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जब खाने के शौकीन अटल जी बोले-मैं खुद बनाऊंगा गोलगप्पे   

जानिए ‘खाने के शौकीन’ अटल बिहारी वाजपेयी की शख्सियत के कई दिलचस्प पहलू

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भारत
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मार्ग्रेट थैचर और बिल क्लिंटन से लेकर इंदिरा गांधी और रानी एलिजाबेथ द्वितीय तक के लिए खाना बनाने वाले मशहूर शेफ सतीश अरोड़ा ने अपने लगभग पांच दशक लंबे करियर में कई हस्तियों को अपने हाथ से बनी डिश का जायका चखाया है. उनमें से एक थे दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी.

अटल जी के निधन के शोक में डूबे करोड़ों लोगों के बीच सतीश अरोड़ा ने उनसे जुड़ी अपनी यादों को साझा किया और 'खाने के शौकीन' अटल जी की शख्सियत के कई अनछुए पहलुओं को उजागर किया.

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जानिए ‘खाने के शौकीन’ अटल बिहारी वाजपेयी की शख्सियत के कई दिलचस्प पहलू
2001 में केरल के ताज कुमारकोम रिजॉर्ट एंड स्पा में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ शेफ सतीश अरोड़ा. इस तस्वीर को वाजपेयी ने तारीख के साथ ऑटोग्राफ किया था.
(फोटो: क्विंट)  

प्लेन के अंदर पहली मुलाकात

उन दिनों सतीश अरोड़ा 'ताज एयर कैटरिंग' के प्रमुख हुआ करते थे. ये कंपनी एयर इंडिया की फ्लाइट्स में कैटरिंग की जिम्मेदारी संभालती थी. बीते दिनों को याद करते हुए शेफ अरोड़ा कहते हैं- "मुझे 1977 में वाजपेयी जी से परिचय कराया गया, जब वे न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करने जा रहे थे." (ये वही समय था, जब वाजपेयी ने यूनाइटेड नेशंस असेंबली में पहली बार हिंदी में ऐतिहासिक भाषण दिया था.) हमारी मुलाकात एयर इंडिया के प्लेन में हुई. न्यूयॉर्क में हम वाल्डोर्फ एस्टोरिया होटल में गए. मैं उनका निजी शेफ था."

जानिए ‘खाने के शौकीन’ अटल बिहारी वाजपेयी की शख्सियत के कई दिलचस्प पहलू
अटल बिहारी वाजपेयी ने 1977 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में हिंदी में अपना भाषण दिया था. 
(फोटो: ट्विटर)  

वाजपेयी ने की थी खाने की तारीफ

सतीश बताते हैं, "न्यूयॉर्क में हम आम तौर पर भारतीय व्यंजन बनाते थे. मिसाल के तौर पर शाम के दौरान हमने पोहे, उपमा, पकौड़ा, समोसा, कबाब जैसे स्नैक्स बनाए. इनमें बहुत कम तेल था. मेरे साथ दो शेफ और थे. हमें अमेरिकी रसोई से अच्छा सहयोग मिला. हमने कार्यक्रम को ध्यान में रखते हुए उन्हें पहले से ही किचन के लिए जरूरी सामग्री की एक लिस्ट भेज दी थी. सम्मेलन के अंत में जब हम लौट रहे थे, तो वाजपेयी जी ने विमान में एक प्रेस ब्रीफिंग की थी और वहां उन्होंने इस बात का जिक्र किया कि, 'मेरे साथ आए सभी लोगों का बहुत अच्छी तरह ख्याल रखा गया, खासतौर पर खान-पान के मामले में'.

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केरल में मिला दूसरा मौका

साल 2000 में वाजपेयी आयुर्वेदिक तरीकों से अपने घुटने का इलाज करवाने केरल के कुमारकोम आए थे, उस वक्त वे ताज रिजॉर्ट में रुके थे. शेफ अरोड़ा कहते हैं कि तब वाजपेयी लगभग एक हफ्ते तक वहां ठहरे थे और उन्हें उनके खान-पान की जिम्मेदारी दी गई थी. इस दौरान उन्हें वाजपेयी को करीब से जानने का मौका मिला.

“मुझे याद है, एक बार चाट फेस्टिवल चल रहा था और मैं उनके लिए पानी पूरी तैयार करना चाहता था, लेकिन उन्होंने कहा, ‘सतीशजी, मैं अपना गोलगप्पा खुद बनाऊंगा. इतना कह कर वह पूरी में छोले और आलू भरने लगे. वहां मौजूद सभी तरह की सहायता के बावजूद उन्होंने अपनी पानी पूरी खुद तैयार की और उसने वाकई में इसका भरपूर आनंद लिया.” 
-सतीश अरोड़ा, शेफ  
जानिए ‘खाने के शौकीन’ अटल बिहारी वाजपेयी की शख्सियत के कई दिलचस्प पहलू
पानीपूरी खाने के दौरान वाजपेयी की एक तस्वीर 
(फोटो: ट्विटर)

अरोड़ा के मुताबिक वाजपेयी उनसे काफी बातचीत किया करते थे. अरोड़ा बताते हैं-  "उन्होंने मेरे जैसे साधारण आदमी से मेरे परिवार के बारे में पूछा. एक बार उन्होंने मुझसे पूछा, "आप शेफ कैसे बने? आपको खाना पकाने का शौक कैसे आया?'

श्रीलंका में तीसरी मुलाकात

सतीश याद करते हुए बताते हैं कि वाजपेयी से उनकी अगली मुलाकात तब हुई जब वे सार्क सम्मेलन में शिरकत करने श्रीलंका की राजधानी कोलम्बो गए. उस समय ये सम्मेलन ताज समुद्र होटल में था. एक बार फिर वाजपेयी के खान-पान की जिम्मेदारी उन्हें सौंपी गयी. हमेशा की तरह वाजपेयी यहां भी बेहद विनम्र थे. सतीश अरोड़ा के मुताबिक अटल जी को शाकाहारी खाना पसंद था, हालांकि कभी-कभी वे कॉन्टिनेंटल फूड भी खाते थे.

“यह देखकर मुझे बड़ा ताज्जुब हुआ कि एक बार वाजपेयी जी ने मुझे बुलाकर अपने पास बिठाया और मेरी बनाई हुई ‘खीर’ के बारे में पूछा. शायद उन्हें वो खीर पसंद आयी थी. वे पूछने लगे- ‘ये आप कैसे बनाते है?’ खीर उनके पसंदीदा व्यंजनों में से एक था. लेकिन मेरी राय में, वे निश्चित तौर पर खाने-पीने के शौकीन थे. शायद उन्हें ये भी पता था कि खीर कैसे बनाई जाती है. ठीक वैसे ही जैसे वे कविता लिखने में श्रेष्ठ थे.”
-सतीश अरोड़ा, शेफ  
जानिए ‘खाने के शौकीन’ अटल बिहारी वाजपेयी की शख्सियत के कई दिलचस्प पहलू
खाना बनाते हुए अटल बिहारी वाजपेयी की एक दुर्लभ तस्वीर
(फोटो: ट्विटर)  

इसके बाद सतीश ने वाजपेयी के साथ मिस्र और ईरान की यात्रा भी की. वाजपेयी के निधन पर दुख जताते हुए वे कहते हैं, "मैं बस इतना कह सकता हूं कि जब वाजपेयी जी का अंतिम संस्कार चल रहा था, तो सचमुच उस महान आदमी को याद करके मेरी आंखों में आंसू थे. उस वक्त ये सारे किस्से, इतिहास और तस्वीरें मेरी आंखों के आगे आ रहे थे."

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