नए संसद भवन मतलब सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को सुप्रीम कोर्ट से हरी झंडी मिल गई है. मोदी सरकार की महत्वकांक्षी परियोजना 'सेंट्रल विस्टा' को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अहम फैसला सुनाया है. बता दें कि 'सेंट्रल विस्टा' राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक तीन किलोमीटर के दायरे में फैला है, इस परियोजना में संसद भवन की नयी इमारत का निर्माण शामिल है. बता दें कि पीएम नरेंद्र मोदी ने 10 दिसंबर को नए संसद भवन की इमारत का शिलान्यास किया था.
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से नरेंद्र मोदी सरकार को बड़ी राहत मिली है. जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया है. फैसले में कोर्ट ने कहा, “सरकार परियोजना के साथ आगे बढ़ सकती है, सरकार के पास सभी उचित पर्मीशन हैं. बेंच सरकार को इस योजना के लिए मंजूरी दे रही है.”
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि DDA एक्ट के तहत वैध है. पर्यावरण मंत्रालय द्वारा पर्यावरण मंजूरी की सिफारिशें उचित हैं और हम इसे बरकरार रखते हैं. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने परियोजना समर्थकों को समिति से अनुमोदन प्राप्त करने का निर्देश दिया. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि
निर्माण कार्य शुरू करने के लिए हेरिटेज कंजर्वेशन कमेटी की मंजूरी आवश्यक है.
कैसा होगा सेंट्रल विस्टा
सेंट्रल विस्टा पर काम नवंबर 2021 तक पूरा होने की संभावना है, जिसे 2022 में भारत के 75वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर सौंपे जाने की तैयारी है. सेंट्रल विस्टा में संसद भवन, राष्ट्रपति भवन, उत्तरी और दक्षिणी ब्लॉक की इमारते हैं, जिनमें महत्वपूर्ण मंत्रालय और इंडिया गेट भी हैं.केंद्र एक नए संसद भवन, एक नए आवासीय परिसर का निर्माण करके पुनर्विकास करने का प्रस्ताव कर रहा है, जिसमें कई नए कार्यालय भवनों के अलावा प्रधानमंत्री और उपराष्ट्रपति के कार्यालय भी शामिल होंगे. लोकसभा चैम्बर में 888 सदस्यों के बैठने की क्षमता होगी. जबकि राज्यसभा में 384 सीट होंगी.
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