उत्तराखंड के लिपुलेख क्षेत्र में बनाई गई नई सड़क पर नेपाल के विरोध को लेकर सेना प्रमुख एमएम नरवणे ने बिना नाम लिये चीन को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने साफ कहा कि, लिपुलेख में सड़क निर्माण पर नेपाल किसी और के इशारे पर आपत्ति जता रहा है. जबकि ये उनके क्षेत्र में नहीं है.
चीन में कैलाश मानसरोवर मार्ग के साथ उत्तराखंड में लिपुलेख दर्रे को जोड़ने वाली नई सड़क का उद्घाटन 8 मई को हुआ. नेपाल ने इसका विरोध किया है और क्षेत्र में सुरक्षा चौकी लगाने पर भी विचार कर रहा है.
एक थिंक टैंक के वेबिनार के दौरान चीन का नाम लिए बिना जनरल नरवणे ने कहा,
“नेपाल ने किसी और के इशारे पर इस मुद्दे को उठाया होगा. ये विश्वास रखने का कारण है और ये बहुत संभव है.”
सेना प्रमुख से लिपुलेख मुद्दे और वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत और चीन के सैनिकों के बीच विभिन्न जगहों पर विवादों के बीच किसी भी संभावित संबंध पर टिप्पणी करने के लिए कहा गया था.
नेपाल के साथ नहीं था कोई विवाद
जनरल नरवणे ने कहा, "जहां तक
लिपुलेख दर्रे का संबंध है, वहां कोई विरोधाभास नहीं था. क्योंकि नेपाली राजदूत ने खुद उल्लेख किया था कि पूर्व में काली नदी उनका है और इसमें कोई विवाद नहीं है." उन्होंने कहा,
“काली नदी का पूर्वी क्षेत्र उनका है और सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) की निर्मित सड़क नदी के पश्चिम में है. इसलिए, मुझे नहीं पता कि वे वास्तव में किस बारे में आंदोलन कर रहे हैं.”
सिक्किम और लद्दाख में हुई झड़प का आपस में कनेक्शन नहीं
इससे पहले आर्मी चीफ नरवणे ने लद्दाख और सिक्किम सीमा पर हुई झड़प को लेकर कहा था कि, ये दोनों मुद्दे आपस में किसी तरह से जुड़े नहीं हैं. उन्होंने कहा कि, सीमा की निगरानी करने वाले सैनिकों के बीच अस्थायी और छोटी झड़प नई बात नहीं है. एलएसी पर ये अलग-अलग कारणों से होती है, जिसका हल नहीं होता है. ये सिर्फ मौके की बात है कि पूर्वी लद्दाख और सिक्किम दोनों स्थानों पर एक ही समय में मामले सामने आए. दोनों घटनाओं का मौजूदा घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्थितियों से कोई संबंध नहीं है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)