राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद को लेकर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई हुई. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षकारों को दशकों पुराने इस विवाद को मैत्रीपूर्ण तरीके से मध्यस्थता के जरिये निपटाने की संभावना तलाशने का सुझाव दिया था. कोर्ट ने कहा था कि अगर मामला मध्यस्थता के जरिए निपटता है, तो सुप्रीम कोर्ट उसमें मदद करने के लिए तैयार है.
सुनवाई के दौरान जस्टिस एसए बोबड़े ने कहा है कि ये मामला जमीन से नहीं, बल्कि भावनाओं से जुड़ा हुआ है, इसलिए इसका हल आपसी सहमति से ही निकलना चाहिए. उन्होंने कहा कि मध्यस्थता को गोपनीय रखना चाहिए, क्योंकि इससे जुड़ी बातें बाहर आने पर विवाद की स्थिति पैदा हो सकती है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह एक आदेश पारित करेगा कि क्या संविधान पीठ अयोध्या विवाद मामले की सुनवाई जारी रखेगी या फिर से इसे एक छोटी बेंच के पास वापस भेजा जाएगा.
जानें कोर्ट की सुनवाई से जुड़ी बड़ी बातें
- सुनवाई की शुरुआत में हिंदू महासभा ने सुप्रीम कोर्ट के सामने अपना पक्ष रखते हुआ कहा कि जनता मध्यस्थता के लिए तैयार नहीं होगी. इस पर जस्टिस बोबड़े ने हिंदू महासभा से कहा, "आप कह रहे हैं कि समझौता फेल हो जाएगा. आप प्री जज कैसे कर सकते हैं?
- जस्टिस बोबड़े ने कहा, "जो पहले हुआ, उस पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं. विवाद में अब क्या है हम इस पर बात कर रहे हैं. कोई भी उस जगह पर बने और बिगड़े मन्दिर, मस्जिद और इतिहास को बदल नहीं सकता. सिर्फ आपसी बातचीत से ही इसका हल निकल सकता है.
- मुस्लिम पक्षकार की ओर ओर से राजीव धवन ने कहा कि यह कोर्ट के ऊपर है कि मध्यस्थ कौन हो. मध्यस्थता कैमरे पर रिकॉर्ड हो. इस पर जस्टिस बोबड़े ने कहा कि यह गोपनीय होना चाहिए. साथ ही उन्होंने कहा कि पक्षकारों द्वारा गोपनीयता का उल्लंघन नहीं होना चाहिए
- जस्टिस बोबड़े ने कहा कि मीडिया में इसकी टिप्पणियां नहीं होनी चाहिए और मध्यस्थता की प्रक्रिया की रिपोर्टिंग न हो. अगर इसकी रिपोर्टिंग हो, तो इसे अवमानना घोषित किया जाए.
- जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि अयोध्या विवाद दो पक्षों के बीच का नहीं, बल्कि यह दो समुदायों से संबंधित है. हम उन्हें मध्यस्थता पर बाध्य कैसे कर सकते हैं? ये बेहतर होगा कि आपसी बातचीत से मसला हल हो, पर कैसे? ये अहम सवाल है.
- इस पर मुस्लिम पक्ष के वकील ने कहा कि हम मध्यस्थता के लिए तैयार हैं. उन्होंने कहा कि मध्यस्थता का सुझाव कोर्ट की तरफ से आया है और बातचीत कैसे होगी, ये कोर्ट को तय करना है.
- हिन्दू पक्ष ने कहा कि मान लीजिये कि सभी पक्षों में समझौता हो गया, तो भी समाज इसे कैसे स्वीकार करेगा? इस पर जस्टिस बोबड़े ने कहा कि अगर समझौता कोर्ट को दिया जाता है और कोर्ट उस पर सहमति देता है और आदेश पास करता है, तब वो सभी को मानना ही होगा.
- रामलला की तरफ से पैरवी कर रहे वकील सीएस वैद्यनाथन ने कहा कि श्रीराम की जन्मभूमि वाली जगह आस्था से जुड़ी है. इस पर समझौता नहीं किया जा सकता, हम और कहीं भी मस्जिद के निर्माण के लिए चंदा जुटाने को तैयार हैं. इस पर जस्टिस बोबड़े ने कहा कि आप अपना यह पक्ष मध्यस्थता के दौरान रख सकते हैं.
- चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने सभी पक्षकारों से कहा कि वह इस मामले में जल्द से जल्द फैसला सुनाना चाहते हैं. इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षकारों से आज ही मध्यस्थों के नाम सुझाने के लिए कहा.
- हिंदू महासभा की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में मध्यस्थता के लिए तीन नाम दिए गए. इनमें पूर्व CJI दीपक मिश्रा, जस्टिस एके पटनायक और जस्टिस जेएस खेहर का नाम शामिल है. मध्यस्थता के लिए निर्मोही अखाड़े की तरफ से भी तीन जजों के नाम दिए गए हैं. इनमें पूर्व जस्टिस कुरियन जोसेफ, पूर्व जस्टिस एके पटनायक और पूर्व जस्टिस जीएस सिंघवी के नाम शामिल हैं.
देखें वीडियो - अयोध्या विवाद के पीछे की पूरी कहानी जानते हैं आप?
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