केंद्र सरकार ने 20 जुलाई को राज्य सभा में कहा कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की तरफ से Coronavirus की दूसरी लहर के दौरान Oxygen की कमी से हुई मौतों के किसी मामले की जानकारी नहीं दी है. ये बात केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने एक सवाल के जवाब में कही. सरकार के इस जवाब से यूं लगता है कि सरकार कह रही है कि दरअसल कोरोना सेकंड वेव में ऑक्सीजन की कमी से किसी की मौत नहीं हुई. लेकिन ये दावा झूठा है.
स्वास्थ्य राज्य मंत्री के लिखित जवाब के मुताबिक
कोरोना से हो रही मौतों की जानकारी देने को लेकर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को डिटेल गाइडलाइन जारी की गई थी. सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को नियमित रूप से मौतों की जानकारी दी. लेकिन, राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने ऐसी किसी मौत की जानकारी नहीं दी, जो ऑक्सीजन की कमी से हुई.
हालांकि, कोरोना की दूसरी लहर के वक्त खुद स्वास्थ्य मंत्रालय ने ये स्वीकारा था कि ऑक्सीजन की मांग में काफी तेजी आई है.
लेकिन, क्या वाकई ऑक्सीजन की कमी से कोई मौत नहीं हुई?
अस्पतालों ने ऑक्सीजन की कमी को ही मौत का कारण बताया
बत्रा हॉस्पिटल, दिल्ली : दिल्ली के बत्रा हॉस्पिटल ने दिल्ली हाई कोर्ट को 1 मई को बताया कि 11 मरीज और एक डॉक्टर की ऑक्सीजन की कमी से अस्पताल में मौत हो गई. हॉस्पिटल के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर सुधांशु बंकटा ने कोर्ट को बताया कि हॉस्पिटल में ऑक्सीजन खत्म हो चुकी है, इस वजह से उन्होंने कई मरीजों को खो दिया.
जयपुर गोल्डन हॉस्पिटल, दिल्ली: इस हॉस्पिटल ने भी दिल्ली हाईकोर्ट को बताया कि 24 अप्रैल के दिन 25 लोगों ने अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से दम तोड़ दिया.
न्यूज एजेंसी PTI की 4 जून की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने भी कहा था कि दिल्ली सरकार ने मेडिकल एक्सपर्ट्स का एक पैनल बनाया है, जो ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों के मामले को देखेगा.
आनंद हॉस्पिटल और KMC हॉस्पिटल, उत्तर प्रदेश : मेरठ में 27 अप्रैल को सात कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत ऑक्सीजन की कमी से हुई थी. इनमें से तीन की मौत आनंद अस्पताल में हुई, वहीं बाकी मरीजों ने अपनी अंतिम सांस KMC अस्पताल में ली. अस्पताल ने इन मौतों की पुष्टि की, लेकिन मेरठ के चीफ मेडिकल ऑफिसर अखिलेश मोहन ने कहा था कि अस्पताल ने कोई डेटा उपलब्ध नहीं कराया.
नीलकंठ हॉस्पिटल, पंजाब: हिंदुस्तान टाइम्स की 25 अप्रैल की रिपोर्ट के मुताबिक, अमृतसर के नीलकंठ मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल में 6 गंभीर मरीजों की मौत ऑक्सीजन की कमी की वजह से हुई. हॉस्पिटल के मैनेजमेंट ने भी जिला प्रशासन को इस घटना का जिम्मेदार बताया. मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के आदेश पर जांच के लिए 2 सदस्यों की समिति भी बनाई गई.
न्यू मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल, राजस्थान: अस्पताल के सुप्रीडेंटेंड नीलेश जैन ने न्यूज एजेंसी ANI को 21 अप्रैल को बताया कि महिला की मौत ऑक्सीजन की कमी की वजह से हुई.
सोनी बर्न हॉस्पिटल, हरियाणा: हिसार स्थित सोनी बर्न हॉस्पिटल में 5 कोरोना मरीजों की मौत हुई, अस्पताल प्रबंधन ने मौतों का कारण ऑक्सीजन की कमी को बताया. द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक अस्पताल प्रबंधन का कहना था कि उन्होंने पहले जिला प्रशासन को लिक्विड ऑक्सीजन की सप्लाई में कमी के बारे में बताया था पर कोई जवाब नहीं आया. हालांकि, डिप्टी कमिश्नर प्रियंका सोनी ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि मामले की जांच के आदेश दिए गए हैं.
ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों का स्वतंत्र डेटा भी है
वॉलेंटियर्स, रिसर्चर्स, वकीलों, पत्रकारों, स्टूडेंट्स और एक्टिविस्ट्स के एक इंडिपेंडेंट ग्रुप ने भी ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों का डेटाबेस तैयार किया था. इस डेटाबेस में उल्लेख है कि अस्पतालों की तरफ से ऑक्सीजन सप्लाई के लिए मना करने पर कितनी मौतें हुईं.
डेटाबेस आखिरी बार 27 मई को अपडेट किया गया था. इसके मुताबिक ऑक्सीजन की कमी से 619 मौतें हुईं.
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