1 फरवरी को संसद में वित्तमंत्री अरुण जेटली साल 2018 का बजट पेश करेंगे. बजट भारत की सालाना रिपोर्ट है, जिसमें सरकार आय और व्यय का ब्योरा पेश करती है. इसके तहत सरकार ये तय करती है कि आने वाले साल के लिए देश के विकास से जुड़ी किन योजनाओं पर कितना खर्च करना है और उन खर्चों के लिए रेवेन्यू/धन की व्यवस्था कैसे करनी है.
लेकिन बजट भाषण के दौरान आम लोगों के लिए कौन सी बातें हैं जिन पर उन्हें ध्यान देने की जरुरत है. जानिए बजट के स्पीच में अपने काम की बात कैसे खोजें.
टैक्स स्लैब के बदलाव पर रखें नजर
अधिक इनकम यानी अधिक टैक्स. लेकिन आपको टैक्स छूट का लाभ मिल सकता है. जानिए कैसे-
1. म्यूचुअल फंड स्कीम, पब्लिक प्रॉविडेंट फंड, एंप्लाॅय प्रॉविडेंट फंड, पोस्ट ऑफिस स्कीम्स, बच्चों की ट्यूशन फीस, जीवन बीमा प्रीमियम, एन्यूटी प्लान्स, नए घर की खरीद के लिए स्टाम्प ड्यूटी चार्ज और होम लोन के मूल राशि का रिपेमेंट करने में पैसे इन्वेस्ट कर 1.5 लाख तक की राशि पर आप टैक्स छूट पा सकते हैं.
2. हेल्थ इंश्योरेंस करा आप 60 हजार तक की राशि पर टैक्स छूट पा सकते हैं.
- आपको खुद के लिए स्वास्थ्य बीमा करवाने पर 25,000 रुपये की राशि पर टैक्स छूट मिल सकती है.
- अगर आपकी उम्र 60 साल से अधिक है तो ये राशि 30,000 तक हो सकती है.
- आप अपने माता-पिता के लिए स्वास्थ्य बीमा करवा सकते हैं. और अगर वे 60 साल से अधिक उम्र के हैं तो 25,000 रुपये और 30,000 रुपये की अतिरिक्त राशि पर टैक्स छूट लेने के लिए क्लेम कर सकते हैं.
3. होम लोन पर ब्याज का भुगतान तीसरा इंसेंटिव है. खुद के घर के लिए लिमिट 2 लाख रुपये है. लेकिन जिस संपत्ति के लिए आपने कर्ज लिया है अगर वो किराए पर है, तो पूरे इंट्रेस्ट अमाउंट पर आपको टैक्स छूट मिलेगी.
4. 8 साल तक अधिकतम अवधि के लिए एजुकेशन लोन पर पूरे ब्याज भुगतान राशि पर आपको टैक्स छूट मिल सकती है.
5. और अंत में, अगर आपके पास घर नहीं है और आपको अपने नियोक्ता से रेंट अलाउंस नहीं मिलता है, तो भी आपको टैक्स छूट का फायदा मिल सकता है. मासिक वेतन के 10 पर्सेंट से ज्यादा की राशि(जो अधिकतम 5000 रुपए प्रति महीना है) और मासिक वेतन के 25 पर्सेंट में से जो भी राशि कम होगी वो टैक्स छूट के दायरे में आएगी.
मान लीजिए कि आपका सालाना वेतन 11 लाख रुपये है और आप इन सभी बताए गए जगहों पर इन्वेस्ट करते हैं तो गणित कुछ ऐसा दिखाई देगा
11 लाख रुपये- (1.5 लाख + 60 हजार + 2 लाख + 1 लाख, उदाहरण के लिए, होम लोन ब्याज + 5,000 रुपये) = 5.85 लाख रुपये
अब इसके मुताबिक आप 5 से 10 लाख रुपये के टैक्स स्लैब में आ जाएंगे हैं, तो आप पर 20 पर्सेंट ही टैक्स लगेगा.
राजकोषीय घाटे पर रखें नजर
सरकार को मिलने वाले कुल रेवेन्यू और कुल खर्च के बीच के अंतर को राजकोषीय घाटा कहते हैं. वित्त वर्ष 2016-17 के लिए सरकार ने राजकोषीय घाटे का लक्ष्य जीडीपी के 3.2 पर्सेंट तक तय किया है. अगर ये लक्ष्य 3 या 3.2 पर्सेंट से आगे बढ़ा तो ये बाॅन्ड यील्ड को बढ़ाएगा और इसका असर शेयर बाजार पर दिखेगा.
बजट का देश के विकास पर कैसा होगा असर
सरकारी स्कीम पर होने वाले खर्च
इस तरह 1 फरवरी को जब वित्तमंत्री अरुण जेटली बजट पेश करेंगे तब शायद आपको खुद के लिए बजट से होने वाले फायदे को समझने में कोई दिक्कत नहीं होगी.
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