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राजस्थान में राजनाथ, MP में खट्टर, छत्तीसगढ़ में मुंडा, BJP ने बनाए पर्यवेक्षक

पर्यवेक्षक राज्यों में जाकर विधायकों से रायशुमारी करेंगे और विधायक दल के नेता को लेकर मंथन करेंगे.

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मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh), राजस्थान (Rajasthan) और छत्तीसगढ़ में सीएम के नाम को लेकर अभी भी सस्पेंस कायम है. इसी बीच, बीजेपी ने तीनों ही राज्यों के लिए अपने पर्येवेक्षक की घोषणा कर दी है. बीजेपी ने राजस्थान में वरिष्ठ नेता और केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राज्यसभा सांसद सरोज पांडे और राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े को पर्यवेक्षक नियुक्त किया है.

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एमपी-छत्तसीगढ़ में भी पर्यवेक्षकों की नियुक्ति

वहीं, मध्य प्रदेश में हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर, के. लक्ष्मण और आशा लाकड़ा को जिम्मेदारी दी गई है. जबकि छत्तीसगढ़ में केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, सर्बानंद सोनोवाल और राष्ट्रीय महासचिव दुष्यंत गौतम को पर्यवेक्षक बनाया गया है.

क्यों पर्यवेक्षकों की हुई नियुक्ति

दरअसल, पर्यवेक्षक राज्यों में जाकर विधायकों से बात करेंगे और विधायक दल के नेता को लेकर उनकी राय जानेंगे. इसके बाद वे दिल्ली आकर अपनी रिपोर्ट बीजेपी हाईकमान को सौपेंगे, जिस पर शीर्ष नेतृत्व मंथन कर सीएम नाम पर अंतिम फैसला करेगा.

बीजेपी को तीनों राज्यों में मिली ऐतिहासिक जीत

बता दें कि विधानसभा चुनाव के नतीजों का ऐलान 3 दिसंबर को हो गया था. इसमें बीजेपी ने तीनों राज्यों में पूर्ण बहुमत के साथ ऐतिहासिक जीत हासिल की है. हालांकि, पांच दिन बाद भी बीजेपी अभी तक तीनों ही राज्यों में सीएम के नाम का ऐलान नहीं कर पायी है.

5 दिन से मंथन, कहां फंसे पेंच?

इसको लेकर चिंतन और मंथन का दौर जारी है. मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान करीब 18 सालों से मुख्यमंत्री हैं, जबकि छत्तीसगढ़ में रमन सिंह 15 साल तक और राजस्थान में वसुंधरा राजे दो बार सीएम रह चुकी हैं.

वसुंधरा राजस्थान में शक्ति प्रदर्शन भी कर रही हैं तो, दो दिन में दिल्ली में जेपी नड्डा और अमित शाह से मिल चुकी हैं. ऐसे में सियासी सरगर्मी तेज है.

नए चेहरों पर दांव लगा सकती है बीजेपी

वहीं, बीजेपी ने तीनों ही राज्यों के विधानसभा चुनाव में कई सांसदों और केंद्र के मंत्रियों को मैदान में उतारा था, जिसमें से 12 जीतकर विधायक बन चुके हैं और इन्होंने सांसदी से भी इस्तीफा दे दिया है.

बीजेपी से जुड़े सूत्रों की मानें तो, पार्टी तीनों ही राज्यों में किसी नये चेहरे को मौका देने के पक्ष में हैं. ऐसे में जीते हुए सांसदों में से भी किसी को सीएम बनाया जा सकता है. लेकिन हाईकमान पार्टी में विद्रोह नहीं चाहता है. ऐसे में विधायकों की राय जानने के लिए पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की गई और जो राज्यों में जाकर विधायकों से रायशुमारी करेंगे.

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