सेना में महिला अधिकारियों की एक और जीत हुई है, जिसके तहत केंद्र सरकार (Central Government) 10 दिनों के अंदर 11 और महिला अधिकारियों को परमानेंट कमीशन जारी करेगी.
शुक्रवार, 12 अक्टूबर के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र को आदेश दिया कि उन सभी अफसरों को तीन सप्ताह के भीतर स्थायी कमीशन दिया जाए, जो पात्रता मानदंडों को पूरा करती हैं और कोर्ट नहीं आ सकी हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वो अधिकारी जिन्हें कमीशन से इनकार किया जाएगा, उन्हें एक मौखिक आदेश जारी किया जाना चाहिए.
अदालत ने ये भी कहा कि जिन अधिकारियों के पास विजिलेंस और अनुशासनात्मक क्लीयरेंस हैं, वो स्थायी कमीशन की हकदार होंगी.
सुप्रीम कोर्ट द्वारा सेना को अदालत की अवमानना का दोषी ठहराने की चेतावनी के बाद केंद्र ने नरमी बरती है.
केंद्र सरकार ने कहा है कि, जिन्होंने अदालत का दरवाजा खटखटाया था, उन अधिकारियों को 10 दिनों के भीतर स्थायी कमीशन जारी किया जाएगा.
इससे पहले 22 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को 39 महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन जारी करने का निर्देश दिया था. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने चेतावनी दी थी कि मैं आपको सतर्क कर रहा हूं कि हम सेना को अवमानना का दोषी ठहराएंगे. उन्होंने कहा था कि सेना अपने अधिकार में सर्वोच्च हो सकती है लेकिन देश की संवैधानिक अदालत अपने अधिकार क्षेत्र में सर्वोच्च है.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र सरकार की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल संजय जैन ने अदालत को बताया कि 72 महिला अधिकारियों में से एक ने रिलीज मांगी है.
35 याचिकाकर्ताओं में से 21 को स्थायी कमीशन दे दिया गया है.
उन्होंने आगे बताया कि, इसके बाद 14 अधिकारियों में से तीन अफसर मेडिकल रूप पर अस्वस्थ पायी गई हैं. बची हुई 11 अधिकारियों को दस दिनों के भीतर स्थायी कमीशन दिया जाएगा. जो महिला अधिकारी कोर्ट नही आई हैं और वो एलिजिबल हैं, उन सभी को 20 दिनों में कमीशन देने पर विचार किया जाएगा.
क्या होता है स्थायी कमीशन
स्थायी कमीशन (Permanent Commission) का मतलब होता है- सेना में रिटायरमेंट तक के लिए करियर. शॉर्ट सर्विस कमीशन 10 साल के लिए है, जिसमें 10 साल के अंत में स्थायी कमीशन छोड़ने या चुनने का विकल्प होता है. यदि किसी अधिकारी को स्थायी कमीशन नहीं मिलता है तो अधिकारी चार साल का एक्टेंशन ले सकता है.
सेना में कुल 71 महिला शॉर्ट सर्विस कमीशन अधिकारी हैं, जिन्हें स्थायी कमीशन से वंचित कर दिया गया था. सभी महिला अधिकारी इस साल अगस्त में स्थायी कमीशन की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट गईं, जिसमें रक्षा मंत्रालय के खिलाफ, कोर्ट के मार्च 2021 के फैसले का पालन नहीं करने के लिए अवमानना कार्यवाही की मांग की गई थी.
फैसले में सेना को निर्धारित मानदंडों को पूरा करने वाली सभी महिला शॉर्ट सर्विस कमीशन अधिकारियों (WSSCO) को स्थायी कमीशन देने के लिए निर्देशित किया गया था.
कोर्ट ने इस कवायद को पूरा करने के लिए सरकार को तीन महीने का समय दिया था. उस समय सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि महिला अधिकारियों को परमानेंट कमीशन देने के लिए सेना के मूल्यांकन मानदंड में उनके साथ भेदभाव किया गया था.
सभी महिला अधिकारी जिन्होंने अपने मूल्यांकन में 60 प्रतिशत अंक प्राप्त की हैं, वे स्थायी कमीशन के लिए एलिजिबल हैं, जो सेना के 1 अगस्त, 2020 के आदेश द्वारा निर्धारित चिकित्सा मानदंडों को पूरा करने और अनुशासनात्मक व विजिलेंस मंजूरी प्राप्त करने के अधीन हैं.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)