कैफे कॉफी डे फाउंडर वीजी सिद्धार्थ के पिता गंगैया हेगड़े का रविवार को निधन हो गया. वो काफी वक्त से मैसूर के एक अस्पताल में भर्ती थे. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उन्हें तो ये भी नहीं पता था कि वीजी सिद्धार्थ नहीं रहे. सिद्धार्थ का शव 31 जुलाई को नेत्रवती नदी में बरामद हुआ था. वो दो दिन से लापता थे.
वीजी सिद्धार्थ ने लापता होने से पहले अपनी कंपनी के बोर्ड मेंबर्स और कर्मचारियों के नाम एक चिट्ठी लिखी थी. उन्होंने इस चिट्ठी में खुद पर भारी दबाव होने की बात कही. वहीं इनकम टैक्स के कसते शिकंजे को भी अपनी हार का कारण बताया. उन्होंने अपने इस लेटर में लिखा था,
‘मैं लंबे समय तक लड़ा लेकिन अब मैं अपने एक प्राइवेट इक्विटी पार्टनर के सामने हिम्मत हार गया हूं. वो मेरे ऊपर उन शेयरों को वापस खरीदने का दबाव बना रहे हैं. ये वो सौदा है जो 6 महीने पहले एक दोस्त से बड़ा कर्जा लेकर मैंने किसी तरह पूरा किया था. कई और कर्जा देने वालों के जबरदस्त दबाव ने मुझे हालात के सामने झुकने के लिए मजबूर कर दिया है. इनकम टैक्स के एक पूर्व डीजी ने भी हमारी ‘माइंड ट्री’ डील को रोकने के लिए दो अलग-अलग मौकों पर हमारे शेयर अटैच किए. उसके बाद हमारे कॉफी डे शेयर्स को भी अटैच कर दिया गया.’
वीजी सिद्धार्थ का जन्म एक ऐसे परिवार में हुआ था, जो करीब 135 सालों से कॉफी उगा रहा था. हालांकि शुरुआत में सिद्धार्थ का मन कॉफी इंडस्ट्री में जाने का नहीं था. उन्होंने कर्नाटक की मेंगलुरु यूनिवर्सिटी से पोस्ट ग्रेजुएशन डिग्री लेने के बाद अपने पिता से कुछ पैसे लिए और वह मुंबई चले गए.
इसके बाद सिद्धार्थ एक इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट फर्म जेएम फाइनेंस सर्विसेज में इंटर्न के तौर पर काम करने लगे. इन्वेस्टमेंट के क्षेत्र में 2 साल का अनुभव हासिल करने के बाद सिद्धार्थ ने खुद का वेंचर खोलने का फैसला किया.
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