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चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी में हुआ वीडियो लीक कांड, पंजाब यूनिवर्सिटी की बढ़ गई टेंशन

Chandigarh University video leak: पंजाब यूनिवर्सिटी वाले बताते-बताते थक गए कि चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी कोई दूसरी है

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1882 में बनी पंजाब यूनिवर्सिटी की वेबसाइट के होमपेज के आखिर में बोल्ड में एक डिस्क्लेमर है जिसमें साफ लिखा है- कि वह चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी से “किसी भी प्रकार से संबंधित नहीं है”.

"पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी से बिल्कुल भी संबंधित नहीं है. चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी एक निजी यूनिवर्सिटी है और चंडीगढ़ से 25 किमी दूर मोहाली जिले में स्थित है."

चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी को लेकर इस समय हंगामा मचा हुआ है. वहां के स्टूडेंट्स ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया है. वे लोग यूनिवर्सिटी की 60 महिला स्टूडेंट्स के प्राइवेट वीडियो के कथित तौर से लीक होने के मामले की निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं. लेकिन इन दो यूनिवर्सिटी के नामों को लेकर असमंजस है और भ्रम पैदा हो रहा है कि दोनों एक ही हैं. ऐसे में पंजाब यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स और टीचर्स सकते में आ गए हैं.  

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पंजाब यूनिवर्सिटी से बीबीए करने वाली रुचि मल्होत्रा ने क्विंट को बताया-

“मुझे दूर दराज के रिश्तेदार और दोस्त फोन कर रहे हैं और पूछ रहे हैं कि इस वीडियो लीक के बीच क्या मैं ठीक हूं. मैं सबको सफाई दे रही हूं कि यह सब दूसरी यूनिवर्सिटी में हुआ है. वैसे पिछले साल एडमिशन के समय भी ऐसा ही कंफ्यूजन हुआ था.”

ये कहानी है दो यूनिवर्सिटीज की 

सीधी सी बात है, चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी पंजाब में है और पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ में.

पंजाब यूनिवर्सिटी की स्थापना 1882 में लाहौर में हुई थी जो अब पाकिस्तान में है. इसका नया कैंपस 1958 और 1960 के बीच ला कॉर्बिसियर (फ्रेंच आर्किटेक्ट) के सुपरविजन में चंडीगढ़ में बनाया गया था. आज यह एक केंद्रीय यूनिवर्सिटी है जिसकी फंडिंग राज्य करता है. यह चंडीगढ़ के सेक्टर 14 और 25 में स्थित है. चंडीगढ़ एक केंद्र शासित प्रदेश है और पंजाब और हरियाणा, दोनों की राजधानी है.  पंजाब यूनिवर्सिटी की वेबसाइट पर लिखा है

“1966 में पंजाब के पुनर्गठन तक यूनिवर्सिटी के रोहतक, शिमला और जालंधर में अपने क्षेत्रीय केंद्र थे, और इसके संबद्ध कॉलेज पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ में स्थित थे. पंजाब के पुनर्गठन के साथ यूनिवर्सिटी इंटर स्टेट बॉडी कॉरपोरेट बन गई जोकि हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और पंजाब के नए बने राज्यों की जरूरतों को पूरा करती है."
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1976 से चंडीगढ़, पंजाब और केंद्र की सरकार संयुक्त रूप से यूनिवर्सिटी की फंडिंग करती है, और यह स्वतंत्र भारत की अब तक की सबसे पुरानी यूनिवर्सिटीज में से एक है. दूसरी तरफ चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी एक दशक पुरानी है. इसे 2012 में सतनाम सिंह संधू ने स्थापित किया था. संधू ने 2001 में चंडीगढ़ ग्रुप ऑफ कॉलेजेज (सीजीसी) की स्थापना की थी. यह यूनिवर्सिटी पंजाब के मोहाली जिले में खरड़ में है.

नाम का मुद्दा पहली बार 2018 में उठाया गया'

चंडीगढ़ की सांसद और बीजेपी नेता किरण खेर ने 18 सितंबर को ट्वीट कर कहा कि इस संस्थान के कारण उनके शहर का 'नाम' खराब हो रहा है.हालांकि 2018-2019 में पंजाब यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट यूनियन की अध्यक्ष कनुप्रिया क्विंट से कहती हैं, कि इस नाम का मुद्दा पहली बार 2018 में यूनिवर्सिटी सीनेट की बैठक में उठाया गया था, लेकिन किरण खेर ने कोई कार्रवाई नहीं की थी.

कनुप्रिया ने द क्विंट को बताया-

"मैं नवंबर 2018 में सीनेट की बैठक में मौजूद थी जिसमें सांसद किरण खेर भी शामिल हुई थीं. जब शून्यकाल में मुद्दा उठाया गया, तो मांग की गई कि चंडीगढ़ प्रशासन निजी विश्वविद्यालय को नोटिस जारी करे. लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई; इस मुद्दे पर सिर्फ हो-हल्ला मचा. अब यह बात फिर से सामने आई है. कई लोगों ने वीडियो लीक की घटना के बारे में पूछा और मुझे उन्हें बताना पड़ा कि पंजाब यूनिवर्सिटी में ऐसा नहीं हुआ है."

