ADVERTISEMENTREMOVE AD

जानिए, जेटली ने आपको एक हाथ से जो दिया उसे दूसरे से कैसे ले लिया

बजट में एफएम ने टैक्स में 8000 करोड़ रुपये की छूट दी लेकिन सेस और अन्य टैक्स से 11,000 करोड़ रुपये वसूल लिए 

Published
भारत
3 min read
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

हर बजट जनता से कुछ लेने और कुछ देने का दस्तावेज होता है. छोटे कारोबारी हों या कंज्यूमर या फिर कॉरपोरेट, वित्त मंत्री उन्हें एक साथ से कुछ देते हैं तो दूसरे हाथ से कुछ लेने की भी कोशिश करते हैं ताकि सरकारी खजाने का संतुलन बना रहे. इस बार के बजट में एक हाथ से देने और दूसरे से लेने के तीन बड़े उदाहरणों पर गौर करें-

ADVERTISEMENTREMOVE AD

वित्त मंत्री ने पर्सनल इनकम टैक्स की दरों में कोई इजाफा नहीं किया. उन्होंने स्टैंडर्ड डिडक्शन को दोबारा लाकर सैलरी पाने वालों को कुछ राहत दी. सीनियर सिटिजन्स और महिलाओं को रियायत वाले कुछ कदम उठाए लेकिन मेडिकल बिल और ट्रैवल अलाउंस को सैलरी पाने वाले लोगों की इनकम के दायरे में ला दिया. पहले इस पर टैक्स छूट मिलती थी.

  1. इनकम टैक्स नहीं बढ़ा लेकिन सेस 3 से बढ़ा कर 4 फीसदी कर दिया. इससे हर कैटगरी के टैक्सपेयर को ज्यादा टैक्स देना पड़ेगा.
  2. स्टैंडर्ड डिडक्शन की दोबारा शुरुआत से टैक्सपेयर को 40,000 रुपये की छूट तो मिल जाएगी लेकिन उसे सालाना फायदा 5800 रुपये से ज्यादा का नहीं होगा. इसका फायदा पेंशन पाने वालों और ऐसे लोगों को होगा जो कमाई के लिए तनख्वाह पर निर्भर नहीं हैं.
  3. वित्त मंत्री ने सीनियर सिटिजन को मेडिकल इंश्योरेंस और महिलाओं को ईपीएफ के मोर्चे पर जो छूट दी उसकी भरपाई शेयर और म्यूचुअल फंड में निवेश करने वालों से लेकर करने की कोशिश की है. अब लांग टर्म टैक्स गेन्स टैक्स को फिर शुरू कर दिया गया है. अब शेयर बाजार से एक लाख रुपये से ज्यादा की कमाई पर दस फीसदी टैक्स लगेगा.

वित्त मंत्री ने इस तरह से 8000 करोड़ रुपये की टैक्स छूट देंगे लेकिन सेस और लांग टर्म गेन्स टैक्स के जरिये 11000 करोड़ रुपये जुटा लेंगे.

0

तेल का खेल

तेल के बढ़ते दाम सरकार को परेशान कर रहे हैं. तेल के दाम बढ़ने पर महंगाई बढ़ने का भी खतरा रहता है. एक साल बाद आम चुनाव में जाने वाली सरकार के लिए तेल की बिक्री से हासिल रेवेन्यू और जनता को दी जाने वाली राहत के बीच संतुलन बनाना जरूरी था. लिहाजा पेट्रोल और डीजल में लगने वाले बेसिक एक्साइज ड्यूटी खत्म कर दी गई.. दो-दो रुपये प्रति लीटर की कटौती की वजह से पेट्रोल में बेसिक ड्यूटी प्रति लीटर 4.48 रुपये रह गई और डीजल में 6.33 रुपये. लिहाजा..

  1. पेट्रोल और डीजल में लगने वाले बेसिक एक्साइज ड्यूटी खत्म कर दी गई.
  2. दो-दो रुपये प्रति लीटर की कटौती की वजह से पेट्रोल में बेसिक ड्यूटी प्रति लीटर 4.48 रुपये रह गई और डीजल में 6.33 रुपये.
  3. उन्होंने पेट्रोल और डीजल पर लगने वाली 6 रुपये की अतिरिक्त एक्साइज ड्यूटी खत्म कर दी. लेकिन रोड लेवी और इन्फ्रास्ट्रक्चर सेस लगा दिया
  4. 8 रुपये का रोड लेवी और इन्फ्रास्ट्रक्चर सेस लगा कर दो रुपये की छूट से होने वाले रेवेन्यू घाटे की भरपाई करने की कोशिश की गई.

आठ रुपये की कटौती के बाद रोड लेवी और इन्फ्रास्ट्रक्चर सेस के जरिये आठ रुपये ले लेने से जनता को कुछ नहीं मिला.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

कॉरपोरेट टैक्स

हर बजट की तरह इस बार के बजट से पहले कॉरपोरेट हाउस खास कर बड़ी कंपनियों ने उम्मीद की थी एफएम उन पर लगने वाले 30 फीसदी टैक्स को खत्म करेंगे.क्योंकि उन्होंने वादा किया था कि कॉरपोरेट टैक्स की दरें धीरे-धीरे करके कम कर दी जाएंगी. जेटली ने छूट का ऐलान किया लेकिन बड़ी कंपनियों के लिए नहीं.

  1. उन कंपनियों का टैक्स 30 फीसदी से घट कर 25 फीसदी कर हुआ, जिनका सालाना टर्नओवर 250 करोड़ रुपये तक है.
  2. इससे टैक्स फाइल करने वाली 99 फीसदी कंपनियों को फायदा होगा. सरकार को 7000 करोड़ के रेवेन्यू का नुकसान होगा.लेकिन अगर सरकार बड़ी कंपनियों को टैक्स छूट देती तो उसकाे खजाने को और नुकसान पहुंचता.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

दरअसल सरकार राजकोषीय घाटे को सीमित करने के अपने लक्ष्य को बरकरार रखन में नाकाम रही है. इस साल वह खर्च भी करेगी इसलिए ऐसा होना लाजिमी था. ऐसे में अर्थव्यवस्था में झोंके गए पैसों को वापस लाने की भी चिंता सरकार के पास रहती है. यही वजह है कि उसने देने के साथ वसूलने का ध्यान रखा है.

ये भी पढ़ें : बजट 2018: गोबर-धन योजना क्‍या है, किसे मिलेगा फायदा?

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×