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"आत्म सम्मान के खिलाफ काम नहीं कर सकता": बॉम्बे HC के जज का अदालत में इस्तीफा

अपने फैसले की घोषणा करते हुए जस्टिस रोहित बी. देव ने कहा कि वह अपने आत्मसम्मान के खिलाफ काम नहीं कर सकते.

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भारत
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एक अप्रत्याशित घटनाक्रम में, बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) की नागपुर पीठ के जज जस्टिस रोहित बी. देव ने शुक्रवार (4 अगस्त) को दोपहर अदालत में अपना इस्तीफा दे दिया. पद छोड़ने के अपने फैसले की घोषणा करते हुए उन्होंने कहा कि वह "अपने आत्म सम्मान के खिलाफ काम नहीं कर सकते."

उस वक्त वो जस्टिस एम. डब्ल्यू. चंदवानी के साथ एक खंडपीठ का नेतृत्व कर रहे थे. उन्होंने वकीलों से माफी मांगी और उन्हें अपना परिवार बताया.

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वकीलों से मांगी माफी

जिस वक्त देव ने इस्तीफा दिया, उस वक्त वो जस्टिस एम. डब्ल्यू. चंदवानी के साथ एक खंडपीठ का नेतृत्व कर रहे थे. उन्होंने वकीलों से माफी मांगी और उन्हें अपना परिवार बताया. अदालत में मौजूद हर वकील से माफी मांगते हुए जस्टिस देव ने कहा, "मैंने आपको डांटा क्योंकि मैं चाहता था कि आप सुधर जाएं..आप लोग कड़ी मेहनत करो."

उन्होंने कहा कि उनका इरादा कभी भी किसी को चोट पहुंचाने का नहीं था क्योंकि सभी उनके लिए एक परिवार की तरह थे और "मैं अपने आत्म सम्मान के खिलाफ काम नहीं कर सकता."

14 अक्टूबर, 2022 को न्यायमूर्ति देव और न्यायमूर्ति अनिल पंसारे की खंडपीठ ने कथित माओवादी लिंक मामले में दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा और पांच अन्य को आरोपमुक्त कर दिया था और उनकी तत्काल रिहाई का भी आदेश दिया था.

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हालांकि, फैसले को महाराष्ट्र सरकार द्वारा चुनौती दिए जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी. 19 अप्रैल, 2023 को शीर्ष अदालत ने फैसले को रद्द कर दिया और मामले को नए सिरे से सुनवाई के लिए किसी अन्य पीठ को सौंपने का निर्देश दिया.

कौन हैं जस्टिस रोहित बी. देव?

न्यायमूर्ति देव का जन्म दिसंबर 1963 में हुआ था और उन्होंने जून 2017 में न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत होने से पहले महाराष्ट्र के महाधिवक्ता और नागपुर में अतिरिक्त सॉलिसिटर-जनरल के रूप में कार्य किया था. वह दिसंबर 2025 में सेवानिवृत्त होने वाले थे.

(इनपुट-IANS)

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