भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) 14 फरवरी को साल 2022 का पहला सैटेलाइट लॉन्च कर रहा है. इस सैटेलाइट को ले जाने वाले रॉकेट को श्रीहरिकोटा में स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से सुबह 5:59 मिनट पर लॉन्च किया जाएगा. सैटेलाइट को लॉन्च करने की सारी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. इस ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट की लॉन्चिंग से 25 घंटे 30 मिनट पहले ही इसका काउंटडाउन शुरू हो गया है और EOS-4/ RISAT-1A सैटेलाइट को लॉन्च करने की प्रक्रिया सुबह 4:29 मिनट पर शुरू हो जाएगी. तो इस बेहद महत्वपूर्ण लॉन्चिंग से पहले हम इस ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट को अच्छी तरह से जान समझ लेते हैं,
कोरोना के कारण लॉन्चिंग में हुई थी देरी
14 फरवरी 2022 को लॉन्च होने वाले 1710 किलोग्राम वजन वाले इस सैटेलाइट को साल 2021 जुलाई में लॉन्च किया जाना था, लेकिन कोरोना महामारी के कारण लॉन्चिंग में देरी हो गई. अब 14 फरवरी को इस सैटेलाइट को लॉन्च किया जा रहा है. इस ऑब्जर्वेशन उपग्रह को भारत-भूटान संयुक्त उपग्रह परियोजना की शुरुआत के रूप में छोड़ा जा रहा है.
कैसे काम करेगा ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट
यह ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट भूमि सर्वेक्षण, शहरी योजना आपदा राहत, रोड नेटवर्क के चित्र, कृषि वानिकी, वृक्षारोपण और मौसम तथा बाढ़ के नक्शे भेजेगा. इस ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट की मदद से भारतीय सेना को सशस्त्र सेवाओं की इमेज मिल जाती है. चीन के पास इस प्रकार के कई सैटेलाइट हैं जिनकी मदद से चीन गाओफेन सीरीज को संचालित करता है. ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट की आंखें धरती की गतिविधियों पर नजर गड़ाए रहती हैं.
EOS-04 सैटेलाइट से अंतरिक्ष विज्ञान को क्या लाभ है
फरवरी 2022 में लॉन्च होने वाला यह सैटेलाइट इस साल लॉन्च होने वाला पहला सैटेलाइट होगा. यह सैटेलाइट दिन-रात काम करेगा और हर प्रकार के मौसम में साफ और बेहतर तस्वीरें धरती पर भेजेगा. पीएसएलवी-सी 52 के माध्यम से EOS-04 को कक्षा में दाखिल कराया जाएगा. EOS-04 के साथ दो छोटे सैटेलाइट इंस्पायर सेट और आईएनएस-2 डी भी अंतरिक्ष में भेजे जाएंगे. इन दोनों छोटे सैटेलाइट में से एक सैटेलाइट को IIST के छात्रों ने विदेशी यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर तैयार किया है.
क्यों हुआ था EOS-03 सैटेलाइट फेल
इसरो को उस वक्त सबसे बड़ा झटका लगा था, जब साल 2021 में सैटेलाइट EOS-03 मिशन फेल हो गया था. यह मिशन दो स्टेज तक तो ठीक चला लेकिन क्रायोजेनिक स्टेज में दिक्कत हो गई जिस कारण यह फेल हो गया. मिशन के 5 स्टेज हो सकते हैं, लेकिन आमतौर पर इसके तीन ही स्टेज होते हैं. पहले स्टेज में रॉकेट का सबसे भारी हिस्सा ऊपर जाने के बाद अलग हो जाता है और अलग होकर समुद्र या गैररिहायशी इलाके में गिरता है.
दूसरी स्टेज में पहले स्टेज के भारी हिस्से के अलग होने का बाद दूसरे स्टेज में इंजन रफ्तार पकड़ता है. इस दौरान पेलोड फेयरिंग अलगाव शुरू होता है.
तीसरी स्टेज में क्रायो अपर स्टेज इग्निशन को ऑन करता है. दुर्भाग्यवश इसी स्टेज में आकर EOS-03 सैटेलाइट फेल हो गया था.
2022 में ही इसरो के हैं अन्य लॉन्चिंग प्लान
बता दें कि 14 फरवरी यानी सोमवार को EOS-04 लॉन्च होने के बाद इसरो ने आगामी तीन महीनों के अंदर कुछ और लॉन्चिंग प्लान बना रखे हैं. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक PSLV-C53 पर OCEANSAT-3 मार्च में लॉन्च करने की तैयारी है और उसके बाद SSLV-D1 माइक्रोसैट को अप्रैल में लॉन् किया जाएगा. गौरतलब है कि लॉन्चिंग की तारीख आखिरी वक्त तक बदली जा सकती है, क्योंकि प्रत्येक लॉन्चिंग से पहले कई तरह के मानकों को देखना होता है, उसके बाद ही लॉन्च की तैयारी शुरू की जाती है.
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