ADVERTISEMENTREMOVE AD

चंडीगढ़ में 36 घंटे से अधिक ठप हुई बिजली, स्ट्राइक पर हैं विभाग के कर्मचारी

प्राइवेटाइजेशन के खिलाफ हड़ताल के कारण कई हिस्सों में बिजली गुल हो गई है, अस्पताल और स्कूल बुरी तरह प्रभावित हुए हैं

Published
भारत
3 min read
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

चंडीगढ़ (Chandigarh) के बिजली विभाग के एक हजार से अधिक कर्मचारियों की हड़ताल के बाद शहर में करोड़ों घरों और उद्योगों को बिजली गुल हो गई है. बिजली विभाग के निजीकरण को लेकर कर्मचारियों की 72 घंटे की हड़ताल सोमवार रात से शुरू हुई. उनका मानना ​​है कि इससे बिजली की दरों में बढ़ोतरी आ जाएगी. हो रहे स्ट्राइक का नेतृत्व 'यूटी पॉवरमैन यूनियन' के द्वारा किया जा रहा है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD
प्राइवेटाइजेशन के खिलाफ हड़ताल के कारण कई हिस्सों में बिजली गुल हो गई है, अस्पताल और स्कूल बुरी तरह प्रभावित हुए हैं

चंडीगढ़ में बिजली विभाग के कर्मचारी स्ट्राइक पर हैं

(फोटो- द क्विंट)

शहर के अस्पतालों में इलेक्टिव सर्जरी स्थगित कर दी गई है और कई हिस्सों में पानी की आपूर्ति की कमी का सामना करना पड़ रहा है. ऑनलाइन कक्षाएं और कोचिंग संस्थान भी बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं. शहर के कई हिस्सों में ट्रैफिक लाइट्स बंद होने के कारण समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.

आईएएनएस की रिपोर्ट के मुताबिक चैंबर ऑफ चंडीगढ़ इंडस्ट्रीज के प्रेसीडेंट नवीन मंगलानी ने मंगलवार को बताया कि अधिकांश इंडस्ट्रियल इलाकों के पहले और दूसरे चरण में सोमवार रात से ही बिजली गुल हो गई. उम्मीद है कि अगले दो दिनों तक कोई समाधान निकल जाएगा.

हॉस्पिटल्स पर पड़ा प्रभाव, रुका वैक्सीनेशन प्रोग्राम

सेक्टर 32 (GMCH 32) के सरकारी मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में इलेक्टिव सर्जरी को रोक दिया गया है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक हेल्थ सर्विस डायरेक्टर डॉ.सुमन सिंह ने बताया कि कई स्वास्थ्य और वेलनेश सेंटर पर वैक्सीनेशन को शिफ्ट करना पड़ा, क्योंकि हम उनके खराब होने का रिस्क नहीं लेना चाहते थे. हमें सभी इलेक्टिव सर्जरी शिफ्ट करनी पड़ी और हमारा मुख्य फोकस इमरजेंसी और लेबर रूम पर था.

0

पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक सुमन सिंह ने कहा कि ऐसी स्थितियों के लिए बैकअप प्लान और जनरेटर मौजूद हैं, लेकिन अस्पताल जनरेटर पर 100 प्रतिशत भार नहीं डाल सकते हैं.

'हेल्पलाइन नंबरों पर कोई प्रितिक्रिया नहीं'

सेक्टर 15-सी की रहने वाली गुरप्रीत कौर भट्टी ने द क्विंट को बताया कि ज्यादातर घरों में 12 घंटे से अधिक चलने वाले बैकअप इनवर्टर नहीं हैं, इसलिए मंगलवार शाम तक कई इलाकों में पूरी तरह से ब्लैकआउट हो गया.

उन्होंने कहा, "प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराए गए हेल्पलाइन नंबर या तो पहुंच से बाहर थे या लगातार व्यस्त थे. इमरजेंसी में मदद करने वाला कोई नहीं था.”

उन्होंने आगे बताया कि लोग अपने फोन चार्ज करने के लिए संघर्ष कर रहे थे.

स्ट्राइक से सरकार कैसे निपट रही है?

केंद्र शासित प्रदेश के एडवाइजर धर्म पाल के साथ कर्मचारियों की बातचीत से कोई हल नहीं निकला, वहीं चंडीगढ़ प्रशासन ने मंगलवार को बिजली विभाग द्वारा छह महीने के लिए हड़ताल पर प्रतिबंध लगाते हुए आवश्यक सेवा रखरखाव अधिनियम (ESMA) लागू कर दिया.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

एस्मा लागू करने से प्रशासन कर्मचारियों को काम पर लौटने और मना करने की स्थिति में एफआईआर दर्ज करने के लिए बाध्य कर सकेगा.

प्राइवेटाइजेशन के खिलाफ हड़ताल के कारण कई हिस्सों में बिजली गुल हो गई है, अस्पताल और स्कूल बुरी तरह प्रभावित हुए हैं

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक चंडीगढ़ में बिजली की मांग मंगलवार शाम 6 बजे तक दैनिक औसत 260MW से 90MW तक पहुंच गई.

सेना के मिलिट्री इंजीनियर सर्विस (MES) को मंगलवार देर रात तलब किया गया था.

आउटेज पर राजनीति

कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने ट्विटर पर चंडीगढ़ प्रशासन की खिंचाई की और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से जल्द से जल्द सामान्य स्थिति बहाल करने में मदद करने का आग्रह किया.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा कि प्रिय अमित शाह जी चंडीगढ़ 36 घंटे से बिजली के बिना है. अराजकता और अराजकता है. सभी आवश्यक सेवाएं ठप हैं. चंडीगढ़ प्रशासन स्थिति को संभालने में बुरी तरह फेल रहा है. चंडीगढ़ एक केंद्र शासित प्रदेश है. कृपया हस्तक्षेप करें.

संयुक्त समाज मोर्चा के प्रवक्ता रवनीत सिंह बराड़ ने मंगलवार को स्ट्राइक में हिस्सा लिया और सवाल किया कि मुनाफे के बावजूद विभाग का निजीकरण क्यों किया जा रहा है?

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×