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Andhra Pradesh में 13 नए जिले बनाने की क्या है असली वजह?

जारी किए गए ड्राफ्ट अधिसूचना में कहा गया था कि बेहतर प्रशासन और विकास के हित में उठाया जा रहा है.

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आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) में 13 नए जिलों का गठन कर दिया गया है, जिसके बाद राज्य में कुल जिलों की संख्या 26 हो गई है. आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी (YS Jagan Mohan Reddy) ने सोमवार को नए जिलों का शुभारंभ किया. रिपोर्ट्स के मुताबिक नए जिलों के गठन को लेकर प्रक्रिया पहले ही पूरी हो चुकी थी. शनिवार, 2 अप्रैल को जारी की गई एक अधिसूचना में कहा गया था कि 4 अप्रैल से ये जिले अस्तित्व में आ जाएंगे.

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ये हैं 13 नए जिले:

  1. पार्वतीपुरम मान्यम

  2. अनकपल्ली

  3. अल्लूरी सीताराम राजू

  4. काकीनाडा

  5. कोनसीमा

  6. एलुरु

  7. पलनाडु

  8. बापटला

  9. नंद्याला

  10. श्री सत्य साईं

  11. श्री बालाजी

  12. अन्नामय

  13. एनटीआर

TDP के संस्थापक एनटीआर के नाम पर जिले का नाम

सरकार द्वारा लिए गए फैसले का एक दिलचस्प हिस्सा ये है कि एनटीआर जिले का नाम तेलुगू देशम पार्टी के संस्थापक और संयुक्त आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय एनटी रामाराव के नाम पर रखा गया है.

तिरुपति का तीर्थ नगर एक नया जिला श्री बालाजी

तिरुपति संसदीय क्षेत्र को अब एक नया जिला बनाया गया है और तिरुमाला के भगवान वेंकटेश्वर के नाम पर श्री बालाजी जिले का नाम दिया गया है.

हिंदूपुर संसदीय क्षेत्र को श्री सत्य साईं के नाम से एक नए जिले में परिवर्तित कर दिया गया है, जिसका जिला मुख्यालय पुट्टपर्थी है.

महान क्रांतिकारी के नाम पर अल्लूरी जिले का नाम

अल्लूरी सीताराम राजू, जिले नाम एक महान क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी के नाम पर रखा गया है, जिसका हेडक्वार्टर पडेरू था. अल्लूरी का जन्म 4 जुलाई 1897 को विशाखापट्टणम जिले के पांड्रिक गांव में हुआ था, उनके पिता अल्लूरी वेंकट रामराजू ने बचपन से ही सीताराम राजू को यह बताकर क्रांतिकारी संस्कार दिए कि अंग्रेजों ने ही हमें गुलाम बनाया है और वे हमारे देश को लूट रहे हैं. सीताराम राजू के दिल में उनके पिता की ये बात घर कर गई और उन्होंने देश के आजादी आंदोलन में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा की.

संगीतकार के नाम पर अन्नामय्या जिले का नाम

अन्नामय्या जिले का नाम मशहूर संगीतकार अन्नमाचार्य के नाम पर रखा गया है, जिनका जन्म 1408 ई. के दौरान आंध्र प्रदेश में कड़प जिले के राजमपेट तालुका के तलपक गांव में हुआ था. वो प्रभु श्रीवेंकटेश्वर के भक्त थे, उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन भगवान तिरुपति को ही समर्पित कर दिया. अन्नमाचार्य ने तेलगू भाषा में सुंदर भक्ति संगीत की रचना की थी.

पार्वतीपुरम मान्यम

इस जिले के अंतर्गत राज्य के कोटिया इलाके के 28 गांवों को सम्मिलित किया गया है. पार्वतीपुरम मान्यम जिले के गठन का मतलब है कि पार्वतीपुरम शहर अब कोटिया इलाके के नए मुख्यालय के रूप में कार्य करेगा. कोटिया इलाके के इन 28 राजस्व गांवों में से 21 पर नियंत्रण को लेकर आंध्र प्रदेश और ओडिशा के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा है.

बता दें कि आंध्र प्रदेश में महापुरुषों के नाम पर जगहों का नाम रखने की पुरानी परंपरा है, जो कई सालों से चली आ रही है.

नए जिले बनाने का क्या कारण है?

मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी ने सोमवार को कहा कि विकेंद्रीकरण और छोटी एडमिनिस्ट्रेटिव यूनिट्स से प्रशासन बेहतर ढंग से, पारदर्शिता और कल्याण के प्रभावी ढंग से चलाया जा सकेगा. जनवरी में जारी ड्राफ्ट अधिसूचना में कहा गया था कि बेहतर प्रशासन और विकास के हित में उठाया जा रहा है.

