उत्तर प्रदेश पुलिस पर पिछले दिनों कई गंभीर आरोप लगाए गए थे. गैंगस्टर विकास दुबे और उसके साथियों के एनकाउंटर के बाद पुलिस के काम करने के तरीके पर सवाल उठे थे. लेकिन अब ये मामला संसद में भी उठाया गया है. बीएसपी के सांसद रितेश पांडे ने लोकसभा में कहा कि हाल ही में देशभर में पुलिस हिरासत में न्यायिक हत्याओं के कई मामले सामने आए हैं. सांसद ने कहा कि ऐसी हत्याएं समाज के लिए एक खतरा हैं.
‘कमजोर लोग हो रहे पुलिस की कार्रवाई का शिकार’
उन्होंने कहा कि ऐसी हत्याओं से लोगों में पुलिस का विश्वास लगातार कम हो रहा है. साथ ही इनसे हिंसा और उपद्रोह के वास्तविक अपराधी नहीं पकड़े जाते हैं. जो पकड़े जाते हैं उनमें खासकर दलित, शोषित, ओबीसी और मुस्लिम समुदाय के लोग होते हैं. सांसद ने कहा कि इसमें ठेले वाले और कमजोर समाज के लोग ज्यादा हैं.
बीएसपी सांसद ने नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों का जिक्र करते हुए कहा,
साल 2010 तक कई सालों से गिरने के बाद अब देश में न्यायिक हत्याएं फिर से बढ़ रही हैं. 2014 में पुलिस हिरासत में 40 लोगों की मौत हुई थी. इसके बाद 2017 में ये आंकड़ा बढ़कर 772 तक पहुंच गया. हाल ही में विकास दुबे जैसे अपराधी को भी न्यायिक प्रक्रिया से कड़ी सजा मिलनी चाहिए थी, जिससे देश में कानून के शासन पर लोगों का विश्वास कमजोर न होता.
‘जज और जल्लाद का रोल अदा करना बंद कर पुलिस’
सांसद रितेश पांडे ने गृहमंत्री अमित शाह और कानून मंत्री से अपील करते हुए कहा कि वो इस गंभीर समस्या को संज्ञान में लेकर देश की अपराधिक न्याय प्रणाली में सुधार लाने का प्रयास करें, ताकि लोकतंत्र के मूल का अनुपालन हो और पुलिस जूरी, जज और जल्लाद का रोल अदा करना बंद करे.
बता दें कि उत्तर प्रदेश के कानपुर में गैंगस्टर विकास दुबे और उसके साथियों की तलाश में बिकरू गांव पहुंची पुलिस पर हमला किया गया था. जिसमें कुल 8 पुलिसकर्मियों की मौत हुई. इस घटना के बाद पुलिस ने अलग-अलग एनकाउंटर में विकास दुबे समेत उसके 6 और साथियों को मार गिराया था. हर बार पुलिस ने तर्क दिया कि अपराधी ने भागने की कोशिश की और इस दौरान पुलिस पर हमला भी किया, इसीलिए पुलिस को उसे गोली मारनी पड़ी.
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