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गोवा के बीच पर बियर पीना पसंद है, हां मैं ‘बुरी लड़की’ हूं

क्विंट की रीडर प्रांजलि की बात में दम तो है

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कुछ दिन पहले, गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर ने राज्य युवा संसद में एक बयान दिया था कि महिलाओं को बियर नहीं पीनी चाहिए.

(स्लो क्लैप*)

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हां तो लेडीज अब बियर छोड़ो भी व्हिस्की और वाइन के बारे में क्या ख्याल है!

लेकिन एक मिनट रुको, गोवा के उमस भरे मौसम में क्या पी सकते हैं?

व्हिस्की? वाइन?

इसके बारे में तो सोचकर ही मेरे अंदर गर्मी दौड़ पड़ी. गोवा में सनबाथ लेने के बाद कोई भी लड़की इसे तो कम से कम आॅर्डर नहीं ही करेगी. गोवा के लिए बेस्ट पार्टनर बियर ही हो सकती है. नीले आसमान के नीचे रेत पर लेटे हुए और समुद्र की तरफ घूरते हुए ठंडी बियर को गटकने जैसा कुछ भी नहीं.

वो भी उस जगह जहां पानी से ज्यादा बियर सस्ती है. पिछली बार जब मैं गोवा के एक पब में गई, तो वहां सिर्फ 100 रुपये में बियर की पांच बोतलें मिल रही थी. अब ऐसे में कोई बियर के साथ अपनी प्यास क्यों नहीं बुझाना चाहेगा?

अगर मर्द बियर पी सकते हैं तो औरतें क्यों नहीं?

वैसे बियर पीने वाली लड़कियां कमाल होती हैं. उनमें कुछ अलग नहीं होता. वो उन्हीं औरतों की तरह होती हैं जो कुछ भी कर सकती हैं. फिर हमें "बुरी आदतों वाली" और “समाज के लिए खतरा” क्यों बताया जाता है? इसी सोच पर मुझे हंसी आती है.

और हां हमें मर्दों की जरूरत नहीं जो ये तय करें कि हम पी सकते हैं या नहीं या हमें क्या पीना चाहिए और क्या नहीं? हमें “संस्कारी दकियानूसी सोच” नहीं चाहिए.

अब मैं इसपर शुरु नहीं होना चाहती कि एक शादीशुदा महिला के लिए ये जानना जरूरी है कि खाना कैसे बनाना है? क्या यही परम मोक्ष है जिसे औरत पति के लिए खाना बनाकर ही पा सकती है?

क्या मैं पूछ सकती हूं कि खाना पकाना सिर्फ औरतों का ही काम क्यों समझा जाता है?

समय बदल चुका है. अगर मर्द किचन में दिनभर के काम की थकान की वजह से नहीं जा सकते तो औरतें भी थकती हैं. एक रसोईघर पुरुषों के लिए किसी तरह का वर्जित स्थान नहीं है. यह उस घर का एक हिस्सा है, जिसे पति-पत्नी या पार्टनर ने मिलकर किराए पर लिया या एक साथ खरीदा है.

समय आ गया है कि हम इन दकियानूसी बातों पर हंसे और अपने अंदर की ‘बुरी लड़की’ को सामने लाएं. तो अब Laugh नारी!

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(लड़कियों, वो कौन सी चीज है जो तुम्हें हंसाती है? क्या तुम लड़कियों को लेकर हो रहे भेदभाव पर हंसती हो, पुरुषों के दबदबे वाले समाज पर, महिलाओं को लेकर हो रहे खराब व्यवहार पर या वही घिसी-पिटी 'संस्कारी' सोच पर. इस महिला दिवस पर जुड़िए क्विंट के 'अब नारी हंसेगी' कैंपेन से. खाइए, पीजिए, खिलखिलाइए, मुस्कुराइए, कुल मिलाकर खूब मौज करिए और ऐसी ही हंसती हुई तस्वीरें हमें भेज दीजिए buriladki@thequint.com पर.)

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