बीजेपी के वरिष्ठ नेता और राजस्थान (Rajasthan) विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया को रविवार को असम का राज्यपाल बना दिया गया. राजस्थान विधानसभा चुनाव से ठीक 9 महीने पहले कटारिया की विदाई प्रदेश में चर्चा का विषय बनी हुई है. कटारिया ने कहा कि दो दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का फोन आया था, लेकिन उनसे इस मसले पर कोई बात नहीं हुई थी. हालांकि, कटारिया यह मान रहे हैं कि उन्हें एक्टिव पॉलिटिक्स से विदा करने का निर्णय पार्टी स्तर पर हुआ है.
कटारिया को हटा BJP ने क्या दिया संदेश?
बीजेपी ने राजस्थान विधानसभा चुनाव किसी भी नेता के चेहरे पर लड़ने से पहले इंकार कर दिया है, लेकिन गुलाबचंद कटारिया पार्टी के संभावित सीएम फेस में से एक थे. कटारिया की विदाई से बीजेपी ने एक तीर से दो निशाने साधे हैं. एक तो चुनावी घमासान में कद्दावर नेताओं की सूची में से एक नाम हटने से पार्टी को प्रदेश की गुटबाजी को काबू में करने में मदद मिलेगी तो दूसरी तरफ खाली हुई नेता प्रतिपक्ष की सीट पर असंतुष्ट गुट के विधायक का नाम आगे किया जा सकता है.
BJP में कैसे थमेगी गुटबाजी?
नेता प्रतिपक्ष के लिए पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा के समर्थक भी राजे का नाम आगे कर रहे है. अगर पार्टी ने राजे को कटारिया की जगह जिम्मेदारी दी तो फिर संदेश जा सकता है कि वे चेहरा होंगी. यदि ऐसा नहीं हुआ तो फिर बीजेपी की गुटबाजी को थामना आलाकमान के लिए आसान नहीं होगा.
वसुंधरा राजे को नकारना आसान नहीं
पीएम नरेंद्र मोदी जिस तरह राजस्थान में लगातार दौरा कर चुनावी माहौल बना रहे हैं, उससे ये नहीं कहा जा सकता है कि गुलाबचंद कटारिया कि जगह कौन लेगा. हालांकि अभी इस पद के लिए मुख्य तौर राजेंद्र राठौड़, वासुदेव देवनानी और जोगेश्वर गर्ग का नाम शामिल है. लेकिन कटारिया ने अपने नाम का ऐलान होने के बाद मीडिया से कहा कि राजे की भूमिका को राजस्थान के चुनाव में नकारा नहीं जा सकता है.
उम्रदराज नेताओं को नहीं मिलेगा टिकट?
वहीं, कटारिया को राज्यपाल बनाने के बाद बीजेपी आलाकमान ने यह स्पष्ट कर दिया है कि इसी साल होने वाले विधानसभा चुनाव में उम्रदराज नेताओं को पार्टी टिकट नहीं देगी. 79 उम्र के कटारिया खुद भी कई दफा सक्रिय राजनीति छोड़ने के संकेत दे चुके थे. लेकिन इस पद से आलाकमान किसी तरह के समीकरण बैठाएगा यह अभी स्पष्ट नहीं है.
कटारिया की जगह कौन?
कटारिया के जाने से बीजेपी के गढ़ कहे जाने वाले उदयपुर संभाग में भी पार्टी को कद्दावर नेता की तलाश करनी होगी. गुलाबचंद कटारिया इमरजेंसी के बाद 1977 में पहली बार विधायक बने. इसके बाद से वे लगातार आठ बार विधायक और एक बार उदयपुर सीट से लोकसभा के लिए चुने गए. उदयपुर संभाग में कटारिया सीट बदल-बदल कर चुनाव लड़ते रहे है और जीतते रहे हैं.
(इनपुट-पंकज सोनी)
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