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देश को मिलने हैं 20 एम्स, लेकिन 11 को अब तक मिला सिर्फ 3 फीसदी फंड

काम कर रहे 6 AIIMS में 60 फीसदी से ज्यादा पद खाली

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केंद्र में सरकार के चार साल पूरे करने पर, सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने "ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया" कैंपेन के तहत कई इंफोग्राफिक्स जारी किए. इन इंफोग्राफिक्स में से कुछ हेल्थ से संबंधित भी थे. इनमें से एक में साल 2017-18 में झारखंड और गुजरात में दो नए ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (AIIMS) की स्थापना और 20 नए "AIIMS जैसे" अस्पतालों की स्थापना का दावा किया गया.

जब बीजेपी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार साल 2014 में सत्ता में आई थी, तो उसने चार नए AIIMS स्थापित किए जाने का ऐलान किया था. इसके बाद 2015 में सात और 2017 में दो और AIIMS स्थापित किए जाने का ऐलान किया.

अब सरकार के चार साल पूरे हो चुके हैं. लेकिन इन AIIMS में से कोई भी पूरा होने के करीब भी नहीं है.

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मंजूर फंड का अब तक केवल 3 फीसदी फंड ही जारी हुआ

साल 1956 में स्थापित AIIMS के अलावा देश में छह अन्य AIIMS अटल बिहारी वाजपेयी वाली एनडीए सरकार में शुरू हुए और यूपीए शासन के दौरान पूरे हुए.

इसके अलावा साल 2008 में यूपीए सरकार ने उत्तर प्रदेश के रायबरेली में AIIMS बनाने का ऐलान किया था. इस प्रस्ताव को साल 2009 में कैबिनेट ने मंजूरी भी दे दी थी. इस AIIMS के मार्च 2020 में शुरू हो जाने का अनुमान है.

मोदी सरकार ने 13 नए AIIMS संस्थानों का ऐलान किया था, लेकिन इनका काम उम्मीद से बहुत धीमा चल रहा है. फैक्ट चेकर की रिपोर्ट के मुताबिक, 11 नए AIIMS के लिए मंजूर फंड का अब तक केवल 3 फीसदी ही जारी किया गया है.

फरवरी 2018 में संसद में पूछे गए एक सवाल के जवाब में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री जेपी नड्डा ने बताया था कि पहले से काम कर रहे 6 AIIMS में 60 फीसदी पद खाली हैं.

  • साल 2014-15 के बजट भाषण में चार नए एम्स का ऐलान किया गया था. इनमें आंध्र प्रदेश के मंगलगिरी, महाराष्ट्र के नागपुर, उत्तर प्रदेश के गोरखपुर और पश्चिम बंगाल के कल्याणी को एम्स मिला था.
  • साल 2015-16 के बजट में सात नए एम्स का ऐलान किया गया. इनमें असम, हिमाचल, पंजाब, तमिलनाडु, बिहार को एक-एक और दो जम्मू-कश्मीर को एम्स मिले.
  • साल 2017-18 के बजट में मोदी सरकार ने गुजरात और झारखंड को एक -एक एम्स का वादा किया.
  • दूसरे चरण में 14,810 करोड़ के बजट के 11 नए एम्स प्रस्तावित हुए. लेकिन 2017 तक केवल 405.18 करोड़ यानी कुल 2.7 फीसदी बजट ही जारी किया गया.

6 AIIMS में 60 फीसदी से ज्यादा पद खाली

पहली एनडीए सरकार में शुरू हुए सभी 6 AIIMS अब काम कर रहे हैं. मेडिकल कॉलेज चल रहे हैं और अस्पताल के ब्लॉक लगभग 90 फीसदी पूरे हो चुके हैं. इन सभी में ब्लक बैंक, इमरजेंसी, ट्रॉमा और डायग्नोस्टिक सेंटर हैं. इनमें 2,744 बैड और 96 में से 65 सुपरस्पेशिएलिटी डिपार्टमेंट और 108 में से 107 स्पेशिएलिटी डिपार्टमेंट काम कर रहे हैं.

हालांकि, लोकसभा में दिए गए एक जवाब के मुताबिक, 60 फीसदी फैकल्टी पोस्ट और 81 फीसदी नॉन-फैकल्टी पोस्ट अभी खाली हैं.

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देश को क्यों है ज्यादा AIIMS की जरूरत?

साल 2003 की तत्कालीन वाजपेयी सरकार ने स्वास्थ्य कार्यक्रम PMSSY (प्रधान मंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना) के पहले चरण के तहत पहले छह नए एम्स भोपाल, भुवनेश्वर, जोधपुर, पटना, रायपुर और ऋषिकेश में प्रस्तावित किए गए थे.

इस योजना का उद्देश्य क्षेत्रीय असंतुलन को सस्ती और भरोसेमंद स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराना और मेडिकल एजुकेशन की क्वालिटी को सुधारना था. इस कार्यक्रम में एम्स जैसे नए संस्थानों की स्थापना और मौजूदा सरकारी मेडिकल कॉलेजों को अपग्रेड करना शामिल था.

यूपीए के सत्ता में आने के बाद इन्हें मंजूरी मिलने में तीन साल लग गए. छह नए AIIMS साल 2012 में पूरा हुए थे, लेकिन 2014 तक इनमें काम शुरू नहीं हो पाया.

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