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अन्ना हजारे को फडणवीस ने पिलाया पानी, 7 वें दिन खत्म हुआ अनशन

अन्ना ने 23 मार्च को रामलीला मैदान में सशक्त लोकपाल की मांग को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ आंदोलन शुरू किया था

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भारत
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केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ अनशन कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने गुरुवार को अनशन तोड़ दिया है. मोदी सरकार ने सात दिन से अनशन पर बैठे अन्ना हजारे की सारी मांगे मान ली हैं. इसका ऐलान खुद रामलीला मंच से अन्ना ने किया है.

महाराष्ट्र मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अन्ना को पानी पिलाकर अनशन खत्म कराया. उनके साथ मंच पर केंद्रीय कृषि मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत भी थे.

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अन्ना हजारे ने कहा कि वह सरकार को मांगों को पूरा करने के लिए अगस्त तक छह महीने का वक्त दे रहे हैं साथ ही चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगे पूरी नहीं की गईं तो सितंबर में उनका अनशन दोबारा शुरू होगा.

23 मार्च को शुरू हुआ था आंदोलन

अन्ना हजारे ने 23 मार्च को ऐतिहासिक रामलीला मैदान में सशक्त लोकपाल की मांग को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ आंदोलन शुरू किया था. इसी दिन ब्रिटिश शासन में भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दी गई थी.

भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने वाले अन्ना हजारे ने भले ही 2013 में लोकपाल बिल पास करवाकर उस वक्त की जंग जीत ली थी, लेकिन बिल पास होने के 5 साल बाद भी लोकपाल और लोकायुक्त की नियुक्ति नहीं हुई. जिसे लेकर अन्ना दोबारा अनशन पर थे.

अन्ना के अनशन का मकसद केंद्र में लोकपाल और राज्यों में लोकायुक्त की नियुक्ति, नए चुनाव सुधार, देश में कृषि संकट को हल करने के लिए स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू करने के लिए दबाव बनाना था.
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अन्ना हजारे ने साल 2011 में अरविंद केजरीवाल के साथ मिलकर भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ा आंदोलन किया था, जिसने देश के जन-जन की भावनाओं को छुआ था. समूचा देश आंदोलित हो उठा था. वह आंदोलन कांग्रेस सरकार के खिलाफ था. ये आंदोलन बीजेपी सरकार के खिलाफ है.

बता दें कि साल 2011 के मुकाबले अन्ना के इस बार के आंदोलन में लोगों की भीड़ काफी कम रही.

अन्ना आंदोलन से ही आम आदमी पार्टी का हुआ था जन्म

अन्ना हजारे के 2011 के आंदोलन से आम आदमी पार्टी (आप) का जन्म हुआ था, जो इस समय दिल्ली में सत्तारूढ़ है. अन्ना के उस आंदोलन ने कांग्रेस की अगुवाई वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) को 2014 के आम चुनाव में सत्ता से हटाने में बड़ा योगदान दिया था. इसके बाद बीजेपी केंद्र की सत्ता में आई.

गांधीवादी अन्ना ने बीते महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर केंद्र में लोकपाल की नियुक्ति में रुचि न दिखाने का आरोप लगाया था. उन्होंने कहा कि मोदी कभी लोकपाल के बारे में गंभीर नहीं रहे.

अन्ना हजारे ने कहा कि लोकपाल की नियुक्ति के पीछे देरी का कारण यह है कि प्रधानमंत्री को डर है कि एक बार इसका वजूद बन जाने के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय और उनके कैबिनेट के सदस्य इसके दायरे में आ जाएंगे.

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