कलकत्ता हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार के उस नोटिस पर रोक लगा दी है, जिसमें पोलैंड के छात्र को देश छोड़कर जाने के निर्देश दिए गए थे. केंद्र सरकार ने कोलकाता की जादवपुर यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले एक पोलिश छात्र से भारत को छोड़ने के लिए कहा था. फॉरनर रिजनल रजिस्ट्रेशन ऑफिस (FRRO) ने 14 फरवरी को छात्र को कोलकाता में नागरिकता कानून के खिलाफ एक प्रदर्शन में हिस्सा लेने के लिए ‘भारत छोड़ो नोटिस’ जारी किया था.
जस्टिस सब्यसाची भट्टाचार्य ने 18 मार्च तक सरकार के नोटिस पर रोक लगाई है. 18 मार्च को कोर्ट छात्र की याचिका पर आदेश सुनाएगा.
पोलैंड के सेजसीन का रहने वाला कामिल सिडज्योंस्की जादवपुर यूनिवर्सिटी में डिपार्टमेंट ऑफ कंपैरिटिव लिट्रेचर में मास्टर्स की पढ़ाई कर रहा है. वो 2016 से भारत में पढ़ाई कर रहा है.
पोलैंड के नागरिक के आग्रह का विरोध करते हुए केंद्र सरकार ने कोर्ट से कहा कि छात्र वीजा होल्डर होने के कारण कोई भी विदेशी भारत की संसद से पारित कानून को चुनौती नहीं दे सकता है.
छात्र ने किया वीजा नियमों का उल्लंघन?
केंद्र सरकार के वकील फिरोज एडुल्जी ने कहा कि कोई विदेशी नागरिक संविधान के आर्टिकल 19 को चुनौती नहीं दे सकता है, क्योंकि ये उस पर लागू नहीं होता है. एडुल्जी ने कहा कि FRRO ने फील्ड रिपोर्ट के आधार पर उसे नोटिस जारी किया.
हाईकोर्ट में सिडज्योंस्की ने याचिका दायर कर नोटिस पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने की मांग की, जिसमें उसे नोटिस मिलने के 14 दिनों के अंदर भारत छोड़ने के लिए कहा गया है. क्योंकि उसे 24 फरवरी को नोटिस मिला, इसलिए उसे 9 मार्च तक भारत छोड़ना पड़ता.
नोटिस में सिडज्योंस्की पर आरोप लगाया गया कि वो सरकार विरोधी गतिविधियों में शामिल था और इस प्रकार उसने वीजा नियमों का उल्लंघन किया, जिससे छात्र ने इंकार किया है.
छात्र के वकील ने कहा- अखबार ने छापे गलत बयान
सिडज्योंस्की के वकील जयंत मित्रा ने कोर्ट में कहा कि 19 दिसंबर 2019 को जब वो बाहर निकला तो जादवपुर यूनिवर्सिटी के छात्रों ने उसे शहर के न्यू मार्केट इलाके में एक कार्यक्रम में साथ चलने के लिए कहा. मित्रा ने कहा कि पता चला कि कार्यक्रम शांतिपूर्ण प्रदर्शन था, जिसमें समाज के विभिन्न तबके के लोग शामिल थे. उन्होंने दावा किया कि छात्र जल्द ही अन्य छात्रों से अलग हो गया और सड़क किनारे दर्शक की तरह खड़ा हो गया.
छात्र ने दावा किया कि एक शख्स ने उससे कुछ सवाल पूछे और उसकी फोटो भी खींची और बाद में पता चला कि वो एक बंगाली अखबार का फोटो जर्नलिस्ट है, जिसमें उसकी फोटो और कुछ संबंधित खबरें छपीं. मित्रा ने दावा किया कि अखबार में उसके हवाले से कुछ गलत बयान जारी हुए.
(भाषा के इनपुट्स के साथ)
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