भीमा-कोरेगांव हिंसा के मामले में पांच सामाजिक कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारियों को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई टल गई है. अब अगली सुनवाई 17 सितंबर को होगी. हिंसा की साजिश रचने और नक्सलवादियों से संबंध रखने के आरोप में पुणे पुलिस ने 28 अगस्त को देश के अलग-अलग हिस्सों से गौतम नवलखा, वारवारा राव, सुधा भारद्वाज, अरुण फरेरा और वरनोन गोंजालवेस को गिरफ्तार किया था.
भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में नजरबंद हैं पांच सामाजिक कार्यकर्ता
अब अगली सुनवाई 17 सितंबर को
तब तक घर में ही नजरबंद रहेंगे सभी कार्यकर्ता
29 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने इन गिरफ्तारियों पर रोक लगा दी थी
कार्यकर्ताओं पर हिंसा भड़काने और नक्सलवादियों से संबंध के आरोप
सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई 17 सितंबर को
भीमा-कोरेगांव हिंसा के मामले में पांच सामाजिक कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारियों को चुनौती देने वाली याचिका पर आज सुनवाई टल गई है. अब सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में 17 सितंबर को सुनवाई होगी. तब तक सभी कार्यकर्ता अपने घर में ही नजरबंद रहेंगे.
भीमा कोरेगांव गिरफ्तारी केसः CJI की बेंच में सुनवाई
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ इस मामले की सुनवाई करेगी. इस सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट को तय करना है कि इन पांचों कार्यकर्ताओं को नजरबंद रखा जाए या पुलिस हिरासत में भेजा जाए.
सरकार को सुप्रीम कोर्ट की फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि असहमति लोकतंत्र का सेफ्टी वॉल्व है, अगर इसे हटा दिया गया तो लोकतंत्र का प्रेशर कुकर फट जाएगा.
भीमा कोरेगांव गिरफ्तारी केसः क्या है मामला
भीमा कोरेगांव हिंसा की साजिश रचने और नक्सलवादियों से संबंध रखने के आरोप में पुणे पुलिस ने बीती 28 अगस्त को देश के अलग-अलग हिस्सों से वामपंथी विचारक गौतम नवलखा, वारवारा राव, सुधा भारद्वाज, अरुण फरेरा और वरनोन गोंजालवेस को गिरफ्तार किया था.
इसके बाद 29 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने इन गिरफ्तारियों पर रोक लगा दी और अगली सुनवाई तक हिरासत में लिये गए सभी मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को अपने ही घर में नजरबंद रखने के लिए कहा है.