- सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को जमकर लगाई फटकार
- NGO को पैसे देने पर नीतीश सरकार की खिंचाई की
- इन NGO को पैसे कौन दे रहा है: सुप्रीम कोर्ट
- केस में एक इंस्पेक्टर को लापरवाही के आरोप में सस्पेंड किया गया
- समस्तीपुर के एक ओल्ड एज होम में छापा पड़ा है, इसे भी ब्रजेश ठाकुर संचालित करता था
मुजफ्फरपुर शेल्टर होम रेप केस पर सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को जमकर फटकार लगाई है. मंगलवार को कोर्ट ने शेल्टर होम चलाने वाले एनजीओ को पैसे देने पर नीतीश सरकार की खिंचाई की. साथ ही देश में बलात्कार की बढ़ती घटनाओं पर गंभीर चिंता भी जताई. कोर्ट ने कहा कि जिधर देखो, उधर ही महिलाओं से बलात्कार हो रहा है.
जस्टिस मदन बी लोकूर, जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस के एम जोसेफ की पीठ ने राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों का हवाला देते हुये कहा कि देश में हर 6 घंटे में एक महिला रेप की शिकार हो रही है.
2016 में 38,947 महिलाओं से रेप
ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक, 2016 में भारत में 38,947 महिलाओं के साथ रेप हुआ. इस हालात पर नाराजगी और चिंता जताते हुए पीठ ने कहा, ‘‘इसमें क्या करना होगा? लड़कियां और महिलायें हर तरफ बलात्कार की शिकार हो रही हैं.'' इस मामले में एडवोकेट अपर्णा भट ने पीठ को बताया कि मुजफ्फरपुर शेल्टर होम में यौन उत्पीड़न की कथित पीड़ितों को अभी तक मुआवजा नहीं दिया गया है. उन्होंने कहा कि इस शेल्टर होम में बलात्कार का शिकार हुई लड़कियों में से एक अभी भी लापता है.
TISS ने कोर्ट को क्या बताया?
इस शेल्टर होम में का ऑडिट करने वाले टाटा इंस्टीट्यूट आफ सोशल साइंसेज (TISS) ने कोर्ट को बताया कि बिहार में इस तरह की 110 संस्थाओं में से 15 संस्थाओं की हालत खस्ता है. इस पर बिहार सरकार ने कोर्ट से कहा कि कई एनजीओ से जुड़े इन 15 संस्थानों से संबंधित यौन उत्पीड़न के 9 मामले दर्ज किए गए हैं.
इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने बलात्कार और यौन हिंसा की शिकार इन पीड़िताओं के चेहरे ढकने के बाद भी उन्हें दिखाने से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को रोक दिया था. पीठ ने साफ शब्दों में कहा था कि उसने पुलिस को जांच करने से नहीं रोका है और अगर वो कथित पीड़ितों से सवाल जवाब करना चाहें तो उन्हें इसके लिये बाल मनोविशेषज्ञों की सहायता से ऐसा करना होगा.
राज्य सरकार से वित्तीय सहायता प्राप्त गैर-सरकारी संगठन का मुखिया बृजेश ठाकुर इस शेल्टर होम का संचालन करता था. शेल्टर होम में 30 से अधिक लड़कियों के साथ कथित रूप से बलात्कार और उनका यौन शोषण किये जाने के आरोप हैं. इस मामले में ठाकुर समेत 11 लोगों के खिलाफ 31 मई को प्राथमिकी दर्ज हुई थी और बाद में ये मामला केंद्रीय जांच ब्यूरो को सौंपा गया था.
ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक, 2016 में भारत में 38,947 महिलाओं के साथ रेप हुआ. इस हालात पर नाराजगी और चिंता जताते हुए पीठ ने कहा, ‘‘इसमें क्या करना होगा? लड़कियां और महिलायें हर तरफ बलात्कार की शिकार हो रही हैं.'' इस मामले में एडवोकेट अपर्णा भट ने पीठ को बताया कि मुजफ्फरपुर शेल्टर होम में यौन उत्पीड़न की कथित पीड़ितों को अभी तक मुआवजा नहीं दिया गया है. उन्होंने कहा कि इस शेल्टर होम में बलात्कार का शिकार हुई लड़कियों में से एक अभी भी लापता है.
TISS ने कोर्ट को क्या बताया?
इस शेल्टर होम में का ऑडिट करने वाले टाटा इंस्टीट्यूट आफ सोशल साइंसेज (TISS) ने कोर्ट को बताया कि बिहार में इस तरह की 110 संस्थाओं में से 15 संस्थाओं की हालत खस्ता है. इस पर बिहार सरकार ने कोर्ट से कहा कि कई एनजीओ से जुड़े इन 15 संस्थानों से संबंधित यौन उत्पीड़न के 9 मामले दर्ज किए गए हैं.
इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने बलात्कार और यौन हिंसा की शिकार इन पीड़िताओं के चेहरे ढकने के बाद भी उन्हें दिखाने से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को रोक दिया था. पीठ ने साफ शब्दों में कहा था कि उसने पुलिस को जांच करने से नहीं रोका है और अगर वो कथित पीड़ितों से सवाल जवाब करना चाहें तो उन्हें इसके लिये बाल मनोविशेषज्ञों की सहायता से ऐसा करना होगा.
राज्य सरकार से वित्तीय सहायता प्राप्त गैर-सरकारी संगठन का मुखिया बृजेश ठाकुर इस शेल्टर होम का संचालन करता था. शेल्टर होम में 30 से अधिक लड़कियों के साथ कथित रूप से बलात्कार और उनका यौन शोषण किये जाने के आरोप हैं. इस मामले में ठाकुर समेत 11 लोगों के खिलाफ 31 मई को प्राथमिकी दर्ज हुई थी और बाद में ये मामला केंद्रीय जांच ब्यूरो को सौंपा गया था.
ब्रजेश ठाकुर के ओल्ड एज होम पर छापा
मुजफ्फरपुर के जिस शेल्टर होम में ये कांड हुआ है उसे स्थानीय दबंग ब्रजेश ठाकुर चलाता था, अब समस्तीपुर जिले में उसके द्वारा चलाए जा रहे एक ओल्ड एज होम पर छापा पड़ा है. इससे पहले लापरवाही के आरोप में मंगलवार को एक इंस्पेक्टर को सस्पेंड भी कर दिया गया.
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