भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO): भारत का चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3 शुक्रवार, 14 जुलाई को इसरो के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सफलता पूर्वक लॉन्च हो गया और पृथ्वी की कक्षा में स्थापित हो गया है. यह झारखंड की तीन कंपनियों के लिए भी गर्व का विशेष क्षण है. दरअसल जिस एसएलपी (सेकेंड लॉन्चिंग पैड) से लॉन्चिंग हुई है, उसका निर्माण रांची स्थित एचईसी और सरायकेला स्थित टाटा ग्रोथ शॉप में हुआ है. जबकि, इसकी डिजायनिंग रांची स्थित भारत सरकार की इंजीनियरिंग कंसल्टेंट कंपनी मेकॉन ने की है.
एसएलपी यानी सेंकेंड लॉन्चिंग पैड 84 मीटर ऊंचा है. भारत के चंद्रयान मिशन में पूरी तरह स्वदेशी तकनीक से निर्मित इस एसएलपी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. इसके पहले श्रीहरिकोटा में जो पुराना लॉन्चिंग पैड है, उसे आधुनिक उपग्रहों के लिए उपयुक्त नहीं माना जा रहा था.
इसरो ने जब एसएलपी की जरूरत महसूस की तो इसके लिए रांची स्थित मेकॉन और एचईसी (हेवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन) को वर्क ऑर्डर दिया गया. इसका ड्राइंग-डिजाइन मेकॉन लिमिटेड के इंजीनियरों ने तैयार किया.
रांची में 1959 में स्थापित किया गया मेकॉन (मेटलर्जिकल एंड इंजीनियरिंग कन्सल्टेंट) भारत सरकार के इस्पात मंत्रालय के अधीन कार्य करता है. इसने पिछले छह दशकों में देश में इंजीनियरिंग कंसल्टेंसी और रिसर्च में कई रिकॉर्ड बनाए हैं.
एसएलपी के लिए जरूरी उपकरणों जैसे टावर क्रेन, फोल्डिंग कम वर्टिकली रिपोजिशनेबल प्लेटफार्म, स्लाइडिंग डोर, मोबाइल लॉन्चिंग पेडस्टल, 6-एक्सिस सीएनसी डबल कॉलम वर्टिकल टर्निंग और बोरिंग मशीन, 3-एक्सिस सीएनसी सिंगल कॉलम वर्टिकल टर्निंग एंड बोरिंग मशीन का निर्माण रांची के धुर्वा स्थित हेवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन (एचईसी) के वर्कशॉप में किया गया है.
एचईसी भारत में मदर ऑफ ऑल इंडस्ट्रीज के रूप में विख्यात रहा है. 1958 में स्थापित इस संस्थान ने भारत के रक्षा मंत्रालय, सेना, रेलवे सहित कई सार्वजनिक और निजी उपक्रमों के लिए अनगिनत मशीनें बनाई हैं. इसरो के एसएलपी के बोगी सिस्टम के लिए विशेष स्टील और कई उपकरणों का निर्माण सरायकेला के गम्हरिया स्थित टाटा ग्रोथ शॉप में किया गया है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)