ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का एयरफोर्स के सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमान से पहली बार सफल परीक्षण किया गया. इसके साथ ही भारत ऐसा पहला देश बन गया है, जिसके पास जमीन, पानी और हवा से चलाई जा सकने वाली सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है.
रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने ट्वीट कर कहा कि इस सफल परीक्षण के साथ ही भारत ने एक वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है. लड़ाकू विमान से छोड़े जाने के बाद ब्रह्मोस मिसाइल ने बंगाल की खाड़ी में लक्ष्य को भेदा.
रक्षा मंत्रालय ने कहा, “सुखोई-30 एमकेआई से ब्रह्मोस एयर लॉन्चड क्रूज मिसाइल (एएलसीएम) के पहले सफल परीक्षण से भारतीय वायुसेना के युद्ध अभियानों की क्षमता में बढ़ोतरी होगी.”
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MTCR से जुड़ने के बाद मारक क्षमता में इजाफा
इस साल मार्च में भारत ने 450 किमी दूरी तक मार करने वाली मिसाइल ब्रह्मोस का सफल परीक्षण किया था. इससे पहले परीक्षण किए गए ब्रह्मोस मिसाइल की मारक क्षमता 290 किलोमीटर थी. भारत ने मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजीम (एमटीसीआर) से जुड़ने के बाद इस मिसाइल की मारक क्षमता में इजाफा कर 450 किलोमीटर किया.
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ये है ब्रह्मोस
ब्रह्मोस एक सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल है. कम ऊंचाई पर ये बेहतर तरीके से उड़ान भरती है. इसी वजह से ये रडार की पकड़ में नहीं आती. पहली बार 12 जून, 2001 को ब्रह्मोस को लॉन्च किया गया था.
इस मिसाइल के नाम की भी रोचक कहानी है. दरअसल भारत और रूस की नदियों को मिलाकर इसका नाम रखा गया है. भारत की ब्रह्मपुत्र नदी और रूस की मस्कोवा नदी से मिलाकर इसका नाम ब्रह्मोस रखा गया.
मिसाइल की खासियत
- हवा से सतह पर मार करने में सक्षम ब्रह्मोस मिसाइल को दुश्मन इलाके के अंदर बने आतंकी शिविरों पर दागा जा सकता है
- अंडरग्राउंड परमाणु बंकरों को ध्वस्त किया जा सकता है
- युद्धपोतों को भी निशाना बनाया जा सकता है
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