अयोध्या में राम मंदिर को लेकर देश में अचानक हलचल बढ़ गई है. मंदिर निर्माण को लेकर VHP ने 26 नवंबर को धर्मसभा का आयोजन किया था. मंदिर के नाम पर राजनीतिक पार्टियां वोटरों की लामबंदी में जुटी हैं. लेकिन अयोध्या में मंदिर काम और नाम दोनों से सुस्त है. इसकी बानगी राम मंदिर निर्माण कार्यशाला है.
यहां पिछले 25 सालों से भी ज्यादा वक्त से मंदिर निर्माण के लिए पत्थर तराशे जा रहे हैं. राम मंदिर दर्शन के लिए अयोध्या में जो कोई भी आता है वो इस कार्यशाला में जरूर आता है. पहले यहां पर 60 से 70 कारीगर काम करते थे, अब यहां पर गिने-चुने कारीगर काम में जुटे हैं. हालांकि यहां आने वालों को कारीगर रजनीकांत को देख कर ये तसल्ली जरूर होती है कि- चलिए राम मंदिर निर्माण के लिए कुछ तो हो ही रहा है.
हम जब आए थे तब 50 लोग काम कर रहे थे उसके बाद कम हो गए कारीगर.रजनीकांत, पत्थर कारीगर
पत्थर कारीगरों के मुताबिक 90 के दशक में यहां काम शुरू हुआ था. लेकिन कार्यशाला में रखे गए पत्थर अब काले पड़ने लगे हैं. अयोध्या में रामलला के दर्शन के लिए आने वाले लोग इन पत्थरों को ही अपनी आस्था से जोड़ चुके हैं.
ये उनकी आस्था है, हमारा समाज आस्था पर ही टिका है. जो यात्री आते हैं वो चाहते हैं कि हमारा लिखा हुआ पत्थर राम मंदिर में लगे.रजनीकांत, पत्थर कारीगर
नए मंदिर का भव्य रूप बता गाइडों की भी चांदी है. गाइड भरत पांडेय 18 साल से लोगों को अयोध्या घुमा रहे हैं. सबसे ज्यादा समय कार्याशाला दिखाने में देते हैं लेकिन एक ही जवाब देते-देते थक गए हैं.
जो नए लोग आते हैं वो देखते हैं कि यहां पत्थर तराशा जा रहा है और वहां रामलला का कपड़े का मंदिर बना है. जो लोग दोबारा फिर आते हैं, उनको हम बताते हैं कि ये राममंदिर का कार्यशाला है तो यात्री यही प्रश्न करता है कि बार-बार यही पत्थर दिखाते हैं. रामलला का मंदिर कहां बनेगा, कब बनेगा ये लोग चाहते हैं.भरत पांडेय, गाइड
अयोध्या में धर्मसभा के आयोजन को लेकर सियासी हलचल तेज हुई तो सौहार्द बिगड़ने के भी कयास लगाए जा रहे थे.
लेकिन लोगों का कहना है कि अयोध्या में इसे लेकर अब कोई बवाल नहीं होगा.
अयोध्या में कोई बवाल नहीं होगा, बाहर-बाहर भले चाहे जो हो. अयोध्या के मुसलमान सही हैं, हिंदू सही हैं. जब बाहर से लोग आते हैं तभी दंगा होता है. यहां के लोग सब बहुत सीधे हैं. यहां लोग चाहते हैं कि मंदिर बन जाए, मंदिर के लिए ही इनको(बीजेपी) भारी बहुमत से जिताया गया. इसके बाद भी ये कोई सुनवाई नहीं कर रहे हैं.रामजी पांडेय, निवासी
वहीं अयोध्या निवासी वरिष्ठ पत्रकार त्रियुग नारायण तिवारी कहते हैं कि “अयोध्या के लोग तो इन सब आंदोलनों से ऊब चुके हैं, सच्चाई जानते हैं.”
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)