कांग्रेस (Congress) की भारत जोड़ो यात्रा (Bharat Jodo Yatra) के एक साल बाद दूसरी भारत जोड़ो यात्रा शुरू हुई है. इसका नाम - 'भारत जोड़ो न्याय यात्रा' (Bharat Jodo Nyay Yatra) है जो 66 दिनों तक चलेगी. यह यात्रा पूर्वोत्तर भारत के मणिपुर (Manipur) से शुरू हुई है जो पश्चिम की ओर बढ़ेगी और महाराष्ट्र के मुंबई में समाप्त होगी.
क्या इससे लोकसभा चुनावों से पहले कांग्रेस और इंडिया गंठबंधन को मदद मिलेगी? यात्रा को लेकर कौन से फैक्टर काम कर रहे हैं और कौन से नहीं? चलिए ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब देने की कोशिश करते हैं.
यात्रा के पक्ष में क्या काम कर रहा है?
1. 'भारत जोड़ो यात्रा'- ये ब्रांड अब सभी तक पहुंच चुका है
पहली भारत जोड़ो यात्रा के बाद, दूसरी यात्रा - 'न्याय यात्रा' क्या है, ये लोगों को बताने की जरूरत नहीं पड़ेगी. अब अधिकतर लोग इस यात्रा के आईडिया से वाकिफ हैं.
2. कांग्रेस को मिलेंगी सुर्खियां
ऐसे समय में जब बीजेपी सरकार पहले ही सुर्खियों में छाई रहती है - खासकर राम मंदिर और आने वाले बजट के कारण, तो इस समय 'भारत जोड़ो न्याय यात्रा' के कारण कांग्रेस को सुर्खियां मिलने के आसार हैं. अगर पहले वाली भारत जोड़ो यात्रा की बात करें तो वो सुर्खियां बटोरने में सफल हुई थी और शायद ये भी इस मामले में सफल हो सकती है.
3. यह कांग्रेस कार्यकर्ताओं और एंटी बीजेपी वोटर्स का मनोबल बढ़ाएगी
कांग्रेस सूत्र बताते हैं कि एमपी, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मिजोरम में दिसंबर 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में हार के बाद कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरा हुआ है. पार्टी को उम्मीद थी कि तीन राज्यों में जीत मिलेगी लेकिन केवल तेलंगाना में ही जीत मिल पाई.
कांग्रेस उन तीनों राज्यों को हार गई जहां उसका मुकाबला सीधे तौर पर बीजेपी से था.
सूत्र ने आगे कहा कि इससे ये संकेत गया कि अगर विधानसभा चुनाव में बीजेपी से कांग्रेस नहीं जीत पा रही है तो लोकसभा में पार्टी कैसे टक्कर देगी जहां मुकाबला सीधे पीएम नरेंद्र मोदी से होगा.
इस यात्रा से कांग्रेस कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ेगा. वहीं एंटी बीजेपी वोटर्स के बीच भी संदेश जाएगी कि कांग्रेस कड़ी टक्कर दे रही है.
कांग्रेस ने यात्रा से पहले कई नागरिक समाज संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की और भारत जोड़ो यात्रा की तरह ही उनके समर्थन से इस यात्रा को भी मदद मिल सकती है.
4. मणिपुर से यात्रा की शुरुआत - अच्छा निर्णय है
मणिपुर हिंसा को आठ महीने हो चुके हैं और ये अभी भी पूरी तरह से शांत नहीं हुई है. एक अनुमान के मुताबिक, 175 लोगों की मौत की आशंका है और हजारों लोग अपना घर छोड़ चुके हैं.
मणिपुर के कई लोगों ने राज्य सरकार पर सवाल उठाए इसलिए मणिपुर को केंद्र सरकार के हस्तक्षेप की जरूरत थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इसलिए मणिपुर से कांग्रेस द्वारा अपनी यात्रा शुरू करना एक अच्छा कदम है. देश को 'एकजुट' करने की कोई भी कोशिश, मणिपुर में तनाव कम करने से शुरू होनी चाहिए.
भारत जोड़ो न्याय यात्रा के पक्ष में कौन से फैक्टर काम नहीं कर रहे हैं?
