मौत की उमर क्या है? दो पल भी नहीं,
जिंदगी सिलसिला, आज कल की नहीं...
भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी न सिर्फ प्रखर राजनेता थे बल्कि कलम के जादूगर भी थे. उन्होंने अपने जीवनकाल में कई कविताएं लिखी. बतौर पीएम और नेता उन्हें जनता का जितना प्यार मिला उतना ही प्यार और सम्मान उनकी कविताओं को भी मिला. जीवन का नजरिया बदले वाली उनकी कविताओं ने लोगों को आगे बढ़ने की प्रेरणा दी. अटल के जन्मदिन पर एक बार फिर उनकी कविताओं का याद करते हैं.
देशप्रेम से लेकर मौत को चैलेंज करने वाली अटल की कविताएं किसी के भी रोंगटे खड़े करने के लिए काफी हैं. वाजपेयी 1991, 1996, 1998, 1999 और 2004 में लखनऊ से लोकसभा सदस्य चुने गए. बतौर प्रधानमंत्री अपना 5 साल का कार्यकाल पूरा करने वाले वो पहले और अभी तक एक मात्र गैर-कांग्रेसी नेता थे.
ऐसे तो उन्होंने बहुत सी कविताएं लिखी हैं, लेकिन उनकी कविता संग्रह 'मेरी 51 कविताएं' खासा लोकप्रिय है. हम उनकी कुछ कविताओं का याद कर रहे हैं
मौत से ठन गई...
गीत नहीं गाता हूं...
गीत नया गाता हूं...
दुनिया का इतिहास पूछता...
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