कनुप्रिया कहती हैं, "इस मुद्दे को इसलिए उठाया गया था क्योंकि यूनिवर्सिटी में अपने बच्चों को दाखिला दिलाने वाले लोग कन्फ्यूज हो रहे थे. ये लोग अपने बच्चों को चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी में यह सोचकर दाखिला दिला रहे थे कि यह पंजाब यूनिवर्सिटी है. मैंने 2014 में यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया था और मैंने इसे बढ़ते हुए देखा है. दूसरी तरफ बहुत सारे लोग नहीं जानते कि कौन सी प्राइवेट यूनिवर्सिटी है और कौन सी सरकारी यूनिवर्सिटी."

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'पीयू की ब्रांड इमेज को नुकसान'

पंजाब यूनिवर्सिटी ने 2018 में सीनेट की बैठक के बाद इस मामले की जांच के लिए नौ सदस्यीय समिति का गठन किया. बैठक के एक सदस्य के अनुसार, दो बैठकों में समिति ने कोई निर्णय नहीं लिया. सदस्य ने नाम न छापने की शर्त पर कहा: "हमने बैठक में राज्यपाल, चंडीगढ़ प्रशासन और पंजाब सरकार को पत्र लिखने की बात कही थी लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है. हमने कानूनी राय भी मांगी थी. लेकिन हम कार्रवाई के लिए कोई फैसला नहीं ले पाए."

पंजाब यूनिवर्सिटी में हिंदी विभाग के प्रमुख और यूनिवर्सिटी सीनेट के सदस्य गुरमीत सिंह कहते हैं कि उन्होंने इस मुद्दे को कम से कम दो बार उठाया था.

"भारत में ज्यादातर यूनिवर्सिटीज़ उस जगह से जानी जाती हैं जहां वे स्थित होती हैं. अगर आप चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी को देखें तो इसे मेरठ यूनिवर्सिटी के तौर पर जाना जाता है, और सावित्रीबाई फुले यूनिवर्सिटी को पुणे यूनिवर्सिटी के नाम से जाना जाता है. जब भी हम किसी भी जगह लेक्चर के लिए जाते हैं तो लोग आम तौर पर सोचते हैं कि हम चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी से हैं. कभी-कभी जब कोई नया स्टूडेंट चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी में दाखिला लेता है तो उसे लगता है कि उसे पीयू में भर्ती कराया गया है. लेकिन उनमें से कुछ चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी में दाखिला लेने के बाद पीयू में आते हैं."

गुरमीत कहते हैं, "आप भारत में कैम्ब्रिज या हार्वर्ड नहीं खोल सकते. यह कोई मिठाई की दुकान नहीं है जिसे आप कहीं भी खोल सकते हैं."

2019 में समिति पंजाब सरकार और केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन को सुझाव देने से पहले कानूनी राय लेना चाहती थी. पीयू के इतिहास विभाग के प्रोफेसर एम राजीवलोचन, जो समिति के सदस्यों में से एक थे, ने क्विंट को बताया:

"प्रतीक और नाम (अनुचित उपयोग की रोकथाम) एक्ट, 1950, स्पष्ट रूप से कहता है कि हम अधिकारियों की अनुमति के बिना निजी उद्देश्यों के लिए राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के नामों का उपयोग नहीं कर सकते. हमने चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के नाम का मुद्दा उठाया था, चूंकि स्टूडेंट्स ने सीयू में दाखिले का फॉर्म लिया और वे पीयू पहुंच गए- या पीयू में दाखिला फॉर्म लेकर सीयू चले गए. लेकिन किसी ने कोई कार्रवाई नहीं की है."
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राजीवलोचन कहते हैं, "लेकिन यह पंजाब सरकार की जिम्मेदारी है कि वह इस कानून के उल्लंघन को रोकें क्योंकि उसने चंडीगढ़ के नाम पर एक विश्वविद्यालय स्थापित करने के लिए कानून बनाया है."

पंजाब यूनिवर्सिटी सीनेट के एक मौजूदा सदस्य ने नाम न छापने की शर्त पर द क्विंट को बताया:

"पहले इस बात की जांच की जानी चाहिए कि आखिर पहली बार इस नाम पर कोई ऐतराज क्यों नहीं जताया गया था क्योंकि इससे पंजाब यूनिवर्सिटी के बारे में जनमत प्रभावित होता है- न सिर्फ दाखिला चाहने वाले लोगों का, बल्कि वीडियो लीक होने के झमेले के बाद भी. बहुत सारे माता-पिता इसलिए फीस जमा करा देते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि यह पंजाब यूनिवर्सिटी है."

चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के संबंध बीजेपी से?

पिछले कुछ वर्षों में केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह और पीयूष गोयल सहित कई बीजेपी नेताओं का आना-जाना चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी कैंपस में लगा रहता है.इस साल 13 अगस्त को यूनिवर्सिटी कैंपस में राष्ट्रीय ध्वज की सबसे बड़ी मानव छवि का गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया गया था. यह हर घर तिरंगा की खुशी में किया गया था. राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी ने इस कार्यक्रम में भाग लिया था.

वीडियो लीक की घटना सामने आने के एक दिन पहले केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने सीयू के एक कैंप में रक्तदान किया था.

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