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अयोध्या केस: विवादित स्थल पर देवताओं की मूर्ति मिली-रामलला के वकील

‘रामलला विराजमान’ की ओर से दलील दी गयी कि विवादित स्थल पर देवताओं की अनेक आकृतियां मिली हैं.

Published
भारत
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अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद की सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सातवें दिन की सुनवाई के दौरान 'रामलला विराजमान' की ओर से दलील दी गयी कि विवादित स्थल पर देवताओं की अनेक आकृतियां मिली हैं. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ से ‘राम लला विराजमान’ की ओर से वरिष्ठ वकील सी एस वैद्यनाथन ने अपनी दलीलों के समर्थन में विवादित स्थल का निरीक्षण करने के लिये अदालत  की ओर से नियुक्त कमिश्नर की रिपोर्ट के अंश पढ़े.

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सुप्रीम कोर्ट इस समय अयोध्या में 2.77 एकड़ विवादित भूमि के मालिकाना हक के मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट के सितंबर, 2010 के फैसले के खिलाफ दायर अपीलों पर सुनवाई कर रही है. संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस धनंजय वाई चन्द्रचूड, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर शामिल हैं.

कोर्ट में वकील ने क्या कहा

संविधान पीठ से वैद्यनाथन ने कहा कि अदालत के कमिश्नर ने 16 अप्रैल, 1950 को विवादित स्थल का निरीक्षण किया था और उन्होंने वहां भगवान शिव की आकृति वाले स्तंभों की मौजूदगी का ब्यौरा अपनी रिपोर्ट में पेश किया था. वैद्यनाथन ने कहा कि मस्जिद के खंबों पर नहीं, बल्कि मंदिरों के स्तंभों पर ही देवी देवताओं की आकृतियां मिलती हैं. उन्होंने 1950 की निरीक्षण रिपोर्ट के साथ स्तंभों पर उकेरी गयी आकृतियों के वर्णन के साथ अयोध्या में मिला एक नक्शा भी पीठ को सौंपा. उन्होने कहा कि इन तथ्यों से पता चलता है कि यह हिन्दुओं के लिये धार्मिक रूप से एक पवित्र स्थल था.

वैद्यनाथन ने ढांचे के भीतर देवाओं के तस्वीरों का एक एलबम भी पीठ को सौंपा और कहा कि मस्जिदों में इस तरह के चित्र नहीं होते हैं.
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हिन्दुओं की आस्था और विश्वास का हवाला

इससे पहले बुधवार को भी सुप्रीम कोर्ट में ‘राम लला विराजमान’ की ओर से दलील दी गई कि यह हिन्दुओं की आस्था और विश्वास है कि अयोध्या ही भगवान राम का जन्मस्थल है और उनका जन्म विवादित ढांचे वाले स्थान पर हुआ था. ‘राम लला विराजमान’ की ओर से वरिष्ठ वकील सी एस वैद्यनाथन ने चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ से कहा कि ‘पुराणों’ के अनुसार हिन्दुओं का यह विश्वास है कि भगवान राम का जन्म अयोध्या में हुआ था और कोर्ट को इसके आगे जाकर यह नहीं देखना चाहिए कि यह कितना तर्कसंगत है.

वैद्यनाथन ने अयोध्या प्रकरण की सुनवाई में छठे दिन बुधवार को बहस शुरू करते हुये 1608-1611 के दौरान भारत आये अंग्रेज व्यापारी विलियम फिंच के यात्रा वृतांत का उल्लेख किया जिसमे दर्ज किया गया था कि अयोध्या में एक किला या महल था जहां, हिन्दुओं का विश्वास है कि भगवान राम का जन्म हुआ था.

ऐतिहासिक तथ्यों से दी गई दलीलें

वैद्यनाथन ने अयोध्या के ही भगवान राम का जन्म स्थान होने के बारे मे लोगों की आस्था को लेकर जोर देते हुये अपनी दलीलों के समर्थन में ब्रिटिश सर्वेक्षक मोन्टगोमेरी मार्टिन और मिशनरी जोसेफ टाइफेन्थर सहित अन्य के यात्रा वृत्तांतों का भी जिक्र किया. सुनवाई के दौरान पीठ ने वैद्यनाथन से जानना चाहा, ‘‘पहली बार कब इसे बाबरी मस्जिद नाम से पुकारा गया?’’ वैद्यनाथन ने इस पर कहा, ‘‘19वीं सदी में. ऐसा कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं है जिससे पता चले कि इससे पहले (19वीं सदी से पहले) इसे बाबरी मस्जिद के नाम से जाना जाता था.’’ इस पर पीठ ने सवाल किया, ‘‘क्या ‘बाबरनामा’ इस बारे में खामोश है?’’

वैद्यनाथन ने जब यह कहा कि ‘बाबरनामा’ इस बारे में खामोश है तो पीठ ने सवाल किया, ‘‘ऐसा कौन सा तथ्यपरक सबूत उपलब्ध है कि बाबर ने इसे (मंदिर) गिराने का निर्देश दिया था?’’ इस पर राम लाल विराजमान की ओर से वैद्यनाथन ने कहा कि बाबर ने अपने सेनापति को यह ढांचा गिराने का हुक्म दिया था.

एक मुस्लिम पक्षकार की ओर से वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने ‘बाबरनामा’ में बाबर की अयोध्या यात्रा के बारे में कोई जिक्र न होने के वैद्यनाथन के कथन पर आपत्ति की. धवन ने कहा कि ‘बाबरनामा’ में इस बात का उल्लेख है कि बाबर ने अयोध्या के लिये नदी पार की और इस किताब के कुछ पन्ने नदारद भी हैं.

बहस के दौरान वैद्यनाथन ने कहा कि इसे लेकर दो कथन हैं - पहला बाबर द्वारा मंदिर गिराने के बारे में और दूसरा मुगल शासक औरंगजेब द्वारा इसे गिराने के बारे में. लेकिन मस्जिद पर लिखी इबारत से पता चलता है है कि बाबर ने विवादित जगह पर तीन गुंबद वाले ढांचे का निर्माण कराया था.

(इनपुट : भाषा)

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