राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने से पहले अयोध्या जिला प्रशासन ने टीवी न्यूज चैनलों की डिबेट पर बैन लगा दिया है. जिला प्रशासन ने कानून - व्यवस्था बनाए रखने के लिए टीवी चैनलों को सार्वजनिक स्थानों पर संवेदनशील मुद्दों को लेकर बहस करने से प्रतिबंधित कर दिया है.
जिला प्रशासन ने टेलीविजन चैनलों को बहस में अयोध्या मामले के पक्षकारों को बुलाने पर भी रोक लगा दी है.
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अयोध्या में दशकों पुराने मंदिर-मस्जिद विवाद में 40 दिनों की सुनवाई पूरी की. ये सुप्रीम कोर्ट के इतिहास की दूसरी सबसे लंबी कार्यवाही है. 40 दिनों तक चली सुनवाई में दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद राजनीतिक रूप से संवेदनशील मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.
अयोध्या के जिलाधिकारी अनुज कुमार झा ने बताया-
टेलीविजन चैनलों पर अयोध्या में सार्वजनिक स्थानों पर बहस करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, क्योंकि इससे शांति भंग हो सकती है और सांप्रदायिक अशांति हो सकती है. हमने अयोध्या में प्रतिबंधात्मक आदेशों को लागू किया है.
हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि टीवी बहस पर प्रतिबंध लगाने का कोई लिखित आदेश जारी नहीं किया गया है. उन्होंने बताया-
सीआरपीसी की धारा 144 के तहत एक जगह पर एक बार में चार या इससे ज्यादा लोगों के जमा होने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. हालांकि, अगर कोई भी टेलीविजन चैनल बहस करना चाहता है, तो वह मजिस्ट्रेट की पूर्व अनुमति से निजी परिसर में ऐसा कर सकता है.
जिलाधिकारी ने बताया, ‘सार्वजनिक स्थानों पर टीवी चैनलों पर प्रतिबंध लगाने का यह आदेश किसी भी तरह से समाचार रिपोर्टिंग को प्रभावित नहीं करेगा.’
पक्षकारों को बहस के लिए ना बुलाएं टीवी चैनल
जिला प्रशासन की ओर से टीवी चैनलों को एक आवेदन पत्र जारी किया गया है जो अयोध्या में सार्वजनिक बहस आयोजित करने के इच्छुक हैं. आवेदन पत्र के तीसरे पॉइंट में कहा गया है, "विवाद के वादियों को बहस के लिए नहीं बुलाया जाएगा."
डिप्टी डायरेक्टर, इंफॉर्मेशन, मुरलीधर सिंह ने बताया, ‘हमने ऐसा इसलिए किया क्योंकि इस तरह की बहस के दौरान अगर पक्षकारों के साथ कोई अप्रिय घटना होती है, तो एक बहुत बड़ी समस्या होगी. इसलिए हमने टीवी चैनलों से कहा है कि वे अयोध्या के किसी भी पक्षकार को बहस के लिए आमंत्रित न करें.’
उन्होंने कहा, "हमने टीवी चैनलों को भी चेतावनी दी है कि वे किसी भी धर्म या समुदाय पर टिप्पणी न करें. अगर कुछ भी गलत होता है, तो आवेदक को जिम्मेदार ठहराया जाएगा."
NBSA ने भी टीवी चैनलों को जारी किए निर्देश
न्यूज ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी (NBSA) ने सभी टेलीविजन चैनलों को राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले पर रिपोर्टिंग करते समय "सावधानी" बरतने और "भड़काऊ बहस" से बचने की सलाह दी है, जिससे तनाव पैदा होने की संभावना है.
न्यूज चैनलों के लिए सेल्फ-रेगुलेटिंग बॉडी, एनबीएसए, ने चैनलों को यह भी सलाह दी कि बाबरी मस्जिद के विध्वंस की कोई फुटेज अयोध्या मामले से संबंधित किसी भी न्यूज आइटम में नहीं दिखाई जानी चाहिए.
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