अमरनाथ यात्रा को उत्तर भारत की सबसे पवित्र तीर्थयात्रा माना जाता है. इस यात्रा के दौरान लोगों को भारत की कई परंपराओं, धर्मों और संस्कृतियों की झलक देखने को मिलती हैं. लेकिन यात्रा की कठिनाईयां भी कम नहीं है. यात्रा के दौरान उबड़-खाबड़ रास्ते, कभी बर्फ गिरने तो कभी बारिश का सामना करना पड़ता है.
इन सबके बावजूद हर साल भक्तों का एक बड़ा जत्था अमरनाथ दर्शन के लिए रवाना होता है. जून से लेकर अगस्त महीने तक दर्शन के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं.
कहा रहते हैं बाबा बर्फानी?
- श्रीनगर से करीब 145 किलोमीटर की दूरी पर अमरनाथ गुफा हिमालय पर्वत श्रेणियों में स्थित है.
- समुद्र तल से 3,978 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह गुफा 160 फुट लम्बी,100 फुट चौड़ी और काफी ऊंची है.
- अमरनाथ गुफा हिन्दुओं का प्रमुख तीर्थस्थल है. प्राचीनकाल में इसे ‘अमरेश्वर’ कहा जाता था.
कैसे पहुंचे अमरनाथ
जम्मू तक रेल से या निजी वाहनों से पहुंचा जा सकता है. जम्मू से श्रीनगर तक सिर्फ सड़क मार्ग से ही जाया जाता है. जम्मू तक देश के हर बड़े नगर से ट्रेन आती है. जम्मू से चलने के बाद पहलगाम पहुंचना पड़ता है. पहलगाम से गुफा तक की दूरी लगभग 51 किलोमीटर है. पहलगाम से चंदनवाड़ी तक 17 किलोमीटर मार्ग पर चार पहिया वाहन जैसे जीप, सूमो, ट्रैक्स इत्यादि चलती हैं. चंदनवाड़ी से चार किलोमीटर की दूरी पर है- पिस्सू टॉप. पिस्सू टॉप की चढ़ाई लगभग एक किलोमीटर है. इसके आगे का दुर्गम मार्ग अमरनाथ गुफा तक जाता है. ज्यादातर लोग इसे पैदल ही तय करते हैं.
दूसरा तरीका यह है कि दर्शनार्थी हवाई मार्ग से श्रीनगर तक आ सकते हैं. इससे आगे पंजतरणी तक हेलिकॉप्टर से पहुंच सकते हैं. इसके लिए किराया भी निर्धारित किया गया है. नीलग्रंथ-पंजतरणी-नीलग्रंथ सेक्टर मार्ग पर एक तरफ की हेलिकॉप्टर यात्रा का शुल्क 2,000 रुपये रखा गया है, जबकि पहलगाम-पंजतरणी-पहलगाम सेक्टर मार्ग पर यात्रा शुल्क 4,300 रुपये है, जिनमें 12.6 प्रतिशत का सेवा शुल्क शामिल है.
यात्रियों को मिलती हैं सुविधाएं
- अमरनाथ श्राइन बोर्ड यात्रियों के लिए बीमा करती है. इसमें दुर्घटना के कारण यात्रियों की मौत होने पर 1 लाख तक का बीमा करवाया जाता है.
- यात्रा पर जाने के पहले यात्रा शुरू होने की तय तारीख से पहले रजिस्ट्रेशन करना जरूरी होता है. रजिस्ट्रेशन के लिए कुछ ही बैंक की शाखाएं अधिकृत होती है.
- यात्रियों के लिए शेषनाग ,पंचतरणी में सरकार विशेष दुकानें खोलती है, जहां से यात्री कम कीमत पर राशन, लकड़ी खरीद सकते हैं.
- किराए पर ठहरने के लिए जगह-जगह पर टेंट, शिविर लगाए जाते हैं.
सरकारी विभागों के अधिकारी और कर्मचारी यात्रियों की पर्याप्त सेवा और मार्गदर्शन के लिए उपलब्ध होते हैं. वे यात्रियों की हर सुविधा का ध्यान रखते हैं. रास्ते के सारे पड़ावों पर खान-पान के अलावा चिकित्सा सुविधाओं का भी प्रबंध होता है.
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