केंद्रीय खेल मंत्रालय की ओर से भारतीय कुश्ती महासंघ की नवनिर्वाचित संस्था को निलंबित करने के बाद, डब्ल्यूएफआई के पूर्व प्रमुख बृज भूषण शरण सिंह ने कहा, "मैंने पहलवानों के लिए 12 साल काम किया है. समय बताएगा कि क्या मैंने न्याय किया है... अब फैसले और सरकार के साथ बातचीत महासंघ के निर्वाचित लोगों द्वारा की जाएगी...
बृज भूषण शरण सिंह ने कहा कि मैं कुश्ती खेल से संन्यास ले लिया है. मैं इससे नाता तोड़ चुका हूं.
उन्होंने कहा....
"सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव हुए और निकाय का गठन किया गया... अब यह उनका (महासंघ के सदस्यों का) निर्णय है कि वे सरकार से बात करना चाहते हैं या कानूनी कार्रवाई करना चाहते हैं. अब मेरा कुश्ती से कोई लेना-देना नहीं है और मुझे आने वाले लोकसभा चुनाव को देखना है."
जूनियर नेशनल चैंपियनशिप गोंडा में करवाने पर खिलाड़ियों ने सवाल उठाया था. इसपर बृजभूषण सिंह ने कहा "संजय सिंह मेरा रिश्तेदार नहीं है. नंदिनी नगर में खेल करवाने का फैसला आननफानन में लिया गया क्योंकि खिलाड़ियों को साल बर्बाद न हो. सारे फेडरेशन ने हाथ खड़े कर दिए थे. तब नंदिनी नगर में ये फैसला लिया गया. इसके लिए 25 फेडरेशन ने लिखित और मौखिक सहमति दी."
कुश्ती संघ के चुनाव में संजय सिंह की जीत पर बीजेपी सांसद ने अपना दबदबा कायम होने रखने का दावा किया था, इसको लेकर पत्रकारों ने जब सवाल पूछा तो उन्होंने कहा-चुनाव में जीत हासिल हुई, हमने अपना दम दिखा दिया. अब इससे मेरा कोई लेना-देना नहीं है.
बता दें कि 21 दिसंबर को भारतीय कुश्ती महासंघ के चुनाव में महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न के आरोपी बृजभूषण के करीबी संजय सिंह ने फेडरेशन का चुनाव जीता था, जिसके बाद वे कुश्ती संघ के प्रमुख बन गए.
इसके बाद, साक्षी मलिक ने संन्यास की घोषणा कर दी और बजरंग पुनिया ने पद्मश्री लौटाने की घोषणा की, जिसके बाद दोनों खिलाड़ियों के विरोध ने खूब सुर्खियां बटोरीं और विपक्ष ने महिला पहलवानों को न्याय देने की मांग उठाई.
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