इलेक्शन कमीशन में जमा की गई रिपोर्ट के मुताबिक बीजेपी को साल 2017-18 में सबसे ज्यादा चंदा मिला है. बीजेपी को 210 करोड़ रुपये 2000 रुपये के रूप में मिले. देश की सभी राजनीतिक पार्टियों को इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए जो चंदा मिला, उसमें से बीजेपी का 94.5% हिस्सा है. जमा की गई रिपोर्ट में बताया गया है कि बीजेपी को 210 करोड़ रुपये मिले है. चुनावी चंदे के लेनदेन को पारदर्शी बनाने के लिए बने इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए इस साल सबसे अधिक चंदा बीजेपी को ही मिला है.
2018 के मार्च में जारी हुई पहली किस्त
इलेक्टोरल बॉन्ड्स की पहली किस्त मार्च 2018 में जारी की गई. बीजेपी ने 2016-17 की तरह ही अगले फाइनेंशियल ईयर में भी हजार करोड़ का आंकड़ा पार कर लिया. जहां 2017-18 में बीजेपी को 1027 करोड़ चंदा मिला, जिसमें से 758 करोड़ रुपये खर्च किए गए. बीजेपी की ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक, बीजेपी ने 567 करोड़ रुपये की रकम चुनावी प्रक्रिया और प्रचार पर खर्च किया.
इलेक्टोरल बॉन्ड से चंदा देने वाले का नाम गुप्त
इस स्कीम के तहत चंदा देने वाले व्यक्ति की पहचान गुप्त रखी जाती है. इसलिए चंदा कहां से आया और किसने दिया ये पता नहीं लगाया जा सकता है. बीजेपी को मिले चंदे में आधे से ज्यादा अनजान लोगों से आया है. चंदा देने वाले कई लोगों के नाम बीजेपी पहले दे चुका है. बीजेपी को बॉन्ड के बाद सबसे बड़ा चंदा इलेक्टोरल ट्रस्ट से मिला.
बीजेपी को 167 करोड़ रुपये इलेक्टोरल ट्रस्ट के जरिए मिले हैं. लोढ़ा डिवेलपर्स और रहेजा कंस्ट्रक्शंस जैसे रियल एस्टेट डिवेलपर्स के अलावा सिप्ला, कैडिला, भारत इनसेक्टिसाइड्स जैसी फार्मा और सिक्योरिटी फर्म SIS (इंडिया) जैसे कॉरपोरेट डोनर्स ने रूलिंग पार्टी के लिए चंदे की बड़ी थैली निकाली.
कई बड़ी पार्टियों ने नहीं बताया हिसाब
कई बड़ी पार्टियों चंदे का हिसाब किताब नहीं दिया है. इसमें पुरानी पार्टियों से लेकर नई पार्टियों का नाम शामिल है. कांग्रेस की दी गई रिपोर्ट के रिपोर्ट के हिसाब से उसे करीब 10 करोड़ ही मिले. तृणमूल कांग्रेस और एनसीपी ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि उनको चंदा मिला ही नहीं.
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