ्तारी यूनिवर्सिटी के परिसर के अंदर हुई होती, तो हम अपने प्रोटोकॉल का पालन करते, लेकिन क्योंकि ये बाहर हुआ था, हम बैठक करेंगे और निर्णय लेंगे कि आगे क्या करना है.”
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