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बिलकिस गैंगरेप कांड के 11 दोषी रिहा, उस दिन हुआ क्या था?

दोषियों समेत 20-30 लोगों ने लाठियों और जंजीरों से बिलकिस और उसके परिवार के लोगों पर हमला कर दिया था

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भारत
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साल 2002 में गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो (Bilkis Bano) से गैंगरेप और उनके परिवार के 7 सदस्यों की हत्या में सजा काट रहे सभी 11 दोषियों को रिहा कर दिया गया है. ये रिहाई गुजरात सरकार की माफी नीति के तहत 15 अगस्त को दी गई. इस दिन भारत अपनी आजादी के 75 साल पूरे होने पर जश्न मना रहा था और उधर गैंगरेप के आरोपी बरी हो रहे थे. लेकिन, बिलकिस बानो के साथ उस दिन हुआ क्या था?

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उस दिन क्या घटना हुई?

27 फरवरी 2002 को कारसेवकों से भरी साबरमती एक्सप्रेस के कुछ डिब्बों में गोधरा के पास आग लगाए जाने से 59 लोगों की मौत के बाद गुजरात में दंगे भड़क उठे थे. दंगाइयों के हमले से बचने के लिए गुजरात के दाहोद जिले के रंधिकपुर गांव की रहने वाली बिलकिस अपनी साढ़े तीन साल की बेटी सालेहा और परिवार के 15 अन्य सदस्यों के साथ अपने घर से भाग निकली थीं.

उस वक्त वह पांच महीने की गर्भवती थीं. बकरीद के दिन दंगाइयों ने दाहोद और आसपास के इलाकों में कहर बरपाया था. दंगाइयों ने कई घरों को जला डाला था. इस बीच तीन मार्च, 2002 को बिलकिस का परिवार जैसे तैसे छप्परवाड़ गांव पहुंचा और खेतों मे छिप गया.

चार्जशीट में कहा गया है कि इस दौरान दोषियों समेत 20-30 लोगों ने लाठियों और जंजीरों से बिलकिस और उसके परिवार के लोगों पर हमला कर दिया. बिलकिस और चार महिलाओं को पहले मारा गया और फिर उनके साथ रेप किया गया. इनमें बिलकिस की मां भी शामिल थीं. इस हमले में रंधिकपुर के 17 मुसलमानों में से सात मारे गए. ये सभी बिलकिस के परिवार के सदस्य थे. इनमें बिलकिस की भी बेटी भी शामिल थी.

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बताया जाता है कि इस घटना के कम से कम तीन घंटे के बाद तक बिलकिस बानो बेहोश रहीं. होश आने पर उन्होंने एक आदिवासी महिला से कपड़ा मांगा. इसके बाद वह एक होमगार्ड से मिलीं जो उन्हें शिकायत दर्ज कराने के लिए लिमखेड़ा थाने ले गया. वहां कांस्टेबल सोमाभाई गोरी ने उनकी शिकायत दर्ज की. इसके बाद बिलकिस को गोधरा रिलीफ कैंप पहुंचाया गया और वहां से मेडिकल जांच के लिए अस्पताल ले जाया गया. उनका मामला राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग पहुंचा.

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जांच का आदेश दिया. सीबीआई की विशेष अदालत ने जनवरी 2008 में 11 लोगों को दोषी करार दिया. इन लोगों पर गर्भवती महिला के रेप, हत्या और गैरकानूनी तौर पर एक जगह इकट्ठा होने का आरोप लगाया गया था.

2008 में फैसला देते हुए सीबीआई ने कहा कि जसवंत नाई, गोविंद नाई और नरेश कुमार मोढ़डिया ने बिलकिस का रेप किया, जबकि शैलेश भट्ट ने सलेहा का सिर जमीन से टकराकर मार डाला. दूसरे अभियुक्तों को रेप और हत्या का दोषी करार दिया गया था.

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लेकिन, भारत की आजादी के मौके पर इन सजायाफ्ता दोषियों को अपराध की प्रकृति और जेल में इनके अच्छे व्यवहार के आधार पर बरी कर दिया गया है.

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