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मंदी की दवाई जरा देर से आई, क्विंट ने पहले ही बताया था इलाज 

देखिए- सरकार ने मंदी से निपटने के लिए क्या ऐलान किए?

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मंदी से निपटने के लिए सरकार ने कारोबारियों को बड़ी सौगात दी है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने GST काउंसिल की बैठक से ठीक पहले कॉरपोरेट टैक्स में भारी छूट का ऐलान किया है.

वित्त मंत्री ने GST काउंसिल की बैठक से पहले गोवा की राजधानी पणजी में प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस प्रेस कांफ्रेंस में उन्‍होंने मंदी से निपटने के लिए कंपनियों पर लगने वाले कॉरपोरेट टैक्स को घटाने का ऐलान किया.

सरकार ने मंदी से निपटने के लिए बड़े कदम तो उठाए हैं, लेकिन देर से. द क्विंट ने पहले ही सलाह दी थी कि अगर सरकार मंदी से निपटना चाहती है तो उसे बड़े कदम उठाने होंगे.

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देखिए- क्विंट ने क्या कहा था?

गिरती अर्थव्यवस्था को थामने के लिए सरकार जब छोटे मोटे ऐलान कर रही थी, तभी द क्विंट के एडिटोरियल डायरेक्टर संजय पुगलिया ने सरकार को सलाह दी थी कि, ‘मौजूदा हालात थोड़े इमरजेंसी वाले हैं. इसलिए अब होम्योपैथी का उपचार नहीं चलेगा, सरकार को अब ऐलोपैथी के इंजेक्शन का इस्तेमाल करना चाहिए. सरकार को समझना होगा कि जीडीपी का गिरकर 5 फीसदी पर पहुंचना, उसके लिए वेकअप कॉल है.’

उन्होंने कहा था कि-

“इकनॉमी का कॉन्फिडेंस बढ़ाने के लिए सरकार को अपनी जेब खोलने की जरूरत है. GST घटाइए, डायरेक्ट टैक्स घटाइए, इंट्रेस्ट रेट घटाइए ताकि लोग लोन लेने के लिए प्रेरित हों. एक्सपर्ट सुझाव दे रहे हैं कि मिनिमम वेज बढ़ाएं.”

सरकार ने अब क्या ऐलान किए हैं?

  • कॉरपोरेट टैक्स में 10 परसेंटेंज प्वॉइंट्स तक की कमी
  • मिनिमम अल्टरनेट टैक्स में 3.5 परसेंटेज प्वॉइंट्स तक की कटौती
  • पुराने बायबैक पर टैक्स नहीं देना होगा और
  • लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स पर सरचार्ज नहीं लगेगा
  • कैपिटल गेन्स टैक्स पर सरचार्ज हटा
  • पहले से घोषित बायबैक पर टैक्स नहीं

नई घरेलू कंपनियों को मिलेगी ये राहत

इनकम टैक्स एक्ट में 2019-20 से प्रभावी एक प्रावधान जोड़ा गया है, जिससे 1 अक्टूबर, 2019 या इसके बाद बनी कोई भी नई घरेलू कंपनी मैन्युफैक्चरिंग में ताजा निवेश करती है तो उस पर 15 फीसदी का इनकम टैक्स लगेगा. हालांकि प्रभावी टैक्स 17 फीसदी होगा.

पहले से चल रही कंपनियों को मिलेगी ये राहत

इनकम टैक्स एक्ट में एक नया प्रावधान जोड़ा गया है, जिसके मुताबिक किसी घरेलू कंपनी को कुछ शर्तों के साथ 22 फीसदी की दर पर इनकम टैक्स देना होगा. ऐसा करने के लिए ये कंपनियां किसी इंसेंटिव या छूट का फायदा नहीं उठा पाएंगी. सभी सरचार्ज और सेस मिलाकर इन कंपनियों के लिए प्रभावी टैक्स दर 25.17 फीसदी होगी. पहले यह टैक्स 29 से 35 फीसदी तक था.

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