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मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के 13 जिलों में से प्रत्येक में औसतन 38.15 नागरिक हैं, जो कि बहुत अधिक संख्या है. अब यह संख्या नए जिलों के निर्माण के साथ घटकर 19.07 लाख हो गई है. उन्होंने आगे कहा कि अरुणाचल प्रदेश जैसे छोटे राज्य में भी बेहतर प्रशासन के लिए 25 जिले हैं.

कलेक्टरों की भूमिका और दायरा केवल रेवेन्यू कलेक्ट करने से लेकर कल्याणकारी योजनाओं के जमीन पर लागू होने और लोगों तक पहुंचाने तक फैला है. सभी 26 जिला कलेक्टरों का ध्यान अब सतत विकास लक्ष्यों (SDG) को पूरा करने पर होना चाहिए.
वाईएस, जगनमोहन रेड्डी

किन जिलों के बॉर्डर्स में आया बदलाव?

  • श्रीकाकुलम, प्रकाशम और नेल्लोर जिलों को छोड़कर बचे 10 मौजूदा जिलों को दो या अधिक जिलों में बांटा गया है.

  • विजयनगरम जिले को पूरी तरह से आदिवासी जिला बनाने के लिए पार्वतीपुरम मान्यम के रुप में विभाजित किया गया है.

  • विशाखापट्टनम से अनाकापल्ली और अल्लूरी सीताराम राजू नाम के दो नए जिलों को बनाया गया है. अल्लूरी जिला, अरकू संसदीय क्षेत्र का हिस्सा भी पूरी तरह से आदिवासी है और 1922 के रम्पा आदिवासी विद्रोह का नेतृत्व करने वाले महान स्वतंत्रता सेनानी के नाम पर रखा गया है.

  • पूर्वी गोदावरी के मौजूदा जिले को तीन भागों में बांटा गया है. जिसमें से काकीनाडा और कोनसीमा नाम के दो नए जिले अस्तित्व में आए हैं.

  • एलुरु जिले को पश्चिम गोदावरी जिले से अलग कर बनाया गया है.

  • गुंटूर जिले को तीन भागों में बांटा गया है, जिसमें दो नए जिले पलनाडु और बापटला अस्तित्व में आए हैं.

  • नंदलाया जिलो को कुरनूल से अलग करके बनाया गया है.

  • श्री सत्य साईं जिले को अनंतपुर से निकाला गया है.

  • चित्तूर से श्री बालाजी जिला बनाया गया है. इसमें तिरुमाला के ऊपर स्थित भगवान वेंकटेश्वर का प्रसिद्ध मंदिर और तीर्थ नगरी तिरुपति होगा.

  • अन्नामाया जिले को कडप्पा से अलग कर बनाया गया है.

  • एनटीआर का नया जिला है, जो मौजूदा जिले कृष्णा से बनाया गया है.

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मुख्यमंत्री रेड्डी ने सोमवार को कहा कि उनकी सरकार ने नायडू के अनुरोध के मद्देनजर कुप्पम जिले को रेवेन्यू डिवीजन का दर्जा भी दिया है, जहां से टीडीपी प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू विधायक हैं. रेड्डी ने कहा कि उनकी सरकार ने वह किया जो नायडू 14 साल तक मुख्यमंत्री रहने के बावजूद नहीं कर सके.

कैसे आया अधिक जिले बनाने का आइडिया?

मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी ने पिछले काफी वक्त पहले कहा था कि राज्य में कई बड़े जिलों के बजाय छोटे जिले होने चाहिए. 2019 के विधानसभा चुनावों से पहले उन्होंने वादा किया था कि अगर युवजन श्रमिक रायथू कांग्रेस पार्टी (YSRCP) सत्ता में आती है, तो राज्य में संसदीय क्षेत्रों के आधार पर नए जिले बनाए जाएंगे. बता दें कि आंध्र प्रदेश में कुल 25 लोकसभा क्षेत्र हैं.

इस साल अपने गणतंत्र दिवस के संबोधन में, आंध्र प्रदेश के राज्यपाल बिस्वभूषण हरिचंदन ने प्रस्ताव के बारे में बताया था और कहा था कि नए जिले अप्रैल के पहले सप्ताह में तेलुगु नव वर्ष तक बनाए जा सकते हैं.

इसके तुरंत बाद सरकार ने आंध्र प्रदेश जिला (गठन) अधिनियम- 1974 के तहत एक ड्राफ्ट अधिसूचना जारी की, जिसमें कहा गया था कि मौजूदा जिलों की सीमाओं को जिलों या राजस्व प्रभागों की संख्या को दोगुना करके फिर से तैयार किया जाएगा.

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