ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को संसद से एक और झटका लगा है. दरअसल जॉनसन की जल्दी चुनाव कराने की दूसरी कोशिश भी संसद में नाकाम रही है. 15 अक्टूबर को चुनाव कराने के लिए जॉनसन के प्रस्ताव पर 9 सितंबर को हाउस ऑफ कॉमन्स में महज 293 सांसदों ने ही समर्थन दिया, जबकि इस प्रस्ताव के खिलाफ 46 सांसदों ने वोट किया.
यह प्रस्ताव पास कराने के लिए जॉनसन को 434 वोटों की जरूरत थी. जॉनसन को पिछले हफ्ते भी ऐसे ही प्रस्ताव पर पर्याप्त वोट नहीं मिले थे. जॉनसन का प्रस्ताव गिरने के बाद संसद को 14 अक्टूबर तक सस्पेंड कर दिया गया है.
बता दें कि संसद में जॉनसन की मुश्किलें तब से बढ़ गईं, जब 3 सितंबर को उनकी ब्रेग्जिट नीति को बड़ा झटका लगा था. उस दौरान ब्रेग्जिट मुद्दे के एक प्रस्ताव पर हाउस ऑफ कॉमन्स में हुई वोटिंग में जॉनसन को 301 ने सांसदों ने समर्थन दिया था, जबकि 328 सांसदों ने उनका विरोध किया था. जॉनसन की अपनी ही कंजर्वेटिव पार्टी के 21 सांसदों ने उनके खिलाफ वोट किया था.
ब्रेग्जिट पर जॉनसन का कहना था कि 31 अक्टूबर को ब्रिटेन यूरोपीय संघ से अलग हो जाएगा, भले ही कोई डील हो या ना हो. जबकि जॉनसन का विरोध कर रहे सांसद बिना किसी समझौते के ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से अलग होने (नो डील ब्रेग्जिट) के पक्ष में नहीं थे.
ऐसे में 3 सितंबर को वोटिंग में अपनी हार के बाद जॉनसन ने कहा था कि वो बागियों और विपक्षी सांसदों की मांग के आगे सरेंडर नहीं करेंगे, भले ही उन्हें समय से पहले आम चुनाव करवाने के लिए संसद में प्रस्ताव लाना पड़े.
जॉनसन ने तर्क दिया था कि 31 अक्टूबर को समझौते के साथ या बिना समझौते के ब्रिटेन को यूरोपीय संघ से बाहर लाने की उनकी धमकी, यूरोपीय संघ के 27 दूसरे देशों के नेताओं को बेहतर शर्तों पर सहमत होने के लिए मजबूर करेगी.
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