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ओवैसी की रैली में नारे लगाने वाली अमूल्या को 3 महीने बाद जमानत

अमूल्या पर राजद्रोह और सांप्रदायिक तनाव फैलाने का मामला दर्ज किया गया था

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एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी की रैली में पाकिस्तान जिंदाबाद कहने वाली स्टूडेंट और एक्टिविस्ट अमूल्या लियोना को तीन महीने बाद कोर्ट से जमानत मिल गई है. इस लड़की पर राजद्रोह और सांप्रदायिक तनाव फैलाने का मामला दर्ज किया गया था. कोर्ट के आदेश के बाद अब शुक्रवार 12 जून को उसे जेल से रिहाई मिल सकती है.

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अमूल्या के वकील ने कोर्ट से खारिज हुई याचिका के बाद फिर से मई के आखिरी हफ्ते में अर्जी दाखिल की थी. वकील ने बताया,

“हमने फैसला किया था कि हम मीडिया से इस मामले को लेकर कुछ नहीं कहेंगे. हम शांतिपूर्वक जमानत की पूरी प्रोसेस को करना चाहते थे. शुक्रवार सुबह तक रिलीज ऑर्डर मिल जाएंगे. उसे कुछ शर्तों के साथ जमानत दी गई है.”

अमूल्या ने बेंगलुरु में तीन महीने पहले एक एंटी सीएए इवेंट में हिस्सा लिया था. इस दौरान एआईएमआईएम नेता ओवैसी भी इस रैली में मौजूद थे. ओवैसी के सामने ही इस लड़की ने पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाकर अपनी कुछ बात रखने की कोशिश की, लेकिन तभी उससे माइक छीन लिया गया और पुलिस ने हिरासत में ले लिया.

कोर्ट में इस मामले की पैरवी करने वाले वकीलों में से एक आर प्रसन्ना ने बताया कि अमूल्या की जमानत के लिए कई याचिकाएं दायर की गईं. पुलिस को 60 से 90 दिनों में चार्जशीट फाइल करनी होती है. इस केस में 90 दिन गुजर गए, लेकिन चार्जशीट दायर नहीं हुई. 91वें दिन आरोपी जमानत की हकदार होती है. इसीलिए हमने अलग कोर्ट में जमानत के लिए याचिका दायर की और बुधवार को जमानत देने का फैसला आया.

हाईकोर्ट में भी दायर की थी याचिका

वकील ने बताया कि उनकी तरफ से हाईकोर्ट में भी जमानत याचिका दायर की गई थी. लेकिन इसे वापस लेना पड़ा. उन्होंने कहा,

सेशंस कोर्ट के सामने लगाई गई जमानत याचिका काफी लंबे समय से लंबित पड़ी थी. हमने ये कोरोना वायरस और लॉकडाउन से पहले ही दायर कर दी थी, लेकिन तत्काल सुनवाई के लिए बार-बार कहे जाने के बावजूद इसे सुना नहीं गया. इसीलिए हम हाईकोर्ट पहुंच गए. लेकिन जज ने हमें कहा कि केस वापस ले लीजिए नहीं तो ये रद्द हो जाएगी. इसीलिए हमने इसे वापस ले लिया.

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