दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को 2000 रुपये के नए नोट और नोटबंदी के निर्णय को वापस लेने के लिए दायर याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया है. अदालत इस मामले पर 8 दिसंबर को सुनवाई करेगी.
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी. रोहिणी की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, “हम लोग इस मामले को आठ दिसंबर तक के लिए टालते हैं और केंद्र की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का इंतजार करते हैं.”
अदालत का यह आदेश कई जनहित याचिकाओं की सुनवाई करते हुए आया, जिसमें नोटबंदी के कई नियमों को चुनौती दी गई है.
हाईकोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार की उस याचिका पर विचार कर रहा है, जिसमें उसने सरकार के बड़े नोटों को बंद करने के फैसले के खिलाफ कई हाईकोर्ट और अन्य अदालतों में दायर मामलों की कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की है.
याचिका में नोटबंदी को 'मनमाना' और 'असंवैधानिक' बताया
ये याचिकाएं कई लोगों ने दायर की हैं. इनमें से एक दिल्ली की फैशन डिजाइनर पूजा महाजन भी हैं, जिन्होंने अपनी याचिका में सरकार के इस फैसले को मनमाना और असंवैधानिक करार दिया है.
याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार ने 8 नवंबर को भारतीय रिजर्व बैंक कानून के तहत दो अधिसूचनाएं जारी कीं.
पहली अधिसूचना से 500 और 1000 रुपये के नोटों पर प्रतिबंध लगाया गया और दूसरी अधिसूचना से इन नोटों को सरकारी अस्पतालों, दवा की दुकानों, रेलवे के टिकट आदि के लिए फिर से वैध किया गया. ये दोनों अधिसूचनाएं एक-दूसरे का खंडन करती हैं.
इसमें कहा गया है कि दूसरी अधिसूचना ने पहली को खारिज कर दिया, इसलिए 500 और 1000 रुपये के नोट को हर हाल में वैध मुद्रा के रूप में स्वीकार किया जाना चाहिए.
याचिका में नोटबंदी को कानून के खिलाफ बताया
याचिका में 2000 रुपये का नोट जारी करने की संवैधानिक वैधता पर सवाल उठाया गया है.
याचिका में कहा गया है कि 2000 के नोट को जारी करने की अधिसूचना कानून की धारा 24 के तहत खराब है, क्योंकि धारा 24 (2) में कहा गया है कि बैंक नोट जारी करने या वितरित करने के बारे में इस तरह की कोई अधिसूचना नहीं जारी की जा सकती.
-इनपुट आईएएनएस से
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