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भैय्यू जी महाराज ने खुदकुशी की, सुसाइड नोट और पिस्‍टल जब्‍त

गोली मारने का कारणों का नहीं चल सका है अब तक पता

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भारत
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मध्यप्रदेश के आध्यात्मिक गुरु भैय्यू जी महाराज ने कथित तौर पर गोली मारकर खुदकुशी कर ली है. उन्हें गंभीर हालत में इंदौर के बॉम्बे हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था. जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.

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पुलिस को सुसाइड नोट मिला है, जिसमें लिखा है- ‘मैं बहुत परेशान होकर दुनिया छोड़ रहा हूं, मौत के बाद मेरे परिवार का खयाल रखें’. पुलिस के मुताबिक, भैय्यू जी पारिवारिक विवाद की वजह से काफी तनाव में चल रहे थे, खुदकुशी की यही वजह है. पुलिस इस मामले में भैय्यू जी के परिवारवालों से भी पूछताछ करेगी.

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भैय्यू जी के मौत की सीबीआई जांच हो: मध्यप्रदेश कांग्रेस

मध्यप्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता मनक अग्रवाल ने भैय्यू जी के मौत की सीबीआई जांच की मांग की है. उन्होंने कहा कि भैय्यू जी महाराज के ऊपर राज्य सरकार के समर्थन का काफी दबाव था, लेकिन उन्होंने इससे इनकार कर दिया था. वो काफी मानसिक दबाव में थे.

नितिन गडकरी, शिवराज ने जताया शोक

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और एमपी के सीएम भैय्यू जी महाराज के अचानक निधन पर शोक जताया है. शिवराज सिंह ने लिखा है

संत भय्यू जी महाराज को श्रद्धांजलि. देश ने संस्कृति,ज्ञान और सेवा की त्रिवेणी व्यक्तित्व को खो दिया. आपके विचार अनंत काल तक समाजद को मानवता की सेवा के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करेंगे.

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रिपोर्ट्स के मुताबिक, भैय्यू जी महाराज ने अपने बंगले के दूसरी मंजिल पर खुद को गोली मार ली. बताया जा रहा है कि पिछले तीन दिनों से पारिवारिक विवाद की वजह से वह काफी परेशान थे.

अभी कुछ महीने पहले शिवराज सरकार ने मध्यप्रदेश में जिन पांच संतों को राज्य मंत्री का दर्जा दिया था, भैय्यू जी महाराज भी उनमें से एक थे. हालांकि उन्होंने उसे ठुकरा दिया था.

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कौन थे भैय्यू महाराज?

शुजालपुर के एक किसान परिवार में जन्मे भैय्यू जी महाराज का असली नाम उदयसिंह देखमुख है. उनका मुख्य आश्रम इंदौर स्थित बापट चौराहे पर है. सदगुरु दत्त धार्मिक ट्रस्ट उनकी देखरेख में संचालित होता है.

पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल, पीएम नरेंद्र मोदी, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री विलासराव देखमुख, शरद पवार, लता मंगेशकर, उद्धव ठाकरे, राज ठाकरे, आशा भोंसले, अनुराधा पौंडवाल, फिल्म एक्टर मिलिंद गुणाजी जैसी हस्तियां पहले उनके आश्रम आते रहे हैं. अन्ना हजारे के नेतृत्व में इंडिया अगेंस्ट करप्शन (आईएसी) जब अपने चरम पर था तब उन्होंने मध्यस्थ की भूमिका भी निभायी थी.

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