1. यात्रा का काफी ज्यादा मुल्यांकन होगा
पहली भारत जोड़ो यात्रा चुनाव के समय थी. तब गुजरात और हिमाचल में चुनाव था लेकिन दोनों जगहों से यात्रा नहीं निकली थी. इसलिए उस यात्रा को आंकने के लिए चुनावी नतीजे देखने का कोई मतलब नहीं है.
लेकिन ये न्याय यात्रा लोकसभा चुनाव के कुछ ही महीने पहले शुरू हुई है. इसलिए इस यात्रा की सफलता को चुनावी नतीजों पर आंका जाएगा.
पहली यात्रा के दौरान कांग्रेस का यह तर्क था कि "इसका लक्ष्य चुनाव नहीं है". लेकिन न्याय यात्रा के समय वह तर्क काम नहीं करेगा. वैसे देखें तो, पहली यात्रा के विपरीत, कांग्रेस नेता सक्रिय रूप से न्याय यात्रा को चुनावी परिणामों से अलग करने की कोशिश नहीं कर रहे हैं.
ऐसे में अगर लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की सीटें नहीं बढ़ी तो सवाल उठेंगे कि क्या यात्रा निकालने का विचार सही था?
2. यात्रा का संदेश साफ नजर नहीं आता
चुनाव के नजरिए से इस यात्रा का संदेश थोड़ा अस्पष्ट दिखाई पड़ता है. 'न्याय' और 'एकता' जैसे टर्म में ज्यादा दम नहीं दिख रहा और इसके इर्द-गिर्द वोट जुटाना आसान नहीं लगता.
चुनावी नजरिए से, बेहतर होता कि यात्रा आजीविका और रोजगार जैसे मुद्दों पर ज्यादा ध्यान केंद्रित करती.
हालांकि कांग्रेस का दावा है कि ये मुद्दे यात्रा के दौरान भी उठाए जाएंगे, लेकिन ये यात्रा के नाम या इसके संदेश का हिस्सा नहीं हैं. इसलिए यात्रा के दौरान केवल चर्चा करना ही पर्याप्त नहीं होगा.
3. INDIA गठबंधन का क्या?
ये यात्रा 'इंडिया' गठबंधन के कॉर्डिनेशन के बिना शुरू की गई है, इससे वोटर्स को संदेश पहुंचाने में उलझन हो सकती है. ऐसा प्रतीत होता है कि यह इंडिया गठबंधन के सहयोगियों को ध्यान में रखे बिना, राहुल गांधी को विपक्ष के चेहरे के रूप में पेश करने का कांग्रेस का तरीका है.
फिर उत्तर प्रदेश का एक अलग मुद्दा है. यदि कोई ध्यान से इस यात्रा के रूट को देखे तो पश्चिम बंगाल और बिहार जैसे राज्यों में इसका रूट बहुत लंबा नहीं है जहां इंडिया गठबंधन के दलों की सरकार है.
हालांकि, उत्तर प्रदेश में यात्रा का रूट बढ़ाकर कांग्रेस ने एक बड़ा कदम उठाया है. यह पश्चिम की ओर बढ़ने के बजाय उत्तर की ओर कई सौ किलोमीटर तक जाएगी.
इसे अखिलेश यादव के साथ सीट बंटवारे पर बातचीत के दौरान कड़ी सौदेबाजी करने की कांग्रेस की चाल के रूप में देखा जा रहा है.
4. संसाधनों का इस्तेमाल
भारत जोड़ो न्याय यात्री जैसी बड़ी यात्रा में भारी संसाधन शामिल होते हैं. वैसे भी बीजेपी की तुलना में कांग्रेस के पास संसाधनों की काफी कमी है. इसलिए, कांग्रेस में ऐसा वर्ग भी है जो तर्क दे रहा है कि पार्टी को आम चुनाव से पहले संसाधनों को अधिक रणनीतिक रूप से उपयोग करने की जरूरत है क्योंकि न्याय यात्रा जैसी बड़ी यात्रा पार्टी के खजाने पर बोझ डालेगी.
इस यात्रा की जिम्मेदारी उस राज्य की कांग्रेस ईकाई पर होगी जिस राज्य में ये यात्रा पहुंचेगी. इसका मतलब यह भी होगा कि कांग्रेस इकाइयों को यात्रा से लेकर चुनाव तक लगातार काम करना होगा.
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