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कौन थे भैय्यू जी महाराज, इनके रसूख के बारे में जान लीजिए

क्या था भैय्यू जी महाराज होने का मतलब क्यो थे इतने खास

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भारत
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भैय्यू जी महाराज ने खुद को गोली मारकर खुदकुशी कर ली. मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात के राजनीतिक दलों में वे खासा रसूख रखते थे. भैय्यू जी के बारे में जानने वालों का तो ऐसा ही मानना है.

भैय्यू जी महाराज का पूरा नाम उदय सिंह देशमुख है. उन्हें गृहस्थ संत माना जाता था, लेकिन आध्यत्मिक गुरु बनने से पहले 21 साल की उम्र में उन्होंने कुछ वक्त के लिए मॉडलिंग भी की थी.

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भैय्यू जी महाराज होने का मतलब

क्या था भैय्यू जी महाराज होने का मतलब क्यो थे इतने खास
भैय्यू जी महाराज का पूरा नाम उदय सिंह देशमुख है
(फोटोः Facebook)

भैय्यू जी मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में लोगों के बीच जाने-जाते थे, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर उनकी पहचान बनी 2011 दिसंबर में, जब उन्होंने अन्ना और सरकार के बीच बातचीत की भूमिका निभाई और अन्ना का अनशन खत्म कराया. तब महाराष्ट्र के नेता और केंद्रीय मंत्री रहे विलासराव देशमुख के कहने पर भैय्यू जी मध्यस्थ बने थे.

बीजेपी के शीर्ष नेताओं के बीच उनका उठना-बैठना रहा. उन्हें सरसंघचालक मोहन भागवत का करीबी माना जाता था. इसके अलावा शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे भी उनको तरजीह देते थे.

भैय्यू जी महाराज राजनीतिक संपर्क में कैसे आए

मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में रहने वाले भैय्यू जी महाराज का राजनीति से जुड़ने का महाराष्ट्र कनेक्शन है. उनका पैतृक गांव महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले में आता है. ऐसे में उनका अपने गांव में आना-जाना रहता था. राजनीतिक नेताओं से संपर्क कांग्रेस नेता अनिल देशमुख के जरिए हुआ. साल 1995 में वो महाराष्ट्र के नेता अनिल देशमुख के जरिए महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख से जुड़े. मराठा होने के नाते भी भैय्यू जी का प्रभाव महाराष्ट्र की राजनीति में रहा है.

विलासराव देशमुख से नजदीकी

कहा जाता है कि पूर्व सीएम विलासराव देशमुख से नजदीकी की वजह से भैय्यू जी की महाराष्ट्र के राजनीतिक गलियारों में तेजी से पैठ बढ़ी. 2000 में जब विलासराव मुख्यमंत्री थे, तब भैय्यू जी का अधिकतर समय महाराष्ट्र में ही गुजरता था. उस वक्त उन्हें महाराष्ट्र में राजकीय अतिथि का दर्जा भी दिया गया था.

कांग्रेस के नेता तो भैय्यू जी से प्रभावित थे ही, एनसीपी और बीजेपी के नेता भी उन्हें सम्मान देते रहे हैं. बीजेपी नेता गोपीनाथ मुंडे और नितिन गडकरी से भी उनकी नजदीकियां रही हैं.

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शिवसेना सुप्रीम उद्धव ठाकरे के भी करीबी

क्या था भैय्यू जी महाराज होने का मतलब क्यो थे इतने खास
भैय्यू जी महाराज शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के काफी करीबी हैं
(फोटोः PTI)

साल 2008 से भैय्यू जी शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के काफी करीबी हो गए. बाला साहब ठाकरे और उद्धव, दोनों नियमित तौर पर भैय्यू जी से अपने घर मातोश्री में मिला करते थे. बाला साहब के निधन के वक्त भी भैय्यू जी के मार्गदर्शन में ही बाला साहब का अंतिम संस्कार किया गया और वो पूरे वक्त उद्धव ठाकरे परिवार के साथ मौजूद रहे.

ये तक कहा जाने लगा कि इंदौर के सर्वोदय आश्रम (भैय्यू जी का आश्रम) से कह दिया जाए, तो शिवसेना में टिकट मिलने की गारंटी.

भैय्यू जी के दर पर नेता क्यों जाते हैं

भैय्यू जी का इस्तेमाल नेता संकटमोचक के तौर पर भी किया करते थे. साल 2011 में अन्ना हजारे का आंदोलन खत्म कराने में मध्यस्थता की. एमएनएस अध्यक्ष राज ठाकरे भी भैय्यू जी के भक्तों में जाना जाते हैं. हालांकि राज ठाकरे की नजदीकी कुछ साल पहले से भी बढ़ी है.

क्या था भैय्यू जी महाराज होने का मतलब क्यो थे इतने खास
मोहन भागवत और भैय्यू जी महाराज के सम्बन्ध बेहद घनिष्ठ बताये जाते हैं
(फोटोः फेसबुक)

फिलहाल RSS प्रमुख मोहन भागवत और भैय्यू जी के सम्बन्ध बेहद घनिष्ठ बताये जाते हैं. करीब-करीब सभी राजनीतिक दलों के नेताओं से उनके संपर्क हैं. यही वजह है कि किसी भी पार्टी के नेता भैय्यू जी की आलोचना करने से बचते रहे.

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आलीशान लाइफस्टाइल

भैय्यू जी के बारे में मशहूर है कि वो महंगी लग्जरी कारों और स्विस घड़ियों के शौकीन हैं. कुछ साल पहले उनकी पहली पत्नी का देहांत होने के बाद उन्होंने दूसरी शादी की. वो अक्सर कहते हैं, सबकी पहली जिम्मेदारी परिवार है, उसके बाद समाज.

ये भी पढ़ें- भैय्यू जी महाराज ने खुद को मारी गोली, हॉस्पिटल में मौत

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