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बरेली: जहां बवाल हुआ, वहां क्या हाल, "मकान बिकाऊ है" पोस्टर लगाने वालों ने क्या कहा?

बरेली के जोगी नवादा में विवाद हुआ था. 6 अगस्त को वहां से प्रस्तावित कांवड़ यात्रा निकालने की अनुमति को प्रशासन ने रद्द कर दिया है.

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भारत
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यूपी के बरेली (Bareilly) में जोगी नवादा इलाके में कुछ घरों के बाहर 'मकान बिकाऊ हैं' के पोस्टर लगे हैं. इन लोगों का कहना है कि ये लोग यहां से जाना चाहते हैं. 23 जुलाई और 30 जुलाई को कांवड़ यात्रा के दौरान यहां विवाद हो गया था. जोगी नवादा (Jogi Navada) का यह इलाका पुराने बरेली में आता है. मिश्रित आबादी के इस इलाके में 20-22 हजार की आबादी मुस्लिम समुदाय (Muslim Community) की है. जिन लोगों के घरों के बाहर पोस्टर लगे हैं उनसे जानते हैं कि आखिर उन्होंने ये फैसला क्यों लिया?

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"विवाद से बचने के लिए घर छोड़ रहे हैं"

शाह नूरी मस्जिद के पास रहने वाले शाहरुन अल्वी क्विंट हिंदी से बातचीत में बताते हैं कि पिछले हफ्ते हुई घटना के बाद इलाके के लोग डरे हुए हैं, उन्हें अपनी सुरक्षा की चिंता सता रही हैं.

बरेली के जोगी नवादा में विवाद हुआ था. 6 अगस्त को वहां से प्रस्तावित कांवड़ यात्रा निकालने की अनुमति को प्रशासन ने रद्द कर दिया है.

जोगी नवादा के एक मकान के बाहर लगा यह पोस्टर 

(फोटो- क्विंट हिंदी)

जब उनसे पूछा गया कि आखिर घरों के बाहर 'मकान बिकाऊ है' के पोस्टर लगाने की क्या वजह है? तो शाहरुन ने बताया कि इस तरह के विवाद आगे न हो इससे बचने के लिए हम घर छोड़कर जा रहे हैं, अब हमारा घर बिकाऊ है.

शाहरुन ने बताया कि...

"दो तीन हफ्तों से विवाद के कारण कुछ काम धंधा भी नहीं चल रहा हैं, ऐसे ही घर पर बैठे हैं. उन्होंने बताया कि वो अपने परिवार में कमाने वाले अकेले हैं, उन्हें अपने घर परिवार की फिक्र है. वो नहीं चाहते कि यहां रहकर परिवार की जान खतरे में डालें, इसकी वजह से मकान बेचने का कदम उठाया."
शाहरुन

'मकान बिकाऊ' का पोस्टर लगाने वाले नसरत ने बताया कि वो रोज का लगभग 400-500 कमाते हैं और अपना घर चलाते हैं. पिछले दो हफ्तों से कोई कमाई नहीं हो रही है. बच्चों की पढ़ाई का नुकसान हो रहा है, लेकिन क्या कर सकते हैं? बीवी-बच्चों को यहां से दूसरी जगह रिश्तेदारी में भेज दिया है. 

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"तमाम कारीगर यहां से चले गए हैं"

अपने मकान पर बिकाऊ का पोस्टर लगाने वाले एक अन्य व्यक्ति अजीम अल्वी बताते हैं कि...

"यह विवाद महीने में दो बार हो चुका है. महीनों से मेरा काम ठप पड़ा है. कमाएंगे नहीं तो घर परिवार कैसे चलाएंगे? इस विवाद का यहां के लोगों पर बहुत असर पड़ा है. बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं तो बड़े काम पर. सब कुछ बंद पड़ा हुआ है".
अजीम अल्वी

अजीम बताते हैं कि "मैं जरी का काम करता हूं, इस विवाद के बाद तमाम कारीगर अपने अपने घरों पर ताला मारकर दूसरी जगह रहने चले गए हैं. आखिर बच्चों के भविष्य का सवाल, ऐसे माहौल में उन्हें नहीं रख सकते हैं इसलिए घर बेचकर कहीं और जानें का फैसला किया है".

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बरेली के जोगी नवादा में विवाद हुआ था. 6 अगस्त को वहां से प्रस्तावित कांवड़ यात्रा निकालने की अनुमति को प्रशासन ने रद्द कर दिया है.

पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर की कॉपी 

(फोटो- क्विंट हिंदी)

पुलिस ने प्रस्तावित कांवड़ यात्रा कैंसिल कर दी

बारादरी पुलिस चौकी प्रभारी हिमांशु निगम ने बताया कि...

"यहां जो अगली कांवड़ यात्रा होने वाली थी, उसकी परमीशन को प्रशासन की ओर से कैंसिल कर दिया गया है. रही बात पोस्टर लगाने की तो वहां बवाल के बाद यह मामला सामने आया था, फिलहाल वहां शांति है. किसी को अगर कहीं शिकायत हो तो बताए. पुलिस की ओर से वहां के लोगों की सुरक्षा के लिए 500 पुलिस के जवान तैनात हैं."
हिमांशु निगम, बारादरी पुलिस चौकी प्रभारी

जोगी नवादा मे क्या हुआ था ?

30 जुलाई को जोगी नवादा में शोभायात्रा के दौरान विवाद हो गया था. पुलिस ने लाठीचार्ज भी किया था. इस घटना के बाद एसएसपी प्रभाकर चौधरी का ट्रांसफर भी हो गया. इससे पहले भी 23 जुलाई को कांवड़ यात्रा निकालने के दौरान दूसरे समुदाय के लोगों से विवाद हो गया था.

इन दोनों मामलों में पुलिस ने दो अलग-अलग एफआईआर दर्ज की है. पहली एफआईआर 25 जुलाई को जोगी नवादा चौंकी इंचार्ज अमित कुमार की तहरीर पर अज्ञात लोगों के विरुद्ध IPC की धारा 147, 148, 336, 427, 283, आपराधिक कानून अधिनियम की धारा 7, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के तहत दर्ज हुई.

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दूसरी एफआईआर 1 अगस्त को बारादरी थाने के उपनिरीक्षक वकार अहमद की तहरीर पर कुछ अज्ञात लोगों के विरुद्ध IPC की धारा 332, 353, 186, 341 के तहत दर्ज हुई.  पुलिस ने इन मामले में पूर्व पार्षद उस्मान अल्वी, साजिद समेत चार लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है. पुलिस का इन लोगों पर पत्थरबाजी का आरोप है